अवध किशोर शर्मा/सोनपुर (सारण)। बिहार प्रदेश इंटरमीडिएट शिक्षक-शिक्षकेत्तर कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रोफेसर वशिष्ठ नारायण सिंह ने बीते 29 दिसंबर को राज्य सरकार पर इंटर शिक्षा एवं माध्यमिक शिक्षा को गर्त में ले जाने का आरोप लगाया।
प्रो. सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा कि जांच के नाम पर पिछले दो वर्षों से बिहार के 599 प्रस्वीकृत इंटर महाविद्यालयों का अनुदान रोक रखा गया है। राज्य सरकार तथा शिक्षा विभाग इंटर शिक्षा एवं माध्यमिक शिक्षा को गर्त में ले जा रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार पहले मध्य विद्यालय को उत्क्रमित कर माध्यमिक विद्यालय में परिणत किया। फिर सभी हाई स्कूल को +2 में उत्क्रमित कर दिया। यह बिहार के लिए काला अध्याय है। इसलिए कि इन उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय+ 2 इंटर विद्यालय में पढाने के लिए न शिक्षक है और न कमरा, डेक्स, बेंच या कमरा।
उन्होंने कहा कि इन विद्यालयों में आधारभूत संरचनाओं की कमी को दूर किए बिना पढाई की स्वीकृति दी गई। 40 छात्र-छात्राओं के नामांकन की स्वीकृति दिया गया। उन्होंने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति पर आरोप लगाया कि बिहार में 599 प्रस्वीकृत इंटर महाविद्यालय को जांच के नाम पर दो वर्षों से उलझाकर रखा गया है।
इन विद्यालयों का छह-सात वर्षों का अनुदान रोक रखा गया है।उन्होंने आरोप लगाया कि जांच में धांधली, अनियमितता तथा जिला स्तर पर त्रिसदस्यीय समिति कॉलेजों को परेशान के साथ-साथ आर्थिक शोषण- दोहन कर रही है।जांच-प्रक्रिया में जानबूझकर कर विलंब किया जा रहा है।
31 दिसंबर अंतिम रुप से संबद्धता लेने की तिथि निर्धारित है। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति एक साजिश के तहत अधिकांश कॉलेजों की मान्यता समाप्त करने वाली है। बिहार सरकार जो अनुदान देती थी उसे जांच में उलझाकर खत्म करना चाह रही है।अगर यही दशा रहा तो बिहार की शिक्षा बद से बदतर हो जायेगी।
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