सुलझने के बजाय उलझता जा रहा है गैरमजरूआ भूमि कब्जा मामला

दोनों पक्ष एक दूसरे पर लगा रहे हैं आरोप

एस. पी. सक्सेना/बोकारो। बोकारो जिला के हद में बेरमो प्रखंड के कथारा मोड़ एसबीआई एटीएम के समीप बोड़िया बस्ती मार्ग पर स्थित गैरमजरूआ खास भूमि पर कब्जा का मामला सुलझने के बजाय दिनोंदिन उलझता जा रहा है।

एक पक्ष दूसरे पक्ष पर न्यायालय को भ्रमित करने का आरोप लगा रहे हैं। वहीं दूसरा पक्ष फर्जी कागजात प्रस्तुत करने का आरोप मढ रहा है। फिलवक्त मामला न्यायालय के अधीन है।

जानकारी के अनुसार बोड़िया बस्ती मार्ग पर स्थित घनश्याम पान दुकान के समीप 20 डिसमिल गैरमजरूआ खास भूमि जिस पर कब्जा मोहम्मद हबीब धोबी के पौत्र मोहम्मद मंजर हुसैन दर्शा कर उक्त भूमि का उपयोग करते रहे हैं। जिस पर वे सपरिवार घर बनाकर रह रहे हैं तथा वहां स्थित मकान में भाड़ा में मोटर मोटरसाइकिल बिक्री दुकान है।

उक्त भूमि मंजर हुसैन के अनुसार उसके दादा ने 25 अप्रैल 2011 को उसके नामित वसीयत किया था, जिसमें कहा गया कि प्लॉट संख्या 635 रकवा 15 डिसमिल तथा प्लॉट संख्या 638 रकवा 5 डिसमिल दोनों भूखंड मिला हुआ है। मंजर हुसैन को इकरारनामा के अनुसार उक्त भूमि सुपुर्द किया गया।

एकरारनामा में मोहम्मद हबीब ने कहा है कि अत्यधिक उम्र हो जाने के कारण वे उक्त भूमि 20 डिसमिल अपने पोता मोहम्मद मंजूर हुसैन के नाम करते हैं। ज्ञात हो कि, मोहम्मद हबीब धोबी की मृत्यु कुछ साल पूर्व हो गया है।

इसके विरुद्ध बोरिया बस्ती निवासी डोमन महतो, घनश्याम महतो, सगीना महतो, मुकुंद महतो, राहुल महतो, जोगलाल महतो, मोहन यादव, विनोद सिंह, अनिल महतो, प्रसादी महतो, डेगलाल महतो, विकास यादव, मोहन यादव, बालेश्वर यादव, गोविंद यादव, रेशम लाल, अनिल यादव, वासुदेव यादव, दुखलाल यादव, बिरसाही महतो, आदि।

हीरामन महतो, कैलाश महतो, बरियार महतो आदि ने उक्त भूमि को गैरमजरूआ खास बताते हुए वर्ष 1937 का रामगढ़ राज परिवार द्वारा उनके पूर्वज को दिए जाने की बात कही है। ग्रामीणों ने एक भेंट में 20 नवंबर को बताया कि स्थानीय बोरिया उत्तरी पंचायत के मुखिया कामेश्वर महतो, पंचायत समिति सदस्य सोनामति देवी, उप मुखिया लोकेश्वरी देवी, आदि।

वार्ड सदस्य अनिल यादव के अलावा 237 ग्रामीणों ने इससे संबंधित पत्र बोकारो थर्मल थाना प्रभारी को प्रेषित कर खाता क्रमांक 40 प्लॉट क्रमांक 635 एवं 638 में वर्षों से बरद खुटा जैसी झारखंड की संस्कृति पर्व किए जाने की बात कही है।

साथ ही कहा है कि उक्त बरद खुटा पर्व में बोड़िया बस्ती, चौधरी टोला, भूड़कुड़वा बस्ती तथा कथारा बस्ती के ग्रामीण रहिवासियों द्वारा प्रतिवर्ष पर्व मनाया जाता रहा है। ग्रामीणों ने प्रेषित पत्र में कहा है कि उक्त भूमि पर मोहम्मद मकबूल अहमद के पुत्र मंजर हुसैन द्वारा जबरन अतिक्रमण कर कब्जा किया जा रहा है, जिसके कारण सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने की संभावना है।

ग्रामीणों ने मंजर हुसैन द्वारा न्यायालय में प्रस्तुत 11 मार्च 1958 के अंचलाधिकारी बेरमो के पत्र को फर्जी बताते हुए कहा है कि उक्त तिथि में बेरमो अंचल अस्तित्व में था ही नहीं। ग्रामीण घनश्याम महतो दावा करते हैं कि 6 दिसंबर 1972 को जब बेरमो अंचल बना इससे पूर्व 1958 में ही अंचलाधिकारी द्वारा मोहम्मद हबीब धोबी को पत्र किस आधार पर प्रेषित किया गया, यह जांच का विषय है। वैसे में उक्त पत्र स्वत: ही कोई मायने नहीं रखता है।

ग्रामीणों ने पत्र की प्रति गिरिडीह सांसद, बेरमो विधायक, पुलिस अधीक्षक बोकारो, अनुमंडल पदाधिकारी बेरमो (तेनुघाट), पुलिस उपाधीक्षक बेरमो (तेनुघाट) तथा अंचलाधिकारी बेरमो को बीते 17 अक्टूबर को प्रेषित किया है। ग्रामीणों के अनुसार उक्त पत्र के प्रेषित किए जाने के 1 माह बाद भी मामले में संबंधित द्वारा संज्ञान नहीं लिया जाना संशय को जन्म देता है। इससे मामला सुलझने के बजाय उलझता जा रहा है।

इस संबंध में दखलकार मंजर हुसैन ने बताया कि मामला न्यायालय में लंबित है। न्यायालय जो भी फैसला करेगा वह उन्हें स्वीकार है। पत्र के फर्जी होने के संबंध में पूछे जाने पर मंजर ने उल्टा ग्रामीणों द्वारा न्यायालय में दिए गए पत्र को पूरी तरह फर्जी करार दिया है। बहरहाल उक्त मामला सुलझने के बजाय दिनों दिन और उलझता जा रहा है और यह समाज तथा प्रशासनिक महकमा के लिए चुनौती बन चुका है।

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