दहेज़ रूपी धनुष तोड़ सकता है तो आज के नवयुवक रूपी राम-धर्मराज शास्त्री

प्रहरी संवाददाता/पेटरवार (बोकारो)। आज के युग में समाज में हर ओर दहेज़ रूपी धनुष दिखाई दे रहा है, जिसे कोई राम रूपी नवयुवक ही तोड़ सकता है।

मिर्जापुर यूपी से पधारे मानस मार्तण्ड धर्मराज शास्त्री ने उक्त बाते कही। वे बोकारो जिला के हद में अंगवाली के मैथान टूंगरी स्थित धर्म-संस्थान में आयोजित श्रीरामचरित मानस नवाह्न पारायण महायज्ञ के चतुर्थ रात्रि प्रवचन के क्रम मे 22 मार्च की रात्रि प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने तुलसीदास रचित श्रीराम चरित मानस मे वर्णित जनकपुर मे धनुष-यज्ञ प्रसंग पर व्याख्यान दे रहे थे।

उन्होंने कहा कि त्रेता में तो एक जनक रो रहे थे, लेकिन आज घर घर जनक रो रहे हैं। आज समाज में विवाह को मजाक का विषय बनाया जा रहा है, जो समाज व राष्ट्रहित मे कत्तई उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि विवाह केवल लड़की-लड़का का सिर्फ मिलन ही नही, न कोई व्यापार है। विवाह तो हिन्दु समाज की संस्कृति मे एक संस्कार है।

मानस मार्तण्ड धर्मराज ने स्पष्ट किया कि राष्ट्र मे दहेज़ रूपी दानव से आज के शिक्षित परिपक्व युवा वर्ग ही छुटकारा दिला सकता है, ताकि परिवार मे सुख, शान्ति स्थापित हो सके। इस अवसर पर अयोध्या धाम से पधारी मानस मंजरी शांति श्रेया ने भी धनुष यज्ञ प्रसंग पर वेबाक विश्लेषण किया। उन्होंने कहा कि धनुष तो रामजी के हाथो टूट गया, पर डोरी नहीं टूटी। क्योकि धनुष टूटते वक्त डोरी प्रभु श्रीराम की ओर झुक गई थी। यानि उनके चरणो मे शरणागत हो गई। जो रामजी के चरणो मे झुक जाये, उसे प्रभु तोड़ते नही, तारते हैं।

उन्होंने राजा जनक एवं माता सुनैना द्वारा बेटी सीता को ससुराल मे रहने के लिए जो उपदेश दिये, उसका वर्णन वखूबी किया। विंद्याचल से आये इंद्रेश शास्त्री श्रीराम के अवतरण व माता कौशल्या के समक्ष बाल लीला का सटीक वर्णन किया। उन्होंने अपनी सारगर्भित प्रवचनों से श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। मानस महायज्ञ के चतुर्थ दिवस को प्रातः से दोपहर तक परिक्रमा करने वालो की रात्रि प्रवचन सुनने माताओं की भारी भीड़ जुटी रही।

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