चौदह अवगुणों से युक्त रावण के अंत के लिए श्रीराम को वनवास-अनुराधा

प्रहरी संवाददाता/पेटरवार (बोकारो)। पेटरवार प्रखंड के हद में अंगवाली स्थित मैथानटुंगरी धर्म-संस्थान में आयोजित श्रीराम चरित मानस नवाहन पारायण महायज्ञ के अवसर पर 17 मार्च को शष्टम रात्रि प्रवचन के दौरान महारानी कैकेई का कोपभवन में जाना, महराज दशरथ से अपनी दो लंबित मांगों को मांगना एवं भगवान राम के वन गमन की कथा विशेष रूप से प्रस्तुत किया गया।

धर्म नगरी अयोध्या धाम से पधारी मानस माधुरी अनुराधा सरस्वती ने प्रसंग का बेवाक विश्लेषण करते हुए बताया कि भगवान राम को चौदह वर्ष का वनवास क्यों दिया गया? विद्वानों के अनुसार मंथरा ने केवल दो वरदानों की बात कही थी, परन्तु कैकेई अम्बा ने मां सरस्वती की प्रेरणा से ही चौदह वर्ष का वनवास मांगा।

क्योंकि रावण की आयु में अब केवल चौदह वर्ष ही शेष रह गया था। अतः इससे अधिक मांगने की कोई जरूरत नहीं थी। इससे कम तो मांगा ही नहीं जा सकता था। उन्होंने कहा कि दूसरा कारण यह कि श्रीराम चरित मानस के अनुसार रावण में 14 प्रकार के अवगुण समावेश थे। जिसका वर्णन लंका कांड में आया है।

चौदह अवगुणों में वाम मार्गी, कामी, कंजूस, अत्यंत मूढ़, अति दरिद्र, बदनाम, अतिबूढ़ा, नित्य का रोगी, निरंतर क्रोधी, भगवान विष्णु से विमुख, वेद और संतों का विरोधी, अपना ही शरीर पोषण करने वाला, पराई निंदक तथा महान पापी। इस प्रकार रावण के भीतर छिपे इन चौदह अवगुणों को समाप्त कर उसका अंत करने हेतु मां सरस्वती की प्रेरणा से भगवान राम को 14 वर्ष का वनवास दिया गया।

मानस माधुरी अनुराधा ने यह स्पष्ट किया कि इस तरह 14 प्रकार के अवगुण जिन मनुष्यों के भीतर छिपे होते हैं, वे जीवित रहते हुए भी मरे हुए के समान हैं। मानस के इस प्रसंग के सार को बहुत गंभीरता से समझने की जरूरत है। जो लोग इस रहस्य को समझ लेंगे, मानो रामायण के साथ साथ अपनी जीवन की सार्थकता भी जान जाएंगे।

इसके पूर्व प्रातः नित्य व्यास अनिल पाठक एवं मंडली द्वारा धारा प्रवाह मानस पाठ दोपहर तक किया गया। धर्म अनुरागी छोटे, बड़े, स्त्री, पुरुष श्रद्धालुओं ने यज्ञ स्थल का परिक्रमा किया।

संस्थापक गौरबाबा, पूजारी रामपद बाबा, राजेश चटर्जी, राजकुमार, शिवकुमार चटर्जी, मंच संचालक संतोष नायक, झांकी मास्टर संजय मिश्रा, समिति अध्यक्ष सत्यजीत मिश्रा, कार्यकारी अध्यक्ष रामबिलास रजवार, मुखिया धर्मेंद्र कपरदार, पवन विश्वकर्मा, चंदन रविदास, आदि।

नीतीश मिश्रा, बैजनाथ रविदास, सुरेश सिंह, बरूण मिश्रा, आकाश मिश्रा, उत्तम रजवार, नरेश कमार, मिथिलेश सिंह, अंगद रजवार, राजेंद्र सिंह, भगवान दास, संजय विश्वकर्मा आदि यज्ञ को सफल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।

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