रंजन वर्मा/कसमार (बोकारो)। कसमार प्रखंड के हद में दुर्गापुर पंचायत में बना स्वास्थ्य उप केंद्र रात को भूतों का डेरा और दिन को मवेशियों का अड्डा बन गया है।
ज्ञात हो कि, लाखों रुपए की लागत से जब यहां स्वास्थ्य उप केंद्र बना था क्षेत्र के रहिवासियों में बेहतर इलाज की आस जगी थी। लेकिन आज तक ग्रामीण सुदूर आदिवासी गरीबों का इलाज मुनासिब नहीं हुआ। सरकार का जो आदेश था तथा विभाग को जो निर्देश दिया गया था कि पंचायतों में स्वास्थ्य सेवा का बेहतर इलाज का लाभ गरीब असहाय ग्रामीणों को मिले। इसके लिए स्वास्थ्य उपकेंद्र का निर्माण करवाया गया था, लेकिन वैसा नहीं हो सका है।
वर्तमान में विभागीय लापरवाही के कारण दुर्गापुर पंचायत में बना स्वास्थ्य उप केंद्र हाथी का दांत साबित हो गया। विभाग द्वारा आज तक इसको अपने हैंड ओवर नहीं लिया गया। यदि लिया भी गया है तो किसी को जानकारी नहीं। आधा अधूरे कार्यों को छोड़कर संवेदक चला गया, लेकिन इस पर कितने बार बोकारो जिला उपायुक्त को स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा ग्रामीणों के द्वारा शिकायत भी लिखा गया, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।
उक्त पंचायत के मुखिया अमरेश कुमार महतो ने 30 मार्च को एक भेंट में कहा कि इसकी उच्च स्तरीय जांच एवं कार्रवाई करने की मांग अब मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन से की जाएगी। साथ हीं उक्त अस्पताल को चालू करवाया जायगा, ताकि आसपास के हजारों रहिवासियों को इलाज कराने के लिए 10 से 12 किलोमीटर दूर जाना ना पड़े।
मुखिया ने कहा कि झारखंड सरकार की सोंच हर गांव में चिकित्सा सेवा सुलभ मिले, लेकिन इसका उल्टा देखने को मिला। कहा कि अभी भी यहां के रहिवासी को दूर इलाज करवाने के लिए जाना पड़ता है। बेहतर स्वास्थ्य सेवा नहीं मिलने के कारण रांची बोकारो जाना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा बेहतर स्वास्थ्य सेवा बनाने का सपना चकनाचूर हो गया है। आज के समय उप स्वास्थ्य केंद्र का दरवाजा, खिड़की टूट कर बिखर चूका है। उप स्वास्थ्य केंद्र के चालू नहीं होने के कारण इस इलाके के रहिवासी नीम हकीम के भरोसे अपना इलाज मज़बूरी में कराने को विवश है। नीम हकीम डॉक्टरों के द्वारा ईलाज के नाम पर मरीजों से मोटी रकम वसूल किया जाता है, जबकि स्वास्थ्य विभाग के सभी पदाधिकारियों को इसकी जानकारी होने के बावजूद भी सेवा बेहतर नहीं हो सका है।
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