एक अभियान लेकर चल रहा है एदारे शरिया तहरीके बेदारी-बलयावी

मुस्लिम समाज को समानता का अधिकार दिलाने को लेकर जन जागरण अभियान

एस. पी. सक्सेना/बोकारो। मुस्लिम समाज में फैले अशिक्षा, कुरीतियों तथा दहेज़ प्रथा के खिलाफ आवाज बुलंद करने को लेकर एदारे शरिया के माध्यम से पुरे झारखंड में जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। उक्त बातें पूर्व राज्यसभा सांसद मौलाना गुलाम रसूल बलयावी ने 12 नवंबर की संध्या बोकारो जिला के हद में सीसीएल कथारा अतिथि गृह में प्रेस वार्ता में कही।

उन्होंने कहा कि अब तक की सरकारे चाहे किसी भी पार्टी का रहा हो मुसलमानों को केवल इस्तेमाल करता रहा है। अब ऐसा नहीं चलनेवाला है। वे देश के तमाम मुसलमानों को जगाने के लिए निकले है। उनका उद्देश्य मुसलमानो को दूसरे की तरह समान अधिकार दिलाना है। उन्होंने कहा कि वे सरकार से एससी/एसटी एक्ट के तर्ज पर मुस्लिम अधिकार एक्ट बनाने की मांग करते है। इसके लिए हीं एदारे शरिया बनाया गया है।

पूर्व सांसद बलयावी ने कहा कि कोई भी कौम किसी दूसरे कौम को परेशान करने अथवा प्रताड़ित करने की बात नहीं कहता है। जबकि कुछ नफरती ताकतें हिन्दू- मुसलमान के नाम पर एक दूसरे को लड़ाने में लगे है। उन्होंने कहा कि हाल के कुछ वर्षो में इस तरह के शैतानी प्रवृत्ति देश में काफी सक्रिय हो गये है। जिसमें राजनीतिक दल के अलावा कुछ वर्दी वालो की भी संलिप्तता उजागर हुआ है।

ऐसे में कानून के शासन पर सवालिया निशान लगना लाजमी है। उन्होंने कहा कि पुरे देश में झारखंड ऐसा राज्य है जहां वर्तमान सरकार के कार्यकाल में मॉव लिंचिंग की अबतक 64 घटना घट चुकी है।

सरकार इसे रोकने के बजाय हांथ पर हांथ धरे बैठी है। उन्होंने कहा कि झारखंड बनने के बाद से एक भी मदरसा का निर्माण नहीं किया गया है। साथ हीं मदरसों को जो सरकारी अनुदान पूर्व के बिहार सरकार में मिलता था, उसे भी रोक दिया गया है।

प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि आज मुस्लिम समाज के बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित हो रहे है, जिसके कारण मुस्लिम समाज में शिक्षा की सबसे ज्यादा कमी है। यदि वास्तव में कोई राजनीतिक पार्टी अथवा सरकार मुसलमानो के हितों के बारे में सोंचती तो आज मुस्लिम वस्तियों की हालत बेहतर रहता।

मुस्लिम बच्चे दर बदर की ठोकरे खाने को विवश नहीं होते। वे टायर दुकान में पंचर लगाने के काम के जगह पर दिनी तालीम और शिक्षा का बेहतर माहौल में जरुर तरक्की कर रहे होते। उन्होंने कहा कि आज भी दूसरे समाज की अपेक्षा मात्र चार फीसदी ही मुस्लिम समाज शिक्षित है।

उन्होंने कहा कि समाज में शादी विवाह में दकियानुसी बंद करने, नशा मुक्त समाज बनाने, फिजूल खर्ची बंद करने, दहेज प्रथा को समाप्त करने, समाज में भाईचारगी की भावना जागृत करना हीं एदारे शरिया की सोंच है। इसके अलावा मुस्लिम हितों की रक्षा के लिए सशक्त कानून बनाने की मांग एदारे शरिया कर रही है।

पूर्व सांसद ने कहा कि इस वक्त पूरे देश में तथाकथित राजनीतिक दल, तथाकथित संगठनों द्वारा समाज में उन्माद, उत्तेजना पैदा किया जा रहा हैं। जैसे पैगंबर मोहम्मद साहब पूरी इंसानियत के लिए आदर्श है। किसी भी धर्म के मनोभावों को अपमानित करने का उनका कोई उद्देश्य नहीं था। ना हीं कभी इस बारे में उन्होंने ज्ञान दिया है।

