विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला: तब और अब
प्रहरी संवाददाता/सारण (बिहार)। सारण जिला के हद में सोनपुर के साधुगाछी स्थित सभागार में युग बोध द्वारा हरिहर क्षेत्र मेला को लेकर समीक्षा बैठक किया गया। बैठक में क्षेत्र के क्षेत्र के वयोवृद्ध कवि को सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर क्षेत्र के वरिष्ठ साहित्यकार सुरेन्द्र मानपुरी ने कहा कि हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेला का धार्मिक पक्ष मजबूत रहते हुए भी इसका धार्मिक रुप से विस्तार हो उसके प्रति सरकार की या हमारी मंशा कभी नहीं रही है। उन्होंने कहा कि मेले में पूर्व की अपेक्षा भीड़ बढ़ी है। यह भीड़ बाजार की भीड़ है। कहा कि इसे हम भूल गए हैं कि इस भीड़ या व्यापार का आधार भी यहां का धार्मिक पक्ष ही है।
उन्होंने मेला की व्यवस्था के स्तर एवं गिरावट पर चिंता प्रकट करते हुए कहा कि मेला के पहुंच पथों के निर्माण और चौड़ीकरण की निरंतर अनदेखी हो रही है। कई ऐसे सड़क और पुल पुलिया हैं जिनकी सरकारी स्तर पर लगातार उपेक्षा हो रही है।
साहित्यकार मानपुरी यहां सारण जिला के हद में श्रीगजेन्द्र मोक्ष देवस्थानम दिव्य देश (नौलखा मंदिर) के सभा कक्ष में साहित्यिक संस्था युग बोध द्वारा आयोजित हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेला: तब और अब विषयक विचार गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
समारोह की अध्यक्षता सुरेन्द्र मानपुरी तथा संचालन युग बोध के संस्थापक संयोजक एवं पत्रकार ए के शर्मा कर रहे थे। इस अवसर पर कवि व् गीतकार सीताराम सिंह को संस्था की ओर से अंग वस्त्र भेंट कर सम्मानित किया गया।
मानपुरी ने अपने वक्तव्य में मेले के इतिहास पर व्यापक चर्चा करते हुए कहा कि इस वर्ष वर्षा से प्रभावित दो दिनों के मेला को छोड़ दें तो अद्भुत भीड़ दिखी। यह भीड़ बाजार की भीड़ थी। भीड़ में विस्तार हुआ है। इस बाजार की भीड़ या कहिए व्यापार पक्ष की भीड़ का आधार भी धार्मिक पक्ष ही है।
इस मेले से पर्यटक या यात्री जो कुछ भी खरीद कर ले जाते हैं उसे बाबा का आशीर्वाद समझकर ही ले जाते हैं। उन्होंने मेला के धार्मिक पक्ष की मजबूती का उदाहरण देते हुए कहा कि बाबा हरिहर नाथ मंदिर परिसर के विकास से देश में मंदिर और क्षेत्र की प्रतिष्ठा बढ़ी है।
उन्होंने कहा कि जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी लक्ष्मणाचार्य जी ने अपने गुरु का आज्ञा पालन करते हुए श्रीगजेन्द्र मोक्ष देवस्थानम मंदिर का निर्माण कराया था। उन्होंने इस बात पर असंतोष व्यक्त किया कि देश के सभी बड़े मेलों में धर्माचार्यों को पार्श्व में ही बड़ी भूमिका होती है। उद्घाटन के समय मंगलाचरण उन्हीं के मुखारविंद से होता है।
पर यहां तो धीरे धीरे मेला की बैठकों से ही धर्माचार्य गायब हो गए। कहा कि पहले मेला कमिटी में हरिहरनाथ, गजेन्द्र मोक्ष आदि के महंत भी सदस्य होते थे। उनके विचारों और सुझाव को भी गंभीरता से लिया जाता था।
उन्होंने कहा कि भौतिक स्तर पर बात करें तो मेला क्षेत्र में नमामि गंगे घाट का निर्माण इस बार की बड़ी प्रगति दिखाई दी। दीपोत्सव की सांस्कृतिक परंपरा, हरिहरक्षेत्र मेला कलश यात्रा, हरिहरक्षेत्र पंचकोसी यात्रा, नारायणी महा आरती आदि इसी कड़ी की झलक है।
विचार गोष्ठी में अधिवक्ता उदय प्रताप सिंह ने मेला के वैदिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और आधुनिक इतिहास पर अपने शोधों को सार रुप में वर्णित किया।
पूर्व सैनिक शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि मठ-मंदिर समन्वय का स्थल है। परंतु साधु गाछी और हथसार वास स्थल बनता जा रहा है। स्थानीय रहिवासी इस मेले के प्रति उदासीन रहे हैं। मेला दिन प्रतिदिन ह्रास मुखी हो रहा है। उन्होंने मेले के विकास में सारण के पूर्व डीएम आर के श्रीवास्तव की देन की सराहना की।
हरिहर क्षेत्र जन जागरण मंच के संस्थापक अनिल कुमार सिंह ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री लगातार हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला की अनदेखी कर रहे हैं तो एकजुट होकर प्रधान मंत्री और राष्ट्रपति को मेला में बुलाने के लिए लगातार पत्र व्यवहार शुरु करना चाहिए। जरुरी हुई तो मुख्यमंत्री से भी मिला जा सकता है। विचार गोष्ठी को गीतकार सीताराम सिंह ने संबोधित करते हुए कहा कि मेला अवधि में उत्तरोत्तर वृद्धि को उन्होंने देखा है पर मेला का आदि इतिहास आज भी अनुसंधान का विषय है।
पत्रकार शंकर सिंह ने कहा कि मेला को अवनति से बचाने के लिए सबका साथ जरूरी है। समाजवादी चिंतक ब्रज किशोर शर्मा, युवा समाजसेवी अविनाश शर्मा, नौलखा मंदिर के व्यवस्थापक बाबा नंद किशोर राय ने भी विचार गोष्ठी में महत्वपूर्ण सुझाव दिए। विचार गोष्ठी में स्थानीय विद्यालय के शिक्षक मुकेश कुमार शर्मा सहित अनेक गणमान्य मौजूद थे। धन्यवाद ज्ञापन राजू सिंह द्वारा किया।
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