बिरहोरडेरा व् काशीटांड के रहिवासियों द्वारा इफ़्तेख़ार महमूद का अभिनन्दन

बारह वर्ष बाद बिरहोरडेरा और काशीटांड में बिजली आपूर्ति बहाल

प्रहरी संवाददाता/गोमिया (बोकारो)। बारह वर्षो के लंबे इंतजार के बाद बोकारो जिला के हद में गोमिया प्रखंड के बिरहोरडेरा और काशीटांड में बिजली आपूर्ति बहाल की गई है। इस अवसर पर ग्रामीणों ने उत्साहित होकर भाकपा नेता और झारखंड आंदोलनकारी इफ्तेखार महमूद का परंपरागत रीति रिवाज से स्वागत किया।

ज्ञात हो कि, दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्रीत्व काल में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण के तहत उक्त गांवों का विद्युतिकरण किया गया था, किंतु कुछ ही दिनों में तकनीकी गड़बड़ी के कारण बिजली आपूर्ति बाधित हो गयी। इसके बाद लगभग 12 वर्ष तक यहां विद्युत आपूर्ति बंद रहा। बीते वर्ष भाकपा राजद जन अभियान ने बिरहोरडेरा, काशीटांड और आसनापानी में बिजली आपूर्ति पुन: बहाल करने के लिए लगातार अभियान चलाया।

इसे लेकर गोमिया के पूर्व विधायक माधव लाल सिंह, पूर्व विधायक डॉ लंबोदर महतो ने भी आवाज उठाया गया, किंतु आंदोलनकारी इफ्तेखार महमूद के निरंतर प्रयास ने प्रशासन से लेकर राज्य के ऊर्जा विभाग तक को प्रभावित किया और बिजली विभाग ने सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए प्रभावित गांव में कार्यों में तेजी लाकर अंततः बिजली आपूर्ति करने में सफल रहा। प्रणामस्वरूप काशीटांड और बिरहोरडेरा एक दशक बाद फिर से रोशनी से जगमगा गया।

इसे लेकर 2 जून को बिरहोरडेर, काशीटांड एवं आसनापानी के ग्रामीणों द्वारा भाकपा राजद जन अभियान के संयोजक इफ़्तेख़ार महमूद तथा सह संयोजक अरुण यादव का अभिनंदन किया। अभिनंदन समारोह को संबोधित करते हुए जन अभियान के संयोजक महमूद ने कहा कि चुनाव संपन्न हुए अभी एक साल भी नहीं बीते हैं, लेकिन रहिवासियों में निराशा, हताशा तथा दु:ख देखने को मिलने लगा है। कहा कि गोमिया क्षेत्र का प्रतिनिधित्व बदल गया, लेकिन क्षेत्र में कोई उत्साह नहीं है। पेयजल का संकट यथावत कायम है, पलायन बढता जा रहा है। इसके लिए एक और आंदोलन की जरूरत है।

सह संयोजक यादव ने पलायन रोकने के लिए झारखंड में निर्माण कार्यों को बढ़ावा देने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि पलायन रोकने के लिए न्यूनतम मजदूरी कानून का पालन आवश्यक है। अभिनन्दन समारोह में भाकपा के गोमिया अंचल सचिव सोमर मांझी, किसान सभा के देवानंद प्रजापति, मुकुंद साव, राजेश करमाली, अनवर रफी, चमन केवट, जीतू सिंह, रामेश्वर सोरेन, रमेश मांझी, भादो मांझी व् उपरोक्त गांव की महिला- पुरुष, बुजुर्ग आदि ने भाग लिया।

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