संदर्भ:-आदिवासियों पर बढ़ती घटनाओं के रोकने तथा संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा
ए. के. जायसवाल/पेटरवार (बोकारो)। आदिवासियों पर बढ़ती घटनाओं के रोकने तथा संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा की मांग को लेकर गोला प्रखंड स्तरीय रूढ़िवादी पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था ने राज्यपाल से भेंटकर ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में कहा गया कि झारखंड राज्य के रामगढ़ जिला के हद में गोला प्रखंड के आदिवासियों, खासकर संथाल समुदायों पर अत्याचार, दमन, हिंसा, हत्या, बलात्कार जैसी घटनाएं बढ़ती जा रही है। कहा गया कि, बीते 4 अक्टूबर से 4 नवंबर के दौरान वाहनों से कुचलकर कुल 8 आदिवासियों की हत्या को अंजाम दिया गया।
इसकी सूचना राज्यपाल को पहले ही आवेदन के माध्यम से दी जा चुकी है। पिछले 4 अक्टूबर को घरेलु जलावन के लिए मोटर साईकिल से कोयला ढो रहे दो ग्रामीण संथाल युवकों 18 वर्षीय सागर हेम्ब्रम और 27 वर्षीय अजीत हेम्ब्रम की गोला थाना के पीसीआर वाहन से कुचलकर बेरहमी से हत्या कर दी गई। ये दोनों युवक भुमूई गांव, हँसापोड़ा पंचायत के थे।
कहा गया कि घटना के अगले दिन गोला थाना जाकर न्याय की मांग कर रहे मृतकों के परिजनों, ग्रामीणों और आदिवासियों, महिलाओं को जेएमएम जिलाध्यक्ष बिनोद किस्कू के कहने पर उसके अंगरक्षक ने पहले बंदूक के कुन्दा से पीटा। फिर मौके पर मौजूद कांग्रेस के पूर्व विधायक ममता देवी ने भी ग्रामीणों के साथ गाली-ग्लौज किया। गोला पुलिस ने ग्रामीणों, आदिवासियों पर बेरहमी से लाठी चार्ज किया और आंसू गैस के गोले भी दागे। आंदोलनकारियों पर गर्म पानी भी फेंका गया।
ज्ञापन में कहा गया कि दूसरी घटना बीते 4 नवंबर को गोला प्रखंड के हद में ग्राम बांदा, टोला पिपराजारा की है, जब सोहराई परब के मौके पर अपने गांव में स्त्री-पुरुष, बच्चे-बूढ़े और जवान मिलकर सामुहिक रूप से नाच रहे थे। संथाल आदिवासियों को रजरप्पा पुलिस थाना की बोलेरो क्रमांक- JH01BG/4500 से कुचलकर निर्मम तरीके से 4 ग्रामीणो की हत्या कर दी गई। मृतकों में दो महिला 45 वर्षिया मुनिया देवी, 25 वर्षिया बिलासी देवी, छह वर्षिया रोशनी कुमारी और डेढ़ साल का निरंजन मांझी शामिल हैं।
तीसरी घटना बोकारो जिला के हद में गोमिया प्रखंड के गांव घघरी, पंचायत बड़कीपुनू की है, जहां बीते 30 अक्टूबर को सुबह स्कूल जा रही कक्षा 10 की प्रिया कुमारी (16 वर्ष) को बालू भरे ट्रैक्टर से कुचलकर हत्या कर दी गई। उपरोक्त घटनाओं में मृतकों के परिवारों को प्रशासन एवं राज्य सरकार से समुचित मुआवजा नहीं दिया गया। नौकरी भी नहीं दिया गया। ऐसे घटनाओं में पुलिस प्रशासन का संलिप्त होना बेहद शर्मनाक और चिंताजनक है। अतः पारंपरिक स्वशासन गोला परगना के ज्ञापन-13 के माध्यम से हमारी मांग है कि उपरोक्त घटनाओं के सभी मृतक परिवारों को समुचित मुआवजा और हरेक परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दिया जाए। उपरोक्त घटनाओं की जांच करते हुए सभी दोषियों को अविलंब गिरफ्तार कर जेल भेजा जाए।
साथ ही इन घटनाओं में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप में संलिप्त या जिम्मेदार, नेता, दलालों या आपराधिक व्यक्तियों पर कड़े कानूनी कार्रवाई की जाए। उपरोक्त घटनाओं की न्यायिक जांच की जाए और इसके लिए जांच समिति गठित की जाए, जिसमें आदिवासी सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों को भी रखा जाए। उपरोक्त घटनाओं को लेकर न्याय की मांग कर रहे 33 ग्रामीण और 500 अज्ञात पर दर्ज केस मुकदमे को अविलंब रद्द किया जाए। भविष्य में ऐसी घटनाओं और आदिवासियों के मानव अधिकारों और संवैधानिक अधिकारों के हनन को रोका जाए तथा उनके संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा की गारंटी की जाए।
कहा गया कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृति न हो जिसके लिए स्थानीय थाना पुलिस और स्थानीय प्रशासन एवं जिला प्रशासन की जवाबदेही भी सुनिश्चित की जाए। प्रतिलिपि मुख्यमंत्री झारखंड सरकार, आदिवासी कल्याण आयुक्त झारखंड अजयनाथ झा, हजारीबाग तथा गिरिडीह सांसद को भी प्रेषित किया गया।
राज्यपाल संतोष गंगवार को राजभवन रांची में ज्ञापन सौंपने वालों में पारंपरिक स्वशासन गोला परगना के प्रतिनिधियों में बारनराम मांझी, दिनेश कुमार हेम्ब्रम गोला जोग परगना, प्रयाग मांझी चितरपुर प्रखंड परगना, महेश किस्कू चितरपुर प्रखंड जोग परगना, शुकू मांझी गोला प्रखंड पाराणिक, साधुराम मांझी गोला प्रखंड जोग पाराणिक, दशरथ मांझी, हीरालाल मुर्मू अध्यक्ष रामगढ़ जिला ग्राम सभा मंच, ओमप्रकाश मांझी सचिव रामगढ़ जिला ग्राम सभा मंच, रामप्रसाद मुर्मू, गोला प्रखंड जोग मांझी, जितलाल हांसदा, बाबूचंद किस्कू, बुधनी देवी, गुरुलाल हांसदा, सीतोल किस्कू, बद्रीनाथ किस्कू, मनोज मुर्मू, बाबूदास टुडू, महाबीर मांझी व् अन्य उपस्थित थे।
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