सोनपुर में सांस्कृतिक संगम रामायण का दूसरा दिन
अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। सारण जिला के हद में हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेला में सांस्कृतिक संगम की प्रस्तुति रामायण का मंचन किया जा रहा है।सुप्रसिद्ध बाबा हरिहरनाथ मंदिर के निकट काली घाट – पहलेजा घाट मुख्य सड़क के दक्षिण मही नदी किनारे बने विशाल पंडाल में सलेमपुर सांस्कृतिक संगम की प्रस्तुति रामायण मंचन के दूसरे दिन गंगा अवतरण का मंचन किया गया। रामायण में वर्णित गंगा अवतरण प्रसंग को देख व् सुनकर दर्शक अभिभूत हो गए।
ज्ञात हो कि, रामचरित मानस एक विलक्षण महाकाव्य है, जिसमें भक्ति, ज्ञान और समाज विज्ञान का मूल तत्व समाहित है। हनुमान जैसे भक्त भरत जैसे ज्ञानी भाई, सीता जैसी पत्नी दशरथ जैसे पिता और राम जैसा पुत्र सब के सब सर्वश्रेष्ठ आदर्शों की प्रयोगशाला जैसे दिखते हैं।
सोनपुर मेला में 26 नवंबर को दूसरे दिन रामायण में वर्णित गंगा अवतरण प्रसंग का मंचन किया गया, जिसे देख दर्शक अभिभूत हो गए। दूसरे दिन रामायण मंचन में गंगा अवतरण प्रसंग के अंतर्गत भागीरथ की परमार्थिक कठोर तपस्या फलीभूत होकर गंगा को धरती पर आने के लिए विवश करती है। भागीरथ का सर्व हिताय में किया गया यह भागीरथी प्रयास आज भी जनमानस में आदर्श रूप में व्याप्त है।
मुख्य प्रसंग राम विवाह अपने आप में कई संदेश दे गया। उस युग में भगवान श्रीराम के क्रांतिकारी विचार कई रूढ़िगत परंपराओं को तोड़ते हैं। सर्वविदित है कि जनक पुत्री सीता महाराज जनक को बाजपेय यज्ञ के समय हल चलाते हुए खेत में नवजात शिशु के रूप में मिली थीं।कुल-गोत्र, पितृ विहीन सीता को श्रीराम ने भार्या के रूप में स्वीकार किया था। यह घटना अपने आप में क्रांतिकारी विचारधारा को प्रतिस्थापित करती है।
वर्तमान समय में नारी स्वतंत्रता और विमर्श को लेकर जिस तरह बात हो रही है, अगर हम गौर से देखें तो उस युग में नारी अपने वर को चुनने के लिए पूर्ण स्वतंत्र थी। ऐसे ऐतिहासिक एवं पौराणिक उदाहरण हमारे शास्त्रों में मिल जाएंगे, जो उस युग में नारी स्वतंत्रता के दृष्टांत को प्रमाणित रूप में प्रस्तुत करते हैं।
सीता स्वयंवर के अंतर्गत एक और प्रसंग राष्ट्र की एकता और संप्रभुता को अक्षुण्ण रखने के लिए विश्वामित्र की दूर दृष्टि ध्यान देने योग्य है। रावण का बढ़ता प्रभुत्व आर्यावर्त पर संकट के रूप में मंडरा रहा था। अलग-अलग राज्यों में बंटा आर्यावर्त रावण के विस्तारवादी अभियान को रोकने में अक्षम्य था। इन्हीं परिस्थितियों को दृष्टि में रखते हुए विश्वामित्र की दूरदर्शिता ने आर्यावर्त के दो बड़े राज्य अयोध्या और मिथिला को मांगलिक सूत्र में बांधकर एक अखंड आर्यावर्त के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अतः रामायण के ये सारे प्रसंग गूढ़ रहस्यों से भरे पड़े हैं। आज का मंचन इन्हीं प्रसंगों पर आधारित रहा।
रामायण में संसार के हर प्रश्न का व्यावहारिक एवं आदर्श उत्तर-मानवेन्द्र त्रिपाठी
रामायण में संसार के हर प्रश्न का व्यावहारिक एवं आदर्श उत्तर है।रामायण एक तरह से प्रकाश स्तंभ की तरह है, जो अंधेरे में हमारा मार्ग प्रशस्त करता है। राष्ट्र, समाज और जीवन की दिशा क्या होनी चाहिए, यह रामायण में राम के जीवन से अनुभुत की जा सकती है, क्योंकि राम एक ऐसे नरश्रेष्ठ या अवतार हैं जिन्होंने वाणी से नहीं आचरण से जीवन दर्शन को प्रस्तुत किया।
उपरोक्त बातें सोनपुर मेला में यूपी के भारत प्रसिद्ध सलेमपुर सांस्कृतिक संगम के निदेशक मानवेन्द्र त्रिपाठी ने कही। उन्होंने कहा कि रामायण की कथा सीधे लोक से जुड़ती है। रामायण में राम का व्यक्तित्व असाधारण होते हुए भी अपने साधारण जीवन से संपूर्ण मानव जाति का नेतृत्व करते हैं। इसीलिए रामायण के नायक राम समस्त जनमानस में विशेषकर युवाओं में ज्यादा प्रासंगिक हो सकते हैं।
वे इस वर्ष 2024 के मेले में 9वीं बार सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करने पहुंचे हैं। रामायण मंचन बीते 25 नवम्बर से आगामी एक दिसम्बर तक चलेगा। सलेमपुर सांस्कृतिक संगम के निदेशक मानवेन्द्र त्रिपाठी बताते हैं कि सांस्कृतिक संगम अपने मूल उद्देश्य से जुड़ा हुआ है। यह संस्था अपनी सांस्कृतिक धरोहर एवं संस्कृति को पुनर्जीवित कर रहा है।
उन्होंने बताया कि रामायण एक तरह से प्रकाश स्तंभ की तरह है, जो अंधेरे में हमारा मार्ग प्रशस्त करता है। संसार के हर प्रश्न का व्यावहारिक एवं आदर्श उत्तर रामायण में है। राष्ट्र समाज और जीवन की दिशा क्या होनी चाहिए, यह रामायण में राम के जीवन से अनुभुत की जा सकती है। क्योंकि राम एक ऐसे नरश्रेष्ठ या अवतार हैं जिन्होंने वाणी से नहीं आचरण से जीवन दर्शन को प्रस्तुत किया। इसीलिए रामायण की कथा सीधे लोक से जुड़ती है। उन्होंने बताया कि रामायण में राम का व्यक्तित्व असाधारण होते हुए भी अपने साधारण जीवन से संपूर्ण मानव जाति का नेतृत्व करते हैं।
इसीलिए रामायण के नायक राम समस्त जनमानस में विशेषकर युवाओं में ज्यादा प्रासंगिक हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि सर्वप्रथम सांस्कृतिक संगम के कलाकारों ने वर्ष 2012 में यहां रामायण मंचन शुरु किया था।
46 total views, 10 views today