एस. पी. सक्सेना/बोकारो। भारत रत्न एम. विश्वैश्व रैया के जन्मदिन अभियंता दिवस के अवसर पर बोकारो जिला के हद में सीसीएल कथारा क्षेत्र के गोविंदपुर फेज टू में कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
जानकारी के अनुसार गोविंदपुर फेज दो खुली खदान जीरो पॉइंट खान प्रबंध कार्यालय कक्ष में 15 सितंबर को कार्यक्रम का आयोजन किया गया। अध्यक्षता क्षेत्र के महाप्रबंधक संजय कुमार तथा संचालन स्वांग गोविंदपुर के परियोजना पदाधिकारी ए. के. तिवारी ने की।
इस अवसर पर महाप्रबंधक संजय कुमार ने कहा कि समाज के विकास में इंजीनियर का अद्वितीय योगदान होता है। बिना इंजीनियर की हम किसी भी औद्योगिक प्रतिष्ठान, घर, कृषि अथवा कार्यप्रणाली की कल्पना तक नहीं कर सकते है।
उन्होंने कहा कि मोक्षगुंडम विश्वेश्व रैया ने इंजिनियरिंग के क्षेत्र में देश को अभूतपूर्व योगदान दिया है। उनके प्रयास से हीं कर्नाटक में कृषि विकास व् अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ा। उनके कुशल मार्गदर्शन को लेकर हीं उन्हें आधुनिक मैसूर का पिता कहा जाता है। यही कारण है कि वर्ष 1955 में उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया था। उन्होंने देश के अभियंताओं को उनके जीवनी से प्रेरणा लेने की बात कही।
इस अवसर पर परियोजना पदाधिकारी ए.के. तिवारी ने कहा कि देश के विकास की नींव विश्वेश्व रैया द्वारा ही स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद रखी गई थी। इसलिए वर्ष 1968 में भारत सरकार द्वारा उनकी जन्म जयंती 15 सितंबर को अभियंता दिवस रूप में घोषित किया गया है। तब से हम सभी प्रति वर्ष उनकी जयंती पर उन्हें समान देने का कार्य करते रहे हैं।
पीओ तिवारी ने कहा कि मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया ने बाढ़ की विभीषिका से बचाने और उन्नत कृषि प्रणाली के तहत कई बड़े बांध की रुपरेखा तैयार की थी। जिसमें कर्नाटक का कृष्णराज सागर बांध शामिल है। वही देश के बुनियादी ढांचा को तैयार करने में उनका अहम योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि हम सभी को महान अभियंता विश्वेश्व रैया के जीवन यात्रा से प्रेरणा लेने की जरूरत है, तभी हम राष्ट्रहित और कंपनी हित में सफलतापूर्वक अपना योगदान दे सकेंगे।
मौके पर क्षेत्र के विभागाध्यक्ष असैनिक संजय सिंह ने विश्वेश्व रैया के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे एक सफल सिविल इंजिनियर थे। उनके द्वारा बिहार के मोकामा में गंगा नदी पर पुल का निर्माण कराया गया था। उन्होंने बताया कि मोक्षगुंडम विश्वेश्व रैया का जन्म 15 सितंबर वर्ष 1960 में हुआ था। वे 92 वर्ष की उम्र में भी मोकामा पुल का निर्माण कराया था। यह उनके अदम्य प्रतिभा को दर्शाता है। उन्होंने इंजीनियरिंग के क्षेत्र में मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की उत्कृष्टता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया।
मौके पर महाप्रबंधक, परियोजना पदाधिकारी तथा विभागाध्यक्ष असैनिक के अलावा गोविंदपुर फेज टू के खान प्रबंधक मनोज कुमार, गोविंदपुर भूमिगत खदान के खान प्रबंधक अंजनी कुमार सहित आलोक कुमार, प्रीतरंजन कुमार, आकाश कुमार, आनंद शरण, सुशांत भूषण, गौरव कुमार, देवेश अग्रवाल, विवेकानंद शर्मा, निखिल कुमार आदि दर्जनों अभियंतागण उपस्थित थे।
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