रंजन वर्मा/कसमार (बोकारो)। स्वास्थ्य एवं पर्यावरण संरक्षण संस्थान के संरक्षक पूर्व सांसद प्रो. यदुनाथ पांडेय ने 11 अप्रैल को गरगा नदी में व्याप्त प्रदूषण का निरीक्षण किया गया।
बोकारो की गंगा मानी जानेवाली पवित्र गरगा नदी में व्याप्त प्रदूषण के निरीक्षण के क्रम में पाया गया कि इस नदी में चास नगर निगम और बोकारो इस्पात नगर के आवासीय कॉलोनियों के गंदे नालों का प्रदूषित पानी लगातार प्रवाहित होकर इसकी जलधारा को भयंकर रूप से प्रदूषित कर रहा है। यह पौराणिक नदी जिसका संबंध भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के लिए आयोजित यज्ञ से है एवं यह ऋषि श्रेष्ठ गर्ग द्वारा तपोबल से भूगर्भ से उत्पन्न की गई है। वह एक गंदे नाले के रूप में तब्दील हो गई है। साथ ही इसके किनारों को अतिक्रमित भी कर लिया गया है।
प्रो. पांडेय ने इस नदी की दुर्दशा देखकर अत्यंत दु:खी हो कहा कि वे जल्द ही दिल्ली जाकर भारत सरकार के केंद्रीय इस्पात मंत्री, केंद्रीय पर्यावरण मंत्री, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य के मुख्यमंत्री से इस नदी को प्रदूषण और अतिक्रमण मुक्त करने हेतु बात करेंगे। इस अवसर पर संस्थान के महासचिव शशि भूषण ओझा ‘मुकुल’ ने कहा कि विगत कई वर्षों से गरगा नदी को प्रदूषण और अतिक्रमण मुक्त करने हेतु संस्थान द्वारा लगातार आंदोलन चलाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि बोकारो डीसी ऑफिस से मात्र सौ मीटर की दूरी पर स्थित इस नदी के किनारों पर आमजनों द्वारा खुलेआम हर रोज मल-मूत्र त्याग करना जिला प्रशासन के मुंह पर तमाचे की ही तरह है।
जबकि, यह पूरा क्षेत्र ओडीएफ घोषित है। गरगा नदी में व्याप्त प्रदूषण के निरीक्षण के कार्यक्रम में शशि भूषण ओझा ‘मुकुल’, रघुवर प्रसाद, मृणाल कांति चौबे, लक्ष्मण शर्मा, वीरेंद्र चौबे, स्वामी सत्य कृष्ण महाराज, गौरी शंकर सिंह, डी के त्रिवेदी, गौरी शंकर झा, मिथिलेश शर्मा, मदन मोहन तिवारी, अभय कुमार गोलू, मनीष झा, नागमणि सिंह सहित कई पर्यावरण संरक्षक मौजूद थे।
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