जमीन हमारा, पूंजी आपका, रैयत को मिले बराबर हिस्सेदारी-जयराम महतो
एन. के. सिंह/फुसरो (बोकारो)। बोकारो जिला के हद में फुसरो नगर परिषद क्षेत्र के अमलो बस्ती में 8 नवंबर को खतियानी महाजुटान का आयोजन किया गया। जहां हजारों की संख्या में ग्रामीण व रैयतों ने भाग लिया।
कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि जयराम महतो को फूल माला पहनाकर स्वागत किया गया। इस अवसर पर महतो ने कहा कि कोलियरी क्षेत्र में खनन नीति बनाई जाय, ताकि यहां के रैयतों को उसका वाजिब हक मिल सके। उन्होंने कहा कि सरकार विकास के नाम पर शोषण करना बंद करे।
जमीन हमारी पूंजी है, विकास के नाम पर हमारी जमीन हमसे छीना गया। अब ये सब नही चलेगा। भारत सरकार एक अच्छी नीति बनाये। यहां के जमीन का मालिक हमलोग है। जमीन हमारा, पूंजी उधोगपति का तो फिर मुनाफा बराबर होना चाहिए।
कोयला खदान के जमीन में रैयत को बराबर का हिस्सेदारी मिले। महतो ने कहा कि झारखंड राज्य का निर्माण ही संघर्ष के बदौलत हुआ है। इसलिए झारखंडी सभ्यता और संस्कृति को बचाने के लिए एक बार फिर लंबी लड़ाई की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह जन आंदोलन तभी सफल हो सकेगा, जब इस आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी होगी।
उन्होंने कहा कि जब देश में 1860 में बने कानून का आज भी पालन हो रहा है तो 1932 का कानून क्यों नहीं लागू होगा? उन्होंने कहा कि झारखंड की भाषा और संस्कृति एक अनोखा मिसाल है। यहां की बोली, रहन-सहन, खान-पान, नाच गान, सामुदायिकता को परिलक्षित करती है, लेकिन बाहरी संस्कृति यहां की सभ्यता संस्कृति को नष्ट कर रही है।
उन्होंने कहा कि यहां सीएनटी एक्ट लागू है, इसके बावजूद भी बाहर के लोगों ने यहां की जमीन खरीद बिक्री की। जो सरकारी पदाधिकारी हैं, उन्होंने ही संविधान में निहित कानून का उल्लंघन किया है। इसलिए कह सकते हैं कि जिन्होंने यहां की जमीन को बेचा, नौकरी को बेचा, वे नक्सली और अपराधी हैं।
यहां की जनता तो कानून को मानने वाली है। उन्होंने कहा कि जमीन के मालिक को नौकरी नहीं मिली। बाहर के लोग आकर यहां नौकरी कर रहे हैं। अपनी जमीन बचानी है तो हर एक घर से एक युवा को इस आंदोलन में भागीदारी देनी होगी। नहीं तो जिस संघर्ष और बलिदान के बाद झारखंड का निर्माण हुआ है, उन शहीदों का बलिदान पैरों तले कुचल कर रह जाएगा।
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