ममता सिन्हा/तेनुघाट (बोकारो)। थाना प्रभारी के प्रयास से बोकारो जिला के हद में करमाटांड़ से गुम हुए बच्चों को दलालो के चंगुल से छुड़ा लिया गया।
जानकारी के अनुसार तेनुघाट ओपी प्रभारी अजित कुमार के मुस्तैदी से क्षेत्र के चार नाबालिग बच्चे दलालों के चंगुल में फंसने से बचाए गये हैं। दरअसल, मामला बोकारो जिले के तेनुघाट ओपी थाना क्षेत्र के साड़म पूर्वी पंचायत स्थित करमाटांड़ गांव का है।
जहां बीते 20 मई को चार बच्चे गांव से अचानक गुम हो गये थे। शाम तक बच्चों को घर नही पहुंचने पर परिजन उन्हें ढूंढने निकल गये। काफी खोजबीन करने के बाद जब बच्चे नही मिले तो परिजन तक-हारकर तेनुघाट पुलिस से बच्चों को ढूंढने की गुहार लगायी।
मामला संज्ञान में आते ही ओपी प्रभारी अजित कुमार करमाटांड़ गांव पहुंचकर मामले की छानबीन में जुट गये। छानबीन करने के पश्चात ओपी प्रभारी सिंह द्वारा सक्रियता दिखाते हुए लापता सभी बच्चों का फोटो जीआरपी बोकारो के साथ साथ कई जगह सर्क्युलेट करवा दिया गया।
बताया जाता है कि बच्चों का फोटो सर्क्युलेट होते ही पुलिस और जीआरपी हरकत में आ गयी। इस तरह पुलिस एवं जीआरपी की मुस्तैदी से बच्चे पश्चिम बंगाल के कोलकाता में दलालो के चंगुल में फंसने से पहले ही पुलिस की पकड़ में आ गये।
बच्चों के कोलकाता में होने की सूचना मिलते ही परिजनों को हिम्मत बंधती है, और वे फिर गांव के ही समाजसेवी अनिल यादव के नेतृत्व में कोलकाता जाकर लापता बच्चों को घर वापस लेकर आ गये।
जानकारी के अनुसार चारो नाबालिग बच्चे मोबाइल में गेम खेलने के दौरान पश्चिम बंगाल के एक दलाल के चंगुल में फंस गये थे। दलाल उन बच्चों को अच्छी नौकरी का सब्जबाग दिखाते हुए मोटी सैलरी और रहने का मकान देने का वादा कर कोलकाता बुला लिया। उधर बच्चे भी दलाल के झांसे में आकर बिना किसी को कुछ बताए अपने घर से चुपचाप कोलकाता के लिए निकल गये।
उनमे से एक बच्चा स्कूल में क्लास कर सीधे तेनुघाट चला गया। वहीं नहर में नहाकर तैयार होकर तेनुघाट से निकलकर बोकारो से धनबाद-निरसा के रास्ते कोलकाता पहुंच गये।
जहां जीआरपी पुलिस चारो बच्चों को इधर उधर घूमता देख पकड़कर इसकी जानकारी तेनुघाट ओपी प्रभारी को दी। बच्चों के मिलने पर परिजनों के साथ साथ ग्रामीण रहिवासियों ने तेनुघाट ओपी प्रभारी अजित कुमार के कार्यशैली की सराहना करते हुए साधुवाद दिया है।
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