प्रहरी संवाददाता/पेटरवार (बोकारो)। विस्थापित नेता काशीनाथ केवट ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Jharkhand CM Hemant Soren) को 26 फरवरी को एक पत्र प्रेषित कर विधानसभा के वर्तमान चालू बजट सत्र में ही खतियान आधारित स्थानीय नीति एवं नियोजन नीति को घोषित किये जाने की मांग की है।
केवट ने सीएम को प्रेषित पत्र में कहा गया है कि झारखंड अलग राज्य आंदोलन के मूल में यही मुद्दे प्रमुख रूप से शामिल था। दिशोम गुरू शिबू सोरेन ने खतियान आधारित स्थानीय नीति की बातें हर मौके पर कहा भी है। पत्र में उल्लेखित विंदुओ के अनुसार विगत 21 बर्षो के झारखंड राज्य में अबतक स्थानीय नीति को परिभाषित नहीं किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।
पत्र में उन्होंने कहा है कि पूर्ववर्ती भाजपा-आजसू सरकार (BJP- Ajsu Government) द्वारा घोषित स्थानीय नीति को निरस्त कर चालू सत्र में ही खतियान आधारित स्थानीय नीति घोषित किया जाना उचित होगा। बता दें कि केवट ने वर्ष 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को इन्हीं मुद्दों पर पत्र प्रेषित किया था, लेकिन उन्होने कुछ किया नहीं।
उन्होंने कहा कि बर्षो तक अलग झारखंड राज्य (Jharkhand State) में झारखंड की सरकारें इस संवेदनशील मुद्दे पर राजनीतिक रोटियाँ सेंकती रही है, जबकि झारखंडियों की पहचान और अस्मिता से जुड़ा हुआ यह एक ज्वलंत सवाल है।
उन्होंने मांग किया है कि सर्वोच्च न्यायालय के 2 जनवरी 2002 के उस फैसले को झारखंड में कडाई से लागू किया जाय, जिसमें कहा गया है कि कोई भी भारतीय नागरिक दो राज्यों का निवासी नहीं हो सकता। उन्होंने यह भी उल्लेख किया है कि रोजगार के सवाल पर आन्ध्रप्रदेश की तर्ज पर झारखंड में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दिया जाय।
उल्लेखनीय है कि संविधान के अनुच्छेद 371 डी के आधार पर आन्ध्रप्रदेश में चतुर्थ वर्ग से लेकर राज्यस्तरीय सभी पदों पर वहाँ के मूल निवासियों की बहाली में प्राथमिकता दी गयी है। काशीनाथ ने कहा कि यह आन्ध्रप्रदेश में हो सकता है तो झारखंड में क्यों नहीं ?
उन्होंने मुख्यमंत्री के माध्यम से केन्द्र सरकार से भी मांग की है कि 1956 में बने लोक नियोजन अधिनियम में झारखंड को शामिल कर मणिपुर और आन्ध्रप्रदेश की तर्ज पर 20 वर्षो तक स्थानीय लोगों को नौकरी में विशेष अधिकार दिये जाने का प्रावधान किया जाय।
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