निक्कमे हुए रेल कर्मी
बीपीसीएल नार्थ गेट की रेल पटरी पर गड्ढे की भरमार
प्रहरी संवाददाता/मुंबई। जनसमस्याओं को दरकिनार कर मध्य रेलवे (Railway) द्वारा मुंबईकरों को जागरूक करने का ढोंग रचा जा रहा है। करीब एक सप्ताह पूर्व शुरू हुए 15 दिनों के पखवाड़े का शुभारंभ महाप्रबंधक अनिल कुमार लाहोटी ने स्वच्छता शपथ दिलाने के साथ की थी।
वहीं मध्य रेलवे की लुप लाइनों के तीन फाटकों कि हालत बद से बत्तर हो गई है। इनमें सबसे खतरनाक बीपीसीएल (BPCL) के नार्थ गेट के सामने लाइनो पर गड्ढा ही गड्ढा है । जिसे पार करना छोटी वाहनों के लिए खतरे से खाली नहीं है।
इस लाइन पर दो पहिया, तीन पहिया या छोटी वाहनों से पार करना लोहे के चने चबाने जैसा है। बता दें कि शंकर देवल स्थित बीपीसीएल नार्थ गेट मध्य रेलवे के ट्रांबे यार्ड से महज दस से पंद्रह मीटर की दूरी पर है। इसके बावजूद रेल की दोनों पटरियों के बीच व आस-पास एक से डेढ़ फीट गड्ढा है, जो बरसाती पानी से लबालब भरा है।
मिली जानकारी के अनुसार मध्य रेलवे की लुप लाइन कुर्ला से कट कर ट्रांबे यार्ड से होते हुए एचपीसीएल और बीपीसीएल जाती है। इस मार्ग पर मध्य रेलवे के कुल तीन फाटक हैं। बता दें कि वाशीनाका स्थित शंकर देवल का यह जंक्शन काफी संवेदनशील होने के बावजूद इस मार्ग से लगभग सभी वाहनों को गुजरना पड़ता है।
इसी मार्ग से एचपीसीएल और बीपीसीएल कि कॉलोनियों के अलावा मैसूर कॉलोनी, माहुल गांव, बीपीसीएल का मेन गेट, एमपीटी रोड़ और फ्री वे पर चढ़ने या उतरने के बाद शत प्रतिशत वाहनों को इसी मार्ग से गुजरना पड़ता है।
इस मुद्दे पर मध्य रेलवे के सीनियर सेक्शन इंजिनियरिंग रेल पथ (एसएसई) विभाग से संपर्क करने पर यहांके प्रमुख रविंद्र कुमार देवांद ने बताया कि उक्त पटरियों के पास खड्ढे होने की जानकारी हम लोगों को है। लेकिन बारिश के कारण उसकी मरम्मति नहीं हो पा रही है। उन्होंने मौसम ठीक नहीं होने का हवाला दिया।
वहीं इस मुद्दे पर स्थानीय समाजसेवक संतोष वाडवणे ने बताया कि शंकर देवल के इस रेलवे फाटक पर हर दिन चार से छह लोग गिरते हैं। इसके अलावा छोटी वाहनों को धक्का मार कर निकालना पड़ता है। वाडवणे ने कहा कि शंकर देवल जंक्शन से मुंबई सहित शहर से बाहर आने जाने का रास्ता है।
इसके अलावा यहां कि बहुराष्ट्रीय तेल कंपनियों के वाहन भी इसी मार्ग से आते जाते हैं। उन्होंने कहा कि बीपीसीएल नार्थ गेट के सामने से निकली रेल लाइन का रोड़ करीब एक माह से बेहद खस्ता हाल है।
गणपति विर्सजन के दौरान स्थानीय युवकों की मदद से गणपति बप्पा की प्रतिमा को पार कराया गया। वहीं राजेंद्र नगराले ने बताया कि बारिश के दौरान मनपा ने अपनी सड़कों की मरम्मति की थी। ऐसे में रेलवे भी इन लाइनों के किनारे पड़े गड्ढों को भर सकती थी। लेकिन रेलवे की ढिलाई के कारण गड्ढे बढ़ते जा रहे हैं।
इससे यहां के स्थानीय लोगों में रोष व्याप्त है। इस मुद्दे पर स्थानीय मछिंदर सैदाने का कहना है कि मध्य रेलवे को पखवाडा मनाने के लिए समय है लेकिन जन समस्याओं का समाधान करने के लिए मौसम देखा जाता है। वहीं माहुल के जैन कोली ने बताया की बीपीसीएल नार्थ गेट के सामने रेलवे लाईन के किनारे अब तो गड्ढे ही गड्ढे हैं। रेलवे के लापरवाह अधिकारियों के कारण लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
गौरतलब है कि मध्य रेल के महाप्रबंधक अनिल कुमार लाहोटी द्वारा स्वच्छता शपथ दिलाने के साथ पखवाड़ा की शुरुआत की गई। इस पखवाड़े में विभिन्न गतिविधियों को शामिल किया गया है।
इनमें ट्रेनों, स्टेशनों और रेलवे परिसरों के रख रखाव, प्लास्टिक पर अंकुश लगाने आदि के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया गया। काश रेलवे के महाप्रबंधक मुंबईकरों में जागरूकता फैलाने के बजाए रेल कर्मचारियों को जागरूक कराते तो आम व खास लोगों को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता?
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