गंगोत्री प्रसाद सिंह/हाजीपुर (वैशाली)। उत्तर बिहार के सारण और वैशाली जिला को जोड़नेवाली गंडक नदी पर हाजीपुर में सन 1874 में बना पहला रेल पुल जो ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा बनाया गया था। आज बिहार सरकार की उदासीनता की वजह से और मरम्मत के अभाव में अपनी अंतिम सांसे गिन रहा है।
ज्ञात हो कि, इस गंडक रेल पुल से तिरहुत और सारण के साथ ही यूपी के पूर्वांचल के गोरखपुर व् पूर्वोत्तर राज्य असम का संपर्क रेल मार्ग बना है। हाजीपुर और सोनपुर में कार्तिक मेला के अवसर पर लगने वाला कौनहारा घाट गंगा स्नान मेला और सोनपुर हरिहर क्षेत्र मेला में आने वाले दर्शनार्थियों के लिए इस पुल के दोनों ओर पैदल आने जाने वाले के लिए पटरी भी लगाई गई, जिससे पैदल यात्री आते जाते रहे।
इस पुल के उत्तर रेल द्वारा नया पुल बन जाने के बाद इस पुल का उपयोग छोटी बड़ी गाड़ियों का आने-जाने का मुख्य मार्ग हो गया। यह पुल 9 स्तंभों पर टीका लोहे का गटर से बना 450 मीटर लंबा पुल है, जिस पर गंडक नदी पर सड़क पुल बन जाने के बाद भारी वाहनों का आना-जाना बंद कर दिया गया। इस पर सिर्फ मोटरसाइकिल, ऑटो और चार चक्का की गाड़ियों को आने जाने की अनुमति दी गई।
पिछले 25 वर्षों से इस पुल का मरम्मत का कार्य नहीं किया जा सका है। बरसात में गाटर में पानी जमा होने से इसमें लगे नट बोल्ट जंग लगने के कारण खराब हो गए। पानी की निकासी नहीं होने की वजह से गाटर में भी जगह-जगह जंग लग गया, जिससे कई जगह लोहे में जंग लग गई है। साथ ही उक्त पुल के दोनों छोर पर बने पैदल गामी पथ का मरम्मत नहीं होने की वजह से भी क्षतिग्रस्त हो गया है।
सूत्रों के मुताबिक उक्त पुल में हल्की दरार आ जाने की बात फैली है, जिसके तहत अधिकारियों ने जांच हेतु फिलहाल पुल को आवाजाही हेतु बंद कर रखा है। इस गंडक पुल की देखरेख का जिम्मा लोक निर्माण विभाग का है। लोक निर्माण विभाग के हाजीपुर के कार्यपालक अभियंता द्वारा इस पुल का निरीक्षण के बाद इसमें आई कर्मियों को दूर करने के लिए सरकार के पास एस्टीमेट भेजा गया है।
फंड उपलब्ध होने पर इसका मरम्मत कार्य होगा।सारण और वैशाली जिले को पिछले 150 सालों से अधिक समय से जोड़ने वाली स्तंभित पुरानी गंडक पुल आवाजाही के लिए फिलहाल बंद कर दिया गया है।
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