जसम द्वारा नागार्जुन साहित्य की प्रासंगिकता विषयक संगोष्ठी का आयोजन

एस. पी. सक्सेना/समस्तीपुर (बिहार)। लेनिन आश्रम समस्तीपुर में 11 जून को जनकवि नागार्जुन जन्मदिवस पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में दर्जनों गणमान्य जनों ने नागार्जुन के विचारों को आत्मसात करने पर बल दिया।

जानकारी के अनुसार लेनिन आश्रम में जनकवि नागार्जुन की तस्वीर पर माल्यार्पण के साथ नागार्जुन जन्म दिवस समारोह का शुरुआत किया गया। मौके पर वर्तमान समय में नागार्जुन के साहित्य की प्रासंगिकता विषयक संगोष्ठी जसम समस्तीपुर जिला कमिटी के बैनर तले आयोजित किया गया।

अपने अध्यक्षीय संबोधन में जन संस्कृति मंच के जिला सह समस्तीपुर कॉलेज के सेवानिवृत्त अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ प्रभात कुमार ने कहा कि चाहे सत्ता कितना भी निरंकुश क्यों न हो, जनकवि नागार्जुन हमें जन सारोकार से जुड़े सवालों को सत्ता के आंखों में आंख मिलाकर पूछने की प्रेरणा देते हैं। कहा कि वे इंदिरा गांधी के इमरजेंसी के खिलाफ खुलकर लिखते थे। आज लिखने पर, बोलने पर, सवाल करने पर पाबंदी है।

अगर आज नागार्जुन होते तो या तो उनकी हत्या कर दिया जाता या जेल में बंद होते। उन्होंने कहा कि चुनाव से क्रांति नहीं होता। चुनाव लड़ने वाली दल चुनाव में जो चालाकियां हैं, उनकी शिकार हो जाती हैं। वे चुनाव जीतने में जाति- धर्म आदि का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने नागार्जुन की तुलना संत कबीर, विद्यापति जैसे कवि से करते हुए कहा कि जनकवि नागार्जुन को हिंदी साहित्य में जो स्थान मिलना चाहिए, वह नहीं मिल सका।

जनवादी लेखक संघ के जिलाध्यक्ष शाह जफर इमाम ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि जनकवि नागार्जुन हमेशा संघर्षशील ताकतों के लिए प्रेरणा स्रोत बनें रहेंगे। जलेस के काशीम सबा ने अपने स्व रचित ग़ज़ल का पाठ किया। मौके पर विद्यानंद दास, सुनील कुमार दूबे, महावीर पोद्दार, ललन कुमार, रामबली सिंह, आइसा के सुनील कुमार, सुरेंद्र प्रसाद सिंह, भाकपा माले जिला सचिव उमेश कुमार, राज्य कमिटी सदस्य बंदना सिंह आदि ने भी संगोष्ठी को संबोधित किया। संगोष्ठी का संचालन जसम के जिला सह सचिव अरविंद आनंद ने किया।

 72 total views,  11 views today

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *