सिद्धार्थ पांडेय/चाईबासा (पश्चिम सिंहभूम)। पश्चिम सिंहभूम जिला के हद में जगन्नाथपुर थाना क्षेत्र के मोंगरा रहिवासी मिथुन लोहार पर रहिवासियों द्वारा बड़ा आरोप लगाया गया है।
जानकारी के अनुसार बड़ाजामदा के प्लॉटसाई के ग्रामीणों ने मिथुन पर अपने गांव के नौ बेरोजगार युवक-युवतियों और महिलाओं को नौकरी का झांसा देकर अहमदाबाद स्थित एक बेसन फैक्ट्री में बंधक बनवाने का गंभीर आरोप लगाया है। यह मामला तब उजागर हुआ जब पीड़ित परिवारों ने डालसा (जिला विधिक सेवा प्राधिकरण) के पीएलवी दिल बहादुर थापा, गांव के डाकुआ और स्थानीय पुलिस से मामले में हस्तक्षेप की गुहार लगायी गयी।
ग्रामीणों ने बताया कि करीब पांच महीने पहले मिथुन गांव के नौ बेरोजगार महिला, पुरुष को बेहतर रोजगार दिलाने का वादा कर अहमदाबाद ले गया। वहां कल्लूपुर स्थित बटुआ चौक क्षेत्र की एक बेसन फैक्ट्री में सभी को काम पर लगाया गया। लेकिन फैक्ट्री मालिक न तो उन्हें मजदूरी दे रहा है और न ही उन्हें वापस गांव लौटने दे रहा है। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि सभी पीड़ितों के असली आधार कार्ड भी जब्त कर लिए गए हैं, जिससे उनकी पहचान और स्वतंत्रता दोनों पर संकट खड़ा हो गया है।
पीड़ितों के परिजनों ने बताया कि वे बेहद गरीब परिवार से आते हैं। उन्हें उम्मीद थी कि उनके बच्चे, महिलाएं वहां काम करके कुछ पैसे भेज पाएंगे, जिससे बच्चों की पढ़ाई और घर की जरूरतें पूरी हो सकेंगी। लेकिन अब वे बुरी तरह टूट चुके हैं।
परिजनों ने कहा कि हमने सोचा था कि थोड़ी कमाई से हालात सुधरेंगे, लेकिन अब हमें डर है कि हमारे बच्चे कहीं बिक न जाएं। वे रो-रोकर गांव वापस बुलाने की गुहार लगा रहे हैं। बंधुआ मजदूरी का शिकार हुए रहिवासियों में 36 वर्षीय भागीरथी नायक पिता दामोदर नायक, 33 वर्षीय दीपक राव पिता गणेश राव, 44 वर्षीय राजेश दास पिता देवानंद दास, 40 वर्षीय विजय कुमार सुंडी पिता शिव कुमार सुंडी, 37 वर्षिया सुमित्रा सुंडी पति विजय कुमार, 18 वर्षीया बेतुलय सुंडी पिता विजय कुमार, 40 वर्षीय रमेश सिंह पिता एन. सिंह, 50 वर्षीय सोनाराम गोप पिता स्व. चंद्रमोहन गोप, 40 वर्षीया रीना गोप पत्नी सोनाराम गोप शामिल हैं।
इसे लेकर गांव के सामाजिक कार्यकर्ताओं और पीड़ित परिवारों ने जिला प्रशासन से उपरोक्त सभी मजदूरों को तत्काल सुरक्षित रिहा कराने की मांग की है। पीएलवी दिल बहादुर थापा ने भी संबंधित अधिकारियों को इसकी जानकारी दी है और कहा है कि यह मानव तस्करी का संगीन मामला है, इसमें त्वरित कार्रवाई होनी चाहिए।
थापा के अनुसार यह केवल मजदूरी का मामला नहीं, बल्कि मानवीय अधिकारों का खुला उल्लंघन है। यह मामला न केवल मानव तस्करी का है, बल्कि यह ग्रामीण बेरोजगारी, अशिक्षा और जागरूकता की कमी की भयावह तस्वीर भी पेश करता है। अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो यह एक बड़ी त्रासदी का रूप ले सकता है। जरूरत है प्रशासन, कानून व्यवस्था और समाज के सामूहिक प्रयास की, ताकि कोई और मिथुन लोहार किसी गरीब का सपना न लूट सके।
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