गुप्तेश्वर पांडेय को नहीं मिला टिकट तो कांग्रेस ने खेला ब्राह्मण कार्ड

सन्तोष कुमार झा/मुजफ्फरपुर(बिहार)। बिहार (Bihar) के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पाण्डेय  को एनडीए से टिकट नहीं मिलने पर बिहार में सियासत शुरू हो गई है। कांग्रेस ने इस पर सीधा ब्राह्मण कार्ड खेल दिया है। पार्टी के नेता प्रेमचंद्र मिश्र ने तंज कसते हुए उनके (गुप्तेश्वर पांडेय) गलत पार्टी में शामिल होने की बात कही है। कांग्रेस नेता मिश्र ने कहा कि पाण्डेय जैसे लोगों के लिए जदयू बनी ही नहीं है। जदयू ने कभी ब्राह्मणों के लिए कुछ नहीं किया। इन्हें दूसरा रास्ता तलाशना चाहिए। वहीं जदयू ने बचाव करते हुए कहा कि सिर्फ टिकट के बिना पर किसी की राजनीति को नहीं समझना चाहिए। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व आगे की जिम्मेदारियों को तय करेंगे।
बिहार विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने के बाद पूर्व डीजीपी ने पहली बार मीडिया से बात की। पांडेय ने बिहार की किसी भी विधानसभा सीट से चुनाव का टिकट नहीं मिलने के मसले पर कहा कि राजनीति में कभी-कभी ऐसा होता है कि जैसे आप सोचते हैं वो नहीं होता। मैं पार्टी का सजग सिपाही हूं। मैं ठगा नहीं गया हूं। बिहार के सीएम नीतीश कुमार किसी को ठगते नहीं हैं। पांडेय ने कहा कि राजनीति में बहुत सारी मजबूरियां होती हैं। अब एनडीए को सोचना है कि मैं क्या करूंगा। मैं कहना चाहूंगा कि पार्टी का सच्चा सिपाही हूं। बहरहाल गुप्तेश्वर पांडेय का टिकट कटने पर जो भी सियासत हो। आंकड़े बताते है कि सीट बंटवारे में अधिकतर राजनीतिक दलों ने ब्राह्मणों को हिस्सेदारी देने से परहेज किया है।
*बिहार में जाति आधारित आबादी प्रतिशत में*
दरअसल, कांग्रेस के नेता जो दावा कर रहे हैं उससे भी यह बात जाहिर हो रही है। यहां तक कि आबादी के अनुरूप भी ब्राह्मणो को हिस्सेदारी नहीं दी गई है। मोटे तौर पर विभिन्न जातियों की अनुमानित संख्या पर नजर डालते हैं। इसके तहत बिहार में अत्यधिक पिछड़ी जाति 21.1 प्रतिशत, मुस्लिम 14.7, यादव 14.4, ब्राह्मण 5.7, महादलित 10, दलित 4.2, कायस्थ 1.5, भूमिहार 4.7, राजपूत 5.2, कुर्मी 5.0 और बनिया 7.1 प्रतिशत हैं। बता दें कि ये सभी अनुमानित आंकड़े हैं। अब आइए हम एक नजर डालते हैं कि बिहार की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने किस जाति के उम्मीदवारों पर अधिक भरोसा जताया और किसे किनारे किया।
जनता दल यूनाइटेड ने 115 सीटों में से सबसे अधिक 67 प्रत्याशी पिछड़ा-अति पिछड़ा वर्ग से उतारे हैं। इनमें पिछड़ा वर्ग से 40 प्रत्याशी हैं। जिनमें सबसे ज्यादा 19 यादव, 12 कुर्मी और तीन वैश्य समुदाय के लोगों को टिकट दिया गया है। वहीं, अति पिछड़ा समुदाय से 27 प्रत्याशी उतारे हैं। जिनमें 8 धानुक और 15 कुशवाहा शामिल हैं। जदयू ने 115 सीटों में से 19 सीटें सवर्ण समुदाय के लोगों को दी है, जिनमें सबसे ज्यादा 8 भूमिहार, 7 राजूपत और दो ब्राह्मण प्रत्याशियों को टिकट दिया है। बिहार के अनुसूचित जाति समुदाय के उम्मीदवारों को 17 टिकट दिए हैं। अनुसूचित जनजाति को एक टिकट दिया है। इसके अलावा पांच अनुसूचित जाति वाली सीटें जीतनराम मांझी की पार्टी को दे रखी है। यही नहीं जेडीयू ने बिहार की 11 सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं। राजद ने पहले चरण की 42 सीटों में 19 यादव, तीन कोइरी, तीन मुस्लिम, एक-एक राजपूत, भूमिहार, ब्राह्मण, दो वैश्य, आठ अनुसूचित जाति, एक अनुसूचित जनजाति और तीन अति पिछड़ी जाति के प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने पहले चरण की 21 सीटों पर प्रत्याशियों में सबसे ज्यादा 14 टिकट सवर्ण समुदाय को दिया है। इनमें भूमिहार को 6, राजपूत को 5, ब्राह्मण को 2 और कायस्थ प्रत्याशी 1 हैं। वहीं, एससी से 4, पिछड़ा वर्ग से 2 और मुस्लिम समुदाय को एक टिकट दिया है।
बीजेपी ने पहले चरण की 27 उम्मीदवारों में सबसे अधिक 16 सीटों पर सवर्ण समुदाय से आने वाले चेहरे पर भरोसा जताया है, लेकिन ब्राह्मण उम्मीदवारों की संख्या यहां भी कम है। बीजेपी ने 7 टिकट राजपूत प्रत्याशियों को दिए गए हैं, 6 भूमिहार और 3 ब्राह्मणों को टिकट देकर अपने कोर वोट बैंक को साधने की कोशिश की है। साथ ही 3 यादव प्रत्याशियों को टिकट देकर बीजेपी ने आरजेडी के मूल वोट बैंक में सेंध लगाने का दांव चला है। इसके अलावा 3 अनुसूचित जाति, एक आदिवासी, एक वैश्य, एक बिंद, एक दांगी और एक चंद्रवंशी को बीजेपी ने टिकट दिया है। बीजेपी ने 5 महिला प्रत्याशी उतारे हैं और तीन नए चेहरे को भी टिकट दिया है।

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