एस. पी. सक्सेना/समस्तीपुर (बिहार)। महिलाओं द्वारा लिया जानेवाला समूह का लोन अब जानलेवा साबित हो रहा है।
महिलाएं घर-परिवार चलाने में कर्ज ले लेती हैं, लेकिन आमदनी के अभाव के कारण समय पर न कर्ज चुका पाती है और न ही ब्याज भर पाती हैं। फलत: कर्ज बढ़ता चला जाता है। माइक्रो फाइनेंस कर्मी महिलाओं को घर पर आकर अपमानित करते हैं। राशि अदा नहीं करने पर घर में ताले लगा देते हैं। उठाकर ले जाने की धमकी, जेल भेज देने की धमकी तक दिया जाता है। इसके कारण महिलाओं को उल्टे पति का प्रताड़ना झेलना पड़ता है।
अंततः किंकर्तव्यविमूढ़ होकर कर्जदार महिलाएं आत्महत्या करने को विवश हो जाती हैं। समस्तीपुर नगर निगम के भगीरथपुर में महिला द्वारा आत्महत्या का मामला हो या फिर जीतवारपुर के कर्जदार महिला द्वारा ट्रेन से कटकर जान देने जैसे रोज-व-रोज घटने वाले अनेकानेक मामला समूह के कर्ज से जुड़ी रहती है। उक्त बातें महिला संगठन ऐपवा सह भाकपा माले राज्य कमिटी सदस्य बंदना सिंह ने 21 मार्च को संवाददाताओं से एक अनौपचारिक भेंट के दौरान कही।
उन्होंने लगातार दलित- गरीबों के गांव- टोले में बैठक से प्राप्त जानकारी का हवाला देते हुए कहा कि माइक्रो फाइनेंस कंपनी के कर्मी महिलाओं को लोन के प्रति प्रेरित कर लोन उठवा देते है। लोन से प्राप्त रुपये आवश्यक एवं अनावश्यक कार्य जैसे मोबाइल, दो पहिया वाहन, कपड़े, तीर्थ यात्रा, सूद दर सूद देने, बढ़ती महंगाई आदि में खर्च हो जाता है। इधर ब्याज बढ़ता जाता है। काम या फिर आमदनी के अभाव में न तो कर्ज और न ही सूद चुकाना संभव होता है।
उपर से फाइनेंस कर्मी लगातार कर्जदार महिला को हर तरह से प्रताड़ित करते है। कई जगह तो कर्जदार महिला को गहने, जमीन तक बेचना पड़ता है। उन्होंने कहा कि शायद ही कोई पंचायत हो जहां दो-चार परिवार कर्ज के डर से पंचायत छोड़कर दूसरे राज्यों में कमाने के लिए भागा न हो।
कई महिलाएं फाइनेंस कर्मी या फिर उनके बाउंसर के प्रताड़ना मसलन घर पर चढ़कर मारने-पीटने की धमकी देना, पुलिस बुलाना, जेल भेज देना, घर में ताला लगा देना आदि झेल नहीं पाती हैं और किंकर्तव्यविमूढ़ होकर आत्महत्या जैसे घातक कदम उठा लेती हैं, जो उचित नहीं है।
महिला नेत्री बंदना सिंह ने सरकार से समूह का लोन माफ करने, महिलाओं के लिए काम की व्यवस्था करने, मुख्यमंत्री लघु उद्यमी योजना का 2-2 लाख रूपये सहयोग समिति की महिलाओं को देने, ग्रामीण महिलाओं को मनरेगा में काम एवं 6 सौ रुपए मजदूरी देने, अन्य राज्यों की भांति बिहार में भी 2 सौ यूनिट बिजली फ्री देने, 5 सौ रूपए में रसोई गैस सिलेंडर देने, महिलाओं के खाते में प्रति महीना 3-3 हजार रूपए देने, राशन के चावल-गेहूं के साथ चीनी, तेल, चना, दाल आदि देने, सामाजिक सुरक्षा पेंशन 3 हजार रूपए महीना देने जैसे कल्याणकारी योजना के जरिए कर्जदार महिलाओं की सहायता में सरकार को आगे की मांग की है, ताकि कर्जदार महिलाएं कर्ज के जाल से मुक्ति पा सके।
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