भगवान महावीर संसार को जियो और जीने दो व् अहिंसा का संदेश दिया-गिरीश कोठारी
एन. के. सिंह/फुसरो (बोकारो)। बोकारो जिला के हद में बेरमो कोयलांचल के जरीडीह बाजार मेंं जैन समुदाय द्वारा 4 अप्रैल को भगवान महावीर जयंती धूमधाम से मनाई गई। समाज के गणमान्य जनों ने जैन मंदिर में भगवान महावीर की प्रतिमा पर दुग्धाभिषेक किया।
इस अवसर पर भगवान महावीर की प्रतिमा को चांदी की पालकी मेंं सजाकर पूरे जरीडीह बाजार में शोभायात्रा निकाली गई। चार चवन्नी चांदी की जय बोलो महावीर स्वामी की, एक, दो, तीन, चार जैन धर्म का जय जय कार के नारे लगाते चार जैन धर्मावलंबी पालकी को अपने कंधों पर लिए चल रहे थे।पीछे से महिलाएं भजन कीर्तन करते हुए चल रही थी।
पूरे बाजार का भ्रमण के बाद शोभा यात्रा वापस जैन मंदिर पहुंचा। शोभा यात्रा में जैन समाज के अलावा अन्य समाज के भी दर्जनों रहिवासी शामिल थे। इस अवसर पर जैन मंदिर में भजन कीर्तन और प्रवचन का कार्यक्रम दिनभर चलता रहा।
इस अवसर पर गिरीश भाई कोठारी ने कहा कि महावीर जयंती एक आध्यात्मिक अवसर है। भगवान महावीर ने अहिंसा का पाठ सिखाया। कोठारी ने कहा कि भगवान महावीर ने पूरे जीवन सत्य और अहिंसा पर बल दिया था। जैन धर्म उन्हीं के आदर्शों का अनुसरण करते हुए पूरे विश्व को अहिंसा का संदेश देने का काम कर रहा है, जो कि अनुकरणीय है।
आज विश्व में आतंकवाद, हत्या और अपराध का ग्राफ बढ़ा है। ऐसे में पूरे विश्व को भगवान महावीर के आदर्शों से प्रेरणा लेने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर ने संसार को जियो और जीने दो का संदेश दिया।
संजय वोरा ने कहा कि महावीर जयंती के दिन आमतौर पर पूजा और ध्यान का स्थान मंदिर होता है। भक्तों द्वारा जैन मंदिर की यात्रा भी किया जाता है। कई जैन गुरुओं को मंदिर और घरों में महावीर की शिक्षाओं के बारे में प्रचार करने के लिए आमंत्रित भी किया जाता है।
वही हितेश भाई कोठारी ने कहा कि महावीर जयंती जैनियों का एक महत्वपूर्ण पर्व है। भगवान महावीर के उपदेश के अनुसार भक्त मानवता, अहिंसा और सद्भाव को अधिक महत्व देते हैं। भगवान महावीर ने दूसरों के दु:ख को दूर करने की नसीहत दी।
मौके पर गिरीश भाई कोठारी, सुबोध मेहता, प्रेस भाई कोठारी, अनिल मेहता, चेतन कोठारी, हितेश मेहता, संजय वोरा, हरमेश मेहता, पिंटू मेहता, मुकेश मेहता, कमलेश वसा, चिकू रमानी, गरजेश टोलिया, मालती मेहता, जसमीना कोठारी, शिल्पा कोठारी, रचना मेहता, शिल्पी बैध आदि शामिल थे।
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