आलू उत्पादक की बर्बादी की कहानी, किसानों की जुबानी
एस. पी. सक्सेना/समस्तीपुर (बिहार)। देश के अन्नदाता का फसल की अच्छी उपज के बाद भी हाल बेहाल है। 13-14 रूपये बीज खरीदकर रोपे गये आलू, किसान 5-6 रूपये किलो बेचने को मजबूर है। इसमें भी किसानों की आंखें खरीददार के इंतजार में टकटकी भरी निगाहों से देख रही है।
इस संबंध में समस्तीपुर जिला (Samastipur district) के हद में ताजपुर प्रखंड के मोतीपुर के आलू उत्पादक किसान रवींद्र प्रसाद सिंह ने 2 मई को एक भेंट में बताया कि वे 13-14 रूपये किलो बीज खरीदकर आलू की खेती किये थे। महंगी डीजल के कारण महंगी खेत जुताई, खाद- खल्ली डालने, सिंचाई, मजदूरी देने के बाद जब फसल तैयार हुआ तो खरीददार गायब है।
उन्होंने बताया कि अगली फसल के लिए पैसे की जरूरत है, लेकिन आलू का खरीददार मिल ही नहीं रहा है। 2-3 खरीददार आकर 5-6 रूपये प्रति किलो दाम (कीमत) लगाया। पड़ोस के किसानों ने तो इसी दर में अपने आलू बेच दिये, लेकिन रवींद्र प्रसाद सिंह कुछ बेहतर कीमत के इंतजार में है।
मोतीपुर (Motipur) के हजन किसान दिनेश सिंह, फतेहपुर के रामरतन सिंह आदि ने भी आलू की कीमत कम रहने की बात बताई। उन्होंने बताया कि अगर 10-12 रूपये किलो आलू बिकता तो फसल की लागत उपर हो पाता। इस कीमत पर तो उन्हें घाटा ही घाटा है।
किसान सह अखिल भारतीय किसान महासभा के ताजपुर प्रखंड अध्यक्ष ब्रहमदेव प्रसाद सिंह ने कहा कि किसानों द्वारा केसीसी से कर्ज लेकर खेती किया गया था। बेहतर उत्पादन के बाद भी वे पूरी तरह घाटे में हैं। अब न लोन चुका पा रहे हैं, और न अगली फसल के लिए रूपये की जुगाड़ कर पा रहे हैं।
भाकपा माले प्रखंड सचिव सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने सरकार से आलू की खरीद करने, केसीसी लोन माफ करने, अगली फसल के लिए नि:शुल्क खाद, बीज, कृषि यंत्र आदि उपलब्ध कराने की मांग की है।
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