नीलगाय के कहर से खेती छोड़ चुके किसानों में बंधी आस

गंगोत्री प्रसाद सिंह/हाजीपुर (वैशाली)। आयेदिन नीलगाय (घोड़परास) द्वारा उनका फसल चट कर दिए जाने के कारण परेशान हाल वैशाली जिले के किसानों ने खेती करना लगभग छोड़ दिया था। घोड़परासो के आतंक से मुक्ति दिलाने के लिये सूट आउट का अभियान चलाया जा रहा है, जिससे यहां के किसानों में अब एक आस जगने लगा है।

जानकारी के अनुसार घोड़परास की वजह से पूरे वैशाली जिले के किसानों ने अरहर, मक्का, चना, गेहूं, धान, केला सहित कई फसलों को उपजाना लगभग छोड़ दिया था। जिले के हर गांव में इनकी संख्या इतनी हो गई है कि घेरेबन्दी के बाद भी फसलों का बचना मुश्किल है।

ज्ञात हो कि घोड़परास की वजह से ही कई मोटरसाइकिल सवार दुर्घटना ग्रस्त होकर अपनी जान गवा चुके हैं।सरकार द्वारा ग्राम पंचायत की मुखिया द्वारा मांग किये जाने पर जिला के वन विभाग की टीम द्वारा इन घोड़परासो के आतंक से मुक्ति दिलाने के लिये सूट आउट का अभियान चलाया जा रहा है।

इसी संदर्भ में वैशाली जिला के हद में लालगंज अंचल के शितल भकुरहर पंचायत के किसानों की मांग पर पंचायत की मुखिया अलका देवी ने अन्नदाता किसानों को जंगली जानवर घोड़परास से मुक्ति दिलाने के लिये जिलापदधिकारी तथा वन विभाग को अनुरोध पत्र भेजा गया। जिसके आलोक में वन विभाग की ओर से एक टीम शितलभकुरहर पंचायत में पहुंची।

बताया जाता है कि वन विभाग के अधिकारियों ने सुरक्षा की दृष्टि से सबसे पहले पंचायत की मुखिया प्रतिनिधि और गांव के युवकों के सहयोग से पंचायत के सभी रहिवासियों को घोड़परास को मारने की कार्यवाही के दौरान अपनी अपनी खेतो में न जाने औऱ बूढ़े तथा बच्चों को घर पर रहने की मुनादी कराई।

वन विभाग के शूटरो ने पूरे पंचायत में घूम घूम कर 50 से ज्यादा जंगली घोड़परास को मार गिराया। वन विभाग के शूटरो ने गर्भवती तथा बच्चा घोड़परास को निशाना नही बनाया। मुखिया प्रतिनिधि के सहयोग से पंचायत के युवाओं द्वारा सभी मृत घोड़परासो के शव को मिट्टी में दफनाया गया।

सरकार द्वारा की गई इस कार्यवाही से पंचायत के अन्नदाता किसानों को जंगली घोड़परास के आतंक से मुक्ति मिली। इसके लिये पंचायत वासी मुखिया को साधुवाद दे रहे हैं।

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