प्रहरी संवाददाता/कसमार (बोकारो)। भाषा -खतियान आन्दोलन की पहली वर्षगांठ 25 दिसंबर को बोकारो जिला के हद में टेनुघाट डेम परिषर में मनाई गई। उक्त बातें झारखंड खतियान संघर्ष समिति के इमाम सफी ने दी।
उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष आज ही के दिन 25 दिसंबर 2021 को बोकारो-धनबाद में मगही, भोजपुरी भाषा लागु करने के विरुद्ध बोकारो के बिरसा चौक में ग्यारह स्थानीय विधायको का पुतला दहन कर आंदोलन का आगाज किया गया था। जिसमें मुख्यतः इमाम सफी, आकाश तीर्थनाथ , दयनीय बानुआर, घनश्याम महतो, सोहराय हांसदा, हलधर महतो, विकास महतो, शुभाष महतो, राजेश ओझा, गुलाम हुसैन आदि क्रांतिकारी मौजूद रहे।
प्रेस को संबोधित करते हुए इमाम सफी ने कहा कि इस भाषाई आन्दोलन को बहुत जल्द झारखंड के हर जिला, प्रखंड व गांव स्तर तक पहुंचाया जाएगा। देखते ही देखते तमाम आन्दोलनकारी की मदद व चट्टानी एकता व तिब्रता से बैठक, पुतला दहन, मानव श्रृंखला, सभा, सम्मेलन, पद यात्रा, साईकल यात्रा, खतियान रथयात्रा, धरना,भूख हड़ताल, विधानसभा घेराव हर स्तर पर हुआ।
जिसका प्रभाव आज 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति व नियोजन नीति झारखंड सरकार ने पास करके राज्यपाल के पास भेजा है।
उन्होंने कहा कि इसमें अभी भी कई गड़गड़ी है। सरकार नौवी अनुसूची का प्रावधान जोड़ दिया जो बहुत ही चिंता की बात है। जिसे सुधार कर पहले झारखंड में लागू कर दिया जाय। तभी झारखंड का वास्तविक पहचान, रोजगार, भ्रष्टाचार मुक्त राज्य बन सके।
उन्होंने कहा कि राज्य बने 22 वर्ष बीत चुका है, लेकिन कोई विकास व बदलाव नहीं हो सका है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस, जेएमएम, आजसू व बीजेपी पार्टी ने झारखंड मे बारी-बारी से शासन, शासन कम शोषण व दोहन ज्यादा किया है। देश का सबसे अमीर राज्य होते हुए भी सबसे ज्यादा गरीबी, बेरोजगारी, पलायन, अशिक्षा, कुपोषण, भ्रष्टाचार झारखण्ड में है।
इसलिए मेहरबानी होगी झारखंड में कहीं भी इन पार्टियों की प्रचार बिल्कुल न करें। झारखंड को बर्बाद करने में इन्ही पार्टियों का हाथ है।
इस अवसर पर पहली वर्षगांठ 25 दिसंबर को बोकारो के टेनुघाट परिसर में सम्मान समारोह के रूप में मनाया गया। जिसमें इस दिन नए झारखंड व सुखी झारखंड के लिए आवश्यक मानक- पहचान, शिक्षा,स्वास्थ्य, रोजगार, भ्रष्टाचार पर आगे की रणनीति पर चिंतन-मंथन किया गया। आन्दोलनकारी का सम्मान किया गया।
कार्यक्रम में अमरनाथ महतो, भुवनेश्वर महतो, संतोष महतो, कृष्ण किशोर, परवेज आलम, अनंत कनहरयार, प्रशांत कुमार महतो, अशोक हिन्दियार, गुलाम हुसैन, राजेश औझा, अभिषेक, मिथिलेश महतो, प्रदीप कुमार आदि क्रांतिकारी साथी मौजूद रहे।
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