प्रहरी संवाददाता/सारण (बिहार)। बिहार के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) रहे अंतराष्ट्रीय कथावाचक जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी गोविंदाचार्य गुप्तेश्वरजी महाराज का बीते 5 सितम्बर को सारण जिला के हद में सोनपुर स्थित लोकसेवा आश्रम पहुंचने पर भव्य स्वागत किया गया।
जानकारी के अनुसार इस अवसर पर सोनपुर के लोकसेवा आश्रम के व्यवस्थापक संत विष्णुदास उदासीन उर्फ मौनी बाबा ने स्वामी गुप्तेश्वरजी महाराज को श्रद्धापूर्वक पुष्प माला पहनाकर तथा अंग वस्त्र से सम्मानित किया।
बताया जाता है कि अमेरिका सहित करीब आधे दर्जन देशों में सनातन धर्म का पताका फहराते, रामकथा की सरिता प्रवाहित करते, गंगा मइया की महिमा का बखान करते हुए जब स्वामी गुप्तेश्वरजी महाराज लौटकर सर्वप्रथम बाबा हरिहरनाथ मंदिर पहुंचे तो श्रद्धालुओं व भक्तों ने जय जयकार के साथ उनका स्वागत किया। स्वामीजी ने विदेशों में सनातन धर्म के धर्म ध्वजा फहराने के बाद यहां उद्घोष किया तथा कहा कि सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा।
इसके उपरांत स्वामी गुप्तेश्वरजी महाराज लोक सेवा आश्रम पहुंचे, जहां उन्होंने भगवान सूर्यदेव तथा शनिदेव को नमन किया। वे इस आश्रम के चर्चित एवं ख्याति प्राप्त संत विष्णुदास उदासीन उर्फ मौनी बाबा के विशेष आग्रह पर उनसे आशीर्वाद लेने पहुंचे थे।
मौके पर आश्रम के विधि सलाहकार सह पत्रकार विश्वनाथ सिंह, महासचिव अधिवक्ता संघ सोनपुर अभय कुमार सिंह, अनिल कुमार सिंह गौतम, सतन शर्मा, मनीष कुमार, दामोदर लाल दास, मंदिर के पुजारी अनिल झा, धर्मनाथ महतो आदि उपस्थित थे।
इस अवसर पर स्वामी गुप्तेश्वरजी महाराज ने बताया कि जुलाई के प्रथम सप्ताह में वे अमेरिका गये थे। उसके बाद इंग्लैंड, तुर्की, स्कॉटलैण्ड, आइसलैंड आदि देशों का भ्रमण किया। उन्होंने बताया कि हर जगह अपने देश के सनातन धर्म मानने वाले हैं। वे सभी आपस में योजना बनाकर स्थान बदल-बदल कर उनके लिए समुचित व्यवस्था कर कथा करवाते थे।
उन्होंने कहा कि मेरी कथा सुनने के लिए भारतीय तो बड़ी संख्या में जुटते ही थे, विदेशी भी बड़े चाव से रामकथा सुनते थे। महाराजजी ने कहा कि भ्रमण के ख्याल से विदेश जाईये, लेकिन बसने के लिये नहीं। विदेशों में पश्चिमी सभ्यता का बहाव है। वहां के छोटे-छोटे बच्चे भी जमकर अंग्रेजी बोलते हैं। मुझे कई जगह अग्रेजी में भी कथा कहनी पड़ती थी।
वहां भारत जैसा अपराध नहीं है। पुलिस सड़क पर कहीं दिखाई नहीं देती, लेकिन घटना की खबर मिलते 5 मिनट के अंदर स्थल पर पहुंच जाती है। वहां ऐरेंज मेरेज का कोई कन्सेप्ट नहीं है, जिसके कारण 80-90 प्रतिशत विवाह टूटता रहता है। कहा कि विदेशो में उन्हें टेम्पु दिखाई नहीं दिया।
वहां के मंदिरों में ज्यादा ब्राह्मण पुजारी हैं।वही धर्मगुरु होते हैं। खूबी यह भी है कि सभी प्रकार के संस्कार ब्राह्मण से पूछ कर किया जाता है। अंत उन्होंने कहा कि सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा।
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