मामला करगली फुटबॉल ग्राउंड का नामांकरण से जुड़ा
एन.के.सिंह/फुसरो (बोकारो)। जैसा कि सर्वविदित है कि 23 सितंबर को झारखंड के हर जगह में महान आंदोलनकारी बिनोद विहारी महतो की जयंती मनाई जा रही है।
झारखंड में सामाजिक सुधार के लिए एवं स्वतंत्र झारखंड राज्य (Jharkhand State) की स्थापना हेतु किए गए उनके प्रयत्न प्रेरणादायी है। बोकारो एवं करगली प्रबंधन उनको एवं उनके द्वारा किए गए संघर्ष को शत शत नमन करता है। उक्त बातें 22 सितंबर को बोकारो जिला के हद में सीसीएल बीएंडके जीएम एम के राव ने कही।
उन्होंने कहा कि बोकारो एवं करगली प्रबंधन का हमेशा से यह मानना है, कि कोयला खान विस्तार एवं सामाजिक कल्याण हेतु विस्थापितों का हक़ सर्वोपरि है। प्रबंधन हमेशा ही अपनी तरफ से विस्थापितों के हक़ के लिए हर संभव सहयोग देने के लिए प्रयत्नशील रहा है।
जीएम राव ने कहा कि प्रबंधन किसी भी गैर कानूनी कृत को समर्थन नहीं देगा। उन्होंने कहा कि करगली फुटबॉल मैदान का नामकरण का फैसला एक नितिगत मुद्दा है।
ऐसे में विस्थापित संघर्ष समन्वय समिति द्वारा करगली फूटबॉल मैदान का नामांकरण झारखंड आन्दोलनकारी दिवंगत महतो के नाम पर करना प्रबंधन की अवहेलना है।
यह कानून संगत नहीं है।
इस संबंध में विस्थापित संघर्ष समन्वय समिति के अध्यक्ष लखन लाल महतो ने कहा कि विधिवत घोषणा नहीं की गई है। बोर्ड भी नहीं लगाया गया है। प्रशासनिक पदाधिकारी और सीसीएल के उच्च अधिकारी से बातचीत हुई है। अभी सिर्फ दीवाल में ही लेखन की गई है।
उन्होंने कहा कि स्व विनोद बिहारी महतो झारखंड के जननायक थे। शिक्षा मंत्री जगन्नाथ महतो ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर करगली फुटबॉल मैदान का नाम विनोद बिहारी महतो के नाम पर नामांकरण की मांग की है। कानून के जानकारों का कहना है कि नामांकरण करने के लिए प्रबंधन से लिखित अनुमति प्राप्त करना आवश्यक है।
जहां तक बात रही झारखंड के जनक विनोद बिहारी महतो के नाम पर करगली फुटबॉल ग्राउंड के नामांकरण करने का, यह फुटबॉल ग्राउंड के लिए गर्व की बात होगी।
क्योंकि बिनोद बिहारी महतो महानायक थे। उनके नाम पर करगली फुटबॉल ग्राउंड का नामकरण होता है तो यह जन भावना का आदर करना माना जाएगा। यह बिल्कुल गैर-कानूनी नहीं है।
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