विस्थापितों ने पसीना बहाया है, जरूरत पड़ने पर खून बहाएंगे-उमाकान्त
फिरोज आलम/जैनामोड़ (बोकारो)। विस्थापित अस्तित्व को लेकर बोकारो विस्थापित मंच के बैनर तले आयोजित विस्थापित समागम 26 सितंबर को स्वर्गीय अकलू राम महतो एवं स्व इमामुल हई खान की स्मृति में टिकैत मनमोहन सिंह के नेतृत्व में खेलाचंडी मैदान सेक्टर 4 में आयोजित किया गया।
समागम में खास यह कि यहां कोई फ़ोटो लगा बैनर नहीं दिखा। गेट नही दिखा। प्रदर्शन में भाग लेने के लिए भाड़े की गाड़ी नहीं दिखा। सिर्फ विस्थापितो की भीड़ दिखी। जिसमे महिलाओं की अच्छी भागीदारी थी।
इस अवसर पर उपस्थित विस्थापितों को संबोधित करते हुए राज्य के पूर्व मंत्री सह मुख्य संरक्षक उमाकान्त रजक ने कहा कि विस्थापित समागम में आये विस्थापितों के बहे पसीना का वे न्याय दिलाएंगे। यदि जरूरत पड़ेगा तो अपना खून भी देंगे। लेकिन विस्थापित अधिकार, सम्मान एवं मांग से समझौता नहीँ करेंगे।
वे बीएसएल प्रबंधन को बाध्य कर देंगे। बस समागम में मिले समर्थन जैसा आप सभी समर्थन जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि प्रबंधन को मांगों को लागू करने के लिए बहुत समय दिया गया है। लेकिन प्रबंधन के कान में अबतक जूं नहीं रेंगा है। इसे जगाने के लिए थोड़ी सी बल विस्थापित लगाएंगे।
उन्होंने कहा कि बोकारो विस्थापित मंच 20 गांवों में पंचायत चुनाव, जमीन वापसी, चतुर्थ वर्ग में आरक्षण, अप्रेंटिस की सीधी नौकरी के साथ अन्य मांग से सरकार को उसके विस्थापित दायित्व को स्मरण कराने के सीएम एवं राज्यपाल से दुर्गा पूजा तक मंच मिलेगा।
उसके बाद आगामी 20 अक्टूबर को उपायुक्त कार्यालय पर धरना एवं 27 अक्टूबर को प्लांट के अंदर ईडी बिल्डिंग पर जोरदार प्रदर्शन करेंगे।
मुख्य संयोजक सह पूर्व विधायक योगेश्वर महतो बाटुल ने कहा कि मंच के माध्यम से प्रबंधन को मांग भी दिया और समय भी दिया। आग्रह को प्रबंधन ने विस्थापितों की कमजोरी समझ लिया है। बीएसएल प्रबंधन को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। विस्थापित समझ चुके हैं। प्रबंधन हमेशा विस्थापित के संघर्ष को प्रशासन की ओर मोड़ देता है और स्वयं को बचा लेता है।
उन्होने कहा कि मंच प्रबंधन को ऐसा चक्रव्यूह में घेरेगा कि प्रबंधन को कोई बचाने वाला नही मिलेगा। विस्थापितों के पैरों तले पनाह मांगना पड़ेगा। विस्थापितो को सम्मान के साथ अधिकार देना होगा।
पूर्व विधायक बाटुल ने कहा कि जमीन देकर विस्थापित अब दर दर की ठोकर नही खाएंगे। एशिया का बड़ा कारखना बनाया है। इसका लाभ का एहसास विस्थापितों को होना चाहिए। यह सुनिश्चित जब तक बीएसएल नही करेगा, तब तक विस्थापित चुप बैठने वाले नही है।
उन्होंने कहा कि विस्थापितों को अधिकार से बंचित रखने के लिए प्रबंधन ने जनप्रतिनिधि के माध्यम से जमीन लूट का रास्ता बनाया है। हॉस्पिटल बीजीएच में बनना चाहिये, लेकिन सेक्टर 12 में बन रहा है।
यह जमीन लूट का साजिश है। नरकेरा में स्टेडियम बनाकर जमीन का व्यवसाय बढ़ाने की योजना है। जिसे विस्थापित जान रहे हैं। प्रबंधन व् जनप्रतिनिधि का गठजोड़ का पर्दाफ़ाश हो चुका है।
मुख्य सलाहकार साधु शरण गोप ने कहा कि भूमि अधिग्रहण कानून लागू करो, चतुर्थ श्रेणी के पद का आरक्षण, अप्रेंटिस की सीधी बहाली, विस्थापित कर्मचारी सेल का गठन मांग नही अधिकार है। इससे विस्थापितों को बंचित रखना संविधान का मजाक उड़ाना है। इसका अपराधी बीएसएल प्रबंधन है।
सभा के अध्यक्षता कर रहे संयोजक हाकिम प्रसाद महतो ने कहा कि विस्थापित एकता के लिए हुई जुटान में विस्थापितों का जोश ने विस्थापितों के उज्ज्वल भविष्य की बुनियाद रख दिया है। अब विस्थापित नेतृव विहीन नही रहेंगे। अबतक नेतृत्व विहीन से प्रबंधन बचके निकल जाता था।
अब प्रबंधन के लिए बच निकलना मुश्किल होगा। मौके पर चास प्रमुख सरिता देवी, मुख्य सलाहकार साधु शरण गोप, कॉ गुलाब चंद्र , हाजी हसनुल्ला अंसारी, बायसी सदर मन्नान अंसारी, हसनुल्लाह अंसारी, सहदेव साव, रघुनाथ महतो, मुखिया मंतोष सोरेन, मुखिया मुख्तार अंसारी, डोमन राम महतो, अरुण महतो, धीरेन्द्र नाथ गोस्वामी, अयूब अंसारी, अजय कुमार कुशवाहा, टीना देवी, मिस्वाउद्दीन अंसारी, सचिन महतो, इरफान अंसारी, आदि।
अयाज अंसारी, जियाउल हक़, मीना देवी, लखन सोरेन, रंजीत महतो, सुनील महतो, बंधन शर्मा, गुप्ता रजवार, सुधीर हरि, शंकर लाल गोप, अजय महतो, भगवान साहू, हक़ बाबू, चंद्रकांत महतो, महानंद गुप्ता, चौहान महतो, सरोज महतो, भैरव महतो, प्रताप सिंह, धर्मेंद्र महतो, अलाउद्दीन अंसारी आदि ने भी संबोधित किया।
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