कलाकारों के गीत एवं नाट्य प्रस्तुति ने दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध
एस. पी. सक्सेना/समस्तीपुर (बिहार)। भाकपा माले की जन सांस्कृतिक मंच (जसम) की राज्य स्तरीय सांस्कृतिक यात्रा में शामिल कलाकारों को 18 अगस्त कॉ समस्तीपुर स्टेशन चौक पर स्थानीय जसम की ईकाई ने माला पहनाकर स्वागत किया। तत्पश्चात कलाकारों ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की मूर्ति पर माल्यार्पण किया।
जसम जिला अध्यक्ष प्रोफेसर स्नेहलता कुमारी की अध्यक्षता में संक्षिप्त सभा का आयोजन किया गया। सभा को संबोधित करते हुए जसम के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य प्रो. सुरेन्द्र सुमन ने कहा कि वर्तमान में देश भयंकर महंगाई एवं बेरोजगारी से कराह रहा है।
दवाएं महंगी हो गई है। शिक्षा के निजीकरण ने शिक्षा व्यवस्था की रीढ़ तोड़ दी है। उन्होंने कहा कि पिछले 7-8 वर्षों से देश को सांप्रदायिक उन्माद की आग में सुनियोजित तरीके से झोंका जा रहा है। अब समाज के तमाम प्रबुद्ध जनों को आगे आना होगा। आज देश को सांझी विरासत की हिफाजत और सामाजिक- सांस्कृतिक सौहार्द की आवश्यकता महसूस हो रहा है।
प्रो. सुमन ने कहा कि फासिस्ट राजनीतिक शक्तियां देश में सामाजिक- सांस्कृतिक विभाजन की लगातार कोशिश कर रही है। झूठ का इतिहास गढ़ा जा रहा है। नफरती और सांप्रदायिक माहौल बनाएं रखने के लिए “काश्मीर फाईल्स” जैसी सांप्रदायिक फिल्में टेक्स फ्री कर दिखाई जा रही है।
खास- खास समुदाय के प्रति नफरत पैदा की जा रही है। इसके लिए धड़ल्ले से साधु, संतों, प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया समेत सोशल साइट्स का इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज स्वाधीनता के मूल्यों को बचाने की जरूरत है।
नई पीढ़ी और आम-अवाम को यह बताने की जरूरत है कि कुछ ब्रिटिश दलालों को छोड़कर स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई हिंदू- मुस्लिम- सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध, दलित, आदिवासी ने मिलकर लड़ी थी। स्वतंत्रता संग्राम के सांझी विरासत को आगे बढ़ाना और स्वाधीनता संग्राम में अर्जित जनवादी मूल्यों की हिफाजत करना हमारे लिए फौरी टास्क है।
इसी के तहत जन संस्कृतिक मंच की केंद्रीय सांस्कृतिक टीम ने अपने कार्यक्रम आजादी के 75वें वर्ष के अवसर पर गीत, जनगीत, नाटक, संवाद के माध्यम से जन सांस्कृतिक यात्रा “आजादी का 75वां साल- उठो मेरे देश” के नारा से फासिस्ट सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए जनता को जागृत व सचेत करने का संकल्प लिया है। यह यात्रा आम- अवाम की संवेदना और चेतना को जागृत करने के साथ ही फासीवादी संस्कृति के प्रतिरोध का आह्वान करती है।
प्रो. सुमन ने कहा कि जसम बिहार आप तमाम प्रगतिशील, जनवादी, लोकतांत्रिक व अमन-चैन पसंद आम अवाम, श्रमिकों, रंगकर्मियों, रचनाकारों, बुद्धिजीवियों, एक्टिविस्टों से अपील करती है कि वे इस जन सांस्कृतिक यात्रा अभियान में शामिल होकर जनतांत्रिक मूल्यों की हिफाजत के लिए इस संघर्ष में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें।
मौके पर माले जिला स्थाई समिति सदस्य ललन कुमार, सुरेन्द्र प्रसाद सिंह, माले राज्य कमिटी सदस्य बंदना सिंह ने सभा को संबोधित किया। तत्पश्चात जसम के कॉ गुलाब, जनकवि कृष्ण कुमार निर्मोही, प्रमोद यादव, नाट्य निर्देशक राजू कुमार रंजन, कॉ अभय, ननकू पासवान, सहायक निर्देशक मनोज कुमार, पुनित समेत अन्य कलाकारों ने हारमोनियम, ढ़ोलक, डफली, मजीरा के धुन पर एक से बढ़कर एक क्रांतिकारी, जनवादी एवं जनगीत प्रस्तुत कर रहिवासियों कॉ मन्त्रमुग्ध कर दिया।
जनवादी गीतों में “हम हैं इसके वारिस हिंदोस्तां हमारा”, “अपनों से नहीं रहे दूर-दूर आ कदम से कदम मिला”, “नौकरी मिलतो न सरकारी जाकर बेचो तरकारी”, “मिलल कईसन आजादी जहाँ मिलत न ही पानी”, “के हमरा गांधीजी के गोली मारले हो धमा धम तीन गोली”, “लाजिम है कि हम भी देखेंगे”, डा० सुरेन्द्र प्रसाद द्वारा लिखित गीत “भारत के मजदूर-किसानों जागो तो तुफान जगे” गाकर कॉ राजू कुमार रंजन ने कार्यक्रम समाप्ति की घोषणा की।
कार्यक्रम को सफल बनाने में जसम के अरविंद आनंद, संजय कुमार, रौशन रजक, अमलेंदू कुमार, माले के सुरेन्द्र प्रसाद सिंह, ललन कुमार, अनील चौधरी, राजकुमार चौधरी, उमेश राय, अरुण राय, आइसा के सुनील कुमार, आदि।
लोकेश राज, दीपक यदुवंशी, मनीषा कुमारी, रविरंजन कुमार, रौशन कुमार, धीरज कुमार, राजू कुमार झा, सोनू कुशवंशी आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कार्यक्रम का संचालन दरभंगा जसम के जिला सचिव कॉ समीर ने किया।
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