गंगोत्री प्रसाद सिंह/हाजीपुर (वैशाली)। मध्य बिहार को उत्तर बिहार से जोड़नेवाली मुख्य कड़ी वैशाली जिला मुख्यालय हाजीपुर शहर की आबादी सन् 1980 में कुल 60 हजार के लगभग थी। तब महात्मा गाँधी सेतु के निर्माण के बाद हाजीपुर उत्तर बिहार और नेपाल का प्रवेश द्वार बन गया।
बाहरी लोग यहां रहने के लिय जमीन खरीदकर बेतहाशा मकान बनाना शुरू किये। तब से अबतक हाजीपुर शहर की आबादी दो लाख के पार पहुंच गया, लेकिन यह शहर आज भी अपनी पुराने ढंर्रे पर क़ायम है। हाजीपुर शहर की आबादी तो बढ़ी लेकिन सूरते हाल नहीं बदला है।
ज्ञात हो कि, वर्ष 1980 के मुकाबले सन् 2000 आते आते हाजीपुर की आबादी एक लाख से ऊपर हो गया। बाजार भी बढ़ा। साथ ही सन् 2004 में रेल का जोनल ऑफिस खुल गया। वो भी हाजीपुर पासवान चौक के पास सैकड़ो इंडस्ट्री लगने से हाजीपुर शहर की आबादी में बेतहासा बृद्धि हुई। आज हाजीपुर शहर की आबादी 2 लाख को पार कर चुकी है।
इन सबके बावजूद हाजीपुर शहर को व्यवस्थित ढंग से वसाने की नगर परिषद और स्थानिय जन प्रतिनिधियो की जो ज़िम्मेवारी थी, उसे इन लोगों ने पूरा नही किया। गत 30 वर्ष से नगर पालिका हाजीपुर के जो भी अध्यक्ष य़ा उपाध्यक्ष य़ा वार्ड पर्षद हूए उन्होंने केवल नगरपालिका के फंड का दोहन किया।
बिना कोई शहरी योजना (टाउन प्लान) के कहीं उंची सड़के बना दी, तो कहीं सड़क से ऊंचा नाला बना दिया। ज़िसका नातिजा वर्षात में नाला से पानी नहीं निकलता है। नातिजा यह होता है कि आधा हाजीपुर शहर वर्षात मे नाला कीचर मे डूबा रहता है।
नगर परिषद के जनप्रतिधियों ने हाजीपुर का प्रमुख मार्ग सदर अस्पताल रोड, कचहरी रोड, सिनेमा रोड के नाले पर हीं अपने सगे सम्बंधियो के नाम पर दुकान एलॉट कर दिया। ज़िससे नाले की सफाई ठीक से नही हो पाती। पुलिस प्रशासन की लापरवाही की वजह से यहां की सड़को पर दुकानदारो और सब्जी विक्रेताओं का कब्जा है।
ज़िससे राहगीरो को आने जाने मे परेशानी होती है। होस्पिटाल रोड मे जाम की वजह से मारीजो को अस्पताल पहुंचने मे घंटो कड़ी मशक्क़त करनी पड़ती है। जानकारी के अनुसार एक दिन प्रशासन यहां की सड़को से अतिक्रमण हटाती है, दुसरे दिन फिर ज्यो का त्यो स्थिति बन जाती है।
314 total views, 1 views today