लेकिन सस्ती शोहरत प्राप्त करने के लिए और सत्ता में बने रहने के लिए धर्म के नाम पर आज कई संगठनों ने अपमान की सुपारी ले रखी है। आज गलत का विरोध करनेवालो पर मुकदमा किया जा रहा है, जबकि अपराध करनेवाले खुला घूम रहे है। यह दूसरे जगह नहीं बल्कि झारखंड की राजधानी रांची में घटित घटना के बाद प्रशासन की कार्रवाई ने साबित कर दिया है।

उन्होंने कहा कि जिस तरह से रांची में हुआ। उन नाबालिग बच्चों के हाथ में डंडा पत्थर नहीं था, सिर्फ कागज के तख्ती पर लिखा था कि मेरे अजीज के अपमान करने वालों को सजा होनी चाहिए। बावजूद इसके उसे भीड़तंत्र द्वारा मार डाला गया। उनकी उम्र 18 वर्ष से भी कम था। वहीं दाढ़ी और गोल टोपी देखकर ट्रेन में वर्दीधारियों द्वारा गोली मार दी जाती है।

यह नफरती माहौल नहीं तो और क्या है। ऐसे बारदातो के खिलाफ किसी भी सेकुलर पार्टियों ने सदन में निंदा तक नहीं किया। इसलिए देश में एक ऐसा कानून बन जाए कि यदि किसी को अपमानित करता है तो उसे कानून सजा दे। इससे समाज तनाव मुक्त होगा।

पूर्व सांसद ने कहा कि जब सत्ता, मंत्रालय, सरकार निरंकुश हो जाए और सड़क वीरान हो जाए तो अराजकता फैलने लगता है। आज यही हालत बनता जा रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान झारखंड की सरकार सांप्रदायिक ताकतों के आगे झुकी हुई है। सरकार ने राज्य में उर्दू शिक्षा को खत्म कर दिया है।

कहा कि गुरुजी शिबू सोरेन के मुख्यमंत्री काल में एक मदरसा की स्थापना की गई, तब झारखंड के 592 मदरसों को अनुदानित करने का कैबिनेट में फैसला हुआ। सरकार के बाबुओं के दबाव में तरह-तरह का बहाना बनाया जा रहा है, जिससे मदरसों का अनुदान रुका हुआ है। राज्य स्थापना के 23 वर्ष में विद्यालयों में उर्दू शिक्षकों की बहाली रुकी हुई है। 7 साल में सिर्फ 114 उर्दू शिक्षक बहाल किया जा सका।

बलयावी ने कहा कि इन सारे मुद्दों को लेकर एक अभियान चलाया जा रहा है। सभी संप्रदाय के अमन पसंद एकजुट होंगे तभी राज्य व् देश का विकास संभव होगा। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यको को सिर्फ अपने राजनीतिक लाभ उठाने के लिए तख्ती के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। कहा कि सरकार के पास मुस्लिम संगठनों को देने के लिए जमीन नहीं है और बाबा रामदेव को देने के लिए 200 एकड़ जमीन है।

कहा कि देश के किसी धर्म के बच्चे भिखारी नहीं है, किंतु अल्पसंख्यक मुस्लिम भिखारी की जिंदगी जी रहे हैं। समय आ रहा है। इसी को लेकर वे भ्रमण कर रहे हैं। इसके लिए जिला स्तर पर कार्यक्रम किया जा रहा है। उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि हमें आरक्षण मत दीजिए, किंतु सबको समान रूप से लाभ मिलना चाहिए।

इस अवसर पर मुख्य रूप कांग्रेसी नेता इसराफिल अंसारी उर्फ बबनी, पेटरवार प्रखंड कांग्रेस अध्यक्ष शब्बीर अंसारी, परबेज अख्तर, मो. जानी, मो. मोइउद्दीन, रिजवान, मो. कुद्दूस सराफत, मो. इमरान, मो. समीर, उस्मान अंसारी, इक़बाल अहमद आदि दर्जनों समर्थक उपस्थित थे।

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