संतोष कुमार/वैशाली(बिहार)। बीका यानी बिहार (Bihar) सुधारात्मक प्रशिक्षण संस्थान,जहां शोध और प्रशिक्षण के अलावा रचनात्मक तथा सृजनात्मक कार्यक्रमों के आधार पर जेल मैनुअल की सकारात्मकता पर बल दिए जाने का प्रावधान किया गया है। अक्सर यहां ट्रेनिंग (Training) दी जाती है जो काफी महत्वपूर्ण माना जाता रहा है।
संस्थान के वर्तमान उप निदेशक के अनुसार बीते 12 फरवरी को जिस ट्रेनिंग सत्र का समापन हुआ उसका संबंध उन प्रोसक्यूटर्स रहा जिन्हे महिला सुरक्षा पर कानूनी क्रियान्वयन के क्रम में कैसे पेश आना है ताकि महिलाएं बेखौफ अपना कानूनी अधिकार जताती रहे। साथ ही कई महत्वपूर्ण संशोधनों की जानकारी भी दी गई जिसका संबंध महिला सुरक्षा से किसी न किसी रूप में है।
खास बात यह कि उक्त प्रशिक्षण के समापन के एक दिन बाद ही 13 फरवरी को एक तीन दिवसीय ट्रेनिंग सत्र की शुरुआत हो गई। जिसमें जेल से जुड़े अधिकारियों को कैदियों के मानवाधिकारों से जुड़े आयामों की जानकारियां दी जाएंगी। कार्यक्रम की शुरुआत करने पहुंचे मुख्य अतिथि सह मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष विनोद कुमार सिन्हा ने जेल प्रबंधन को सबक दिया कि कैदियों में तेज बदलाव के लिए तथा जेल को सुधारगृह में पूर्णतः तब्दील होने के लिए यहां रचनात्मक तथा सृजनात्मक कार्यक्रमों का आयोजन अनिवार्य है। साथ ही कार्यक्रम में सक्रीय भूमिका में अपनी मौजूदगी दर्शाने वाले आईजी कारा मिथिलेश मिश्रा ने भी कई सुझाव दिए। संस्थान के उपनिदेशक और अन्य कर्मियों की भी काफी सक्रियता देखी गई। करीब एक घंटे के कार्यक्रम के में मानवाधिकार से जोड़ते हुए जेल और कैदी पर सभागार में वार्ता चलती रही।
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