एलपीजी की एजेंसियां व ट्रांस्पोर्टरों पर बढ़ा दबाव
मुश्ताक खान /मुंबई। कोरोनाकाल में जहां लोगों को खाने के लाले पड़े हैं, वहीं रसोई गैस उत्पादक कंपनियों के अधिकारी एलपीजी की एजेंसियों पर हावी होते जा रहे हैं। इनमें एचपीसीएल (HPCL), बीपीसीएल (BPCL) और आईओसीएल (IOCL) के अधिकारी 19 केजी के व्यवसायिक सिलेंडरों को अधिक से अधिक बेचने के लिए एजेंसियों पर दबाव बना रहे हैं। ताकि उनको वाह-वाही के साथ-साथ प्रमोशन भी मिले।
जबकि मौजूदा समय में छोटे-मोटे कल कारखाने, गैरेज, घरेलू उद्योग और होटल व्यवसाय की कमर टूट चुकी है। जिसके कारण 19 केजी के सिलेंडरों की खपत में भारी गिरावट आई है। वहीं इन कंपनियों के अधिकारी व कर्मचारी एक के बाद एक हथकंडे आजमाते जा रहे हैं। इससे ट्रांस्पोर्टर, गैस एजेंसियां और उपभोक्ताओं की परेशानियां बढ़ सकती हैं।
गौरतलब है की सरकारी आदेशों की वजह से कोरोनाकाल में छोटे-मोटे कल कारखाने, गैरेज, घरेलू उद्योग और होटल व्यवसाय लगभग बंद हैं। इसके बाद भी एचपीसीएल, बीपीसीएल और आईओसीएल के अधिकारियों द्वारा 19 केजी के व्यवसायिक सिलेंडरों को अधिक से अधिक बेचने के लिए दबाव दिया जा रहा है। क्योंकि व्यवसायिक सिलेंडरों की खपत में भारी गिरावट आई है। इसे सहज ही न केवल मुंबई, महाराष्ट्र बल्कि पूरे देश में देखा जा सकता है।
बता दें की उत्पादन अधिक हो रहा है। वहीं व्यवसायिक सिलेंडरों की खपत में भारी गिरावट आई है जिसके कारण ट्रांस्पोर्टरों को भी विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ता है। एक ट्रांस्पोर्टर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया की मौजूदा परिस्थितियों में ड्राईवर, क्लीनर का वेतन और बैंकों की किश्त देना भारी पड़ रहा है।
उन्होंने बताया की पहले जहां आठ से दस ट्रिप 19 केजी के एलपीजी सिलेंडरों को हम लोग एजेंसियों तक पहुंचाते थे। अब बमुश्किल दो से तीन ट्रिप ही लग पाता है। ऐसे मे किश्त देना या अपना घर चलाना बेहद मुश्किल हो गया है।
ट्रांस्पोर्टर ने बताया की हम लोग गैस एजेंसियों पर दबाव नहीं डाल सकते चूंकि माल बिकने के बाद ही वाहन खाली होता है। उन्होंने बताया की फिलहाल बाजार में खरीददारों का अभाव है, तो एजेंसी या गाड़ी वाले क्या कर सकते हैं। इन बातों को भलीभांति देखने व समझने के बाद भी उपरोक्त कंपनियों के अधिकारी अपने प्रमोशन के चक्कर में लगातार 19 केजी के व्यवसायिक सिलेंडरों को बेचने का दबाव बना रहे हैं।
वहीं एक एजेंसी के मालिक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया की वर्ष 2020 के लॉक डाउन का बकाया लाखो रूपये मुझे अभी तक नहीं मिला, तो किसके पास व्यवसायी सिलेंडरों को बेचा जाए? उन्होंने बताया की मौजूदा समय में एक वाहन में कुल 19 केजी के 306 से 550 सिलेंडर लोड होते हैं और इसे बेचने में करीब दो से तीन दिन का समय लग जाता है।
इसके अलावा एक अन्य एजेंसी के मालिक ने बताया की अगर अधिकारियों को यह पता चल गया की उपरोक्त विषय की जानकारी किसी एजेंसी वाले ने दी है तो उसकी शामत आ जाएगी। इन्हीं कारणों से कोई भी खुल कर बोलना नहीं चाहता।
विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एलपीजी गैस एजेंसियों की दो संस्थाएं हैं। इनमें एक संस्था सिर्फ महाराष्ट्र में काम करती है जबकि दूसरी संस्था राष्ट्रीय स्तर पर काम कर रही है। इन दोनों संस्थाओं द्वारा ओएमसीएस के नियमों का हवाला देकर कई बार पेट्रोलियम मंत्रालय को विभिन्न विषयों की जानकारी दी गई।
लेकिन एजेंसियों की समस्याओं को सुलझाने के बजाय यहां के अधिकारी प्रमोशन के चक्कर में और उलझा देते हैं। इस मुद्दे पर एचपीसीएल रीफिलिंग प्लांट की चीफ रीजनल मैनेजर से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया, जिसके कारण उनकी प्रतिक्रिया नहीं लिखी जा सकी।
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