समस्त सार्थकता ईश्वर के नाम में ही है-ऋत्विक अमरनाथ ठाकुर
सिद्धार्थ पांडेय/चाईबासा (पश्चिम सिंहभूम)। पश्चिम सिंहभूम जिला के हद में बोकना स्थित सत्संग विहार में श्रीश्री ठाकुर अनुकूल चंद के मानने वाले श्रद्धालुओं द्वारा 2 जून को मासिक सत्संग का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर दीक्षा समारोह का आयोजन किया गया। सत्संग में श्रद्धालुओं को चेतना शक्ति बढ़ाने एवं परमात्मा से सीधा संपर्क करने का ज्ञान दिया गया। दीक्षा समारोह के बाद सभी श्रद्धालु भंडारे में प्रसाद ग्रहण किया। यहां उपस्थित दर्जनों श्रद्धालू गण व् अन्य को संबोधित करते हुए सत्संगी ऋत्विक अमरनाथ ठाकुर ने कहा कि ठाकुर अनुकूल चंद्र के भाव को घर- घर में पहुंचना जरूरी है। उनके भाव के अनुसार ही घर- घर में भगवान श्रीराम रूपी धर्म की स्थापना करनी होगी तथा रावण रूपी अधर्म का नाश करना होगा।
ऋत्विक ठाकुर ने कहा कि अदम्य उत्साह से काम करे। भावना के अनुसार भगवान श्रीराम ने सबको दर्शन दिया है। वर्तमान जीवन, जीवन नाथ के लिए है। व्यवहार परिवर्तन से मनुष्य का भाव बदल सकता है। ईश्वर का नाम प्राप्ति मानव के लिए ठाकुरजी पृथ्वी पर आए है। समस्त सार्थकता ईश्वर के नाम में ही है। ठाकुरजी के बताये मार्ग अनुकरनीय है।
इस अवसर पर सत्संगी कीर्तन बारीक़ एवं सुबोध बड़ाईक ने मनुष्य का गंतव्य ईश्वर प्राप्ति व सत्संगी यजन एवं याजन का महत्व बताते हुए उसे अनुकरण करने के लिए प्रेरित किया। सत्संगी बचन मिश्रा ने कहा कि ईश्वर के आदेश का पालन करने वाला एवं जन कल्याण के कार्य करने वाला व्यक्ति सदैव ईश्वर से जुड़ा होता है। मनुष्य को मानव शरीर बहुत ही सौभाग्य से प्राप्त हुआ है । अतः मानव को जन जन कल्याण के कार्य करनी चाहिए।
मौके पर सत्संग उप योजना केंद्र के खोले जाने पर हर्ष जताने के लिए सत्संगियो को प्रेरित किया गया। कार्यक्रम स्थल बोकना विहार मंदिर को सुसज्जित करने पर विचार रखे गए। महिलाओं की उपस्थिति में कार्यक्रम में चार चाँद लग गया।महिलाओं ने श्रीश्री ठाकुरजी के जीवन पर प्रकाश डाले तथा मंदिर के विकास में सहयोग का आश्वासन दिया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से सह प्रति ऋत्विक अमरनाथ ठाकुर, सुबोध बड़ाईक, पुरुषोतम महतो, बचन मिश्रा, शीतेश बहादुर, भगवान् सिंकू, शशि भूषण ठाकुर, शिवेश् ठाकुर, रूपेश जायसवाल, मिठु दा, रामजीवन बेहरा, करण प्रजापति, शशिकांत पोद्दार, गोपाल नाग आदि उपस्थित थे। साथ ही सैकड़ो की संख्या में मातृ मंडली के माता- बहन मुख्य रूप से कार्यक्रम में शामिल थी।
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