एस. पी. सक्सेना/बोकारो। झारखंड में नेत्र रोगियों की संख्या सबसे अधिक है। सच्चे मन से मानव की सेवा करना मेरी सोंच है। उक्त बातें बोकारो जिला के हद में पेटरवार स्थित पूज्य जगजीवन जी महाराज चक्षु चिकित्सालय में निःशुल्क सेवा दे रहे नेत्र रोग विशेषज्ञ सर्जन डॉक्टर प्रीतिश प्रणय ने एक अगस्त को विशेष भेंट में कही।
उन्होंने बताया कि वे बिहार के मुजफ्फरपुर से एमबीबीएस की पढ़ाई पूर्ण करने के बाद झारखंड की राजधानी रांची से एमएस (आई) की। इसके बाद मदुरई स्थित अरबिंद भाई नेत्र अस्पताल से पीजी की। वे वर्ष 2007 से जनमानस को अपनी सेवा दे रहे हैं।
उन्होंने बताया कि उनका सपना था कि वे सर्जन बने। खासकर आंखो के इलाज के लिए, क्योंकि उनकी दादी के दोनों आंखो की रोशनी समाप्त होने के कारण वे उनके दर्द को अंदर तक महसूस करते थे। इसलिए भी उन्होंने नेत्र रोग में विशेषज्ञता हासिल की।
डॉ प्रीतिश के अनुसार झारखंड में सबसे अधिक नेत्र रोगी हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यहां प्रदूषण की अधिकता और रहिवासियों में आंखो की उचित देखभाल के प्रति लापरवाही है। जिसके कारण यहां मोतियाबिंद के मरीज सबसे अधिक पाये जा रहे हैं। जिसका समय रहते हम इलाज कर अंधापन को दूर कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि नेत्र रोगियों को इलाज कर उनकी आंखो में रोशनी वापस लाना ही उनके जीवन का मुख्य उद्देश्य है।
डॉ प्रीतिश ने बताया कि वर्ष 2013 से वे जगजीवन जी महाराज संस्थान से जुड़े। तब यहां प्रसिद्ध नेत्र चिकित्सक तथा उनके गुरु तुल्य डॉ डी के गुप्ता द्वारा यहां जरूरतमंदो का मुफ्त में इलाज करता देख वे इससे काफी प्रभावित हुए। उन्होंने भी तभी से यहां रोगियों का इलाज कर रहे हैं।
पेटरवार स्थित जगजीवन जी महाराज चक्षु अस्पताल के लक्ष्मी देवी नेत्र भवन परिसर में नेत्र रोगियों का नेत्र जांच के क्रम में डॉ प्रीतिश प्रणय ने बताया कि रोगियों को इलाज के बाद ठीक होते देख उन्हें काफी आत्मिक सुकून मिलता है। उनके नजर में जो सच्चे मन से मानव की सेवा करते है उनके लिए यह सेवा भाव है। सबकी अपनी इच्छा है।
इस अवसर पर पिछले बीस वर्षो से यहां सेवा दे रहे ओप्टोमेट्रिस्ट सुधीर कुमार के अनुसार उन्हें यहां जनसेवा करने में एक अलग तरह की संतुष्टि मिलता है। वहीं चिकित्सा दल को सहयोग दे रही सहयोगी सोनी कुमारी के अनुसार उन्हें यहां कार्य करने में किसी प्रकार की कठिनाई नहीं हो रहा है। वे यहां काफी अच्छा महसूस करती है।
जबकि रोगियों की भारी भीड़ को अपनी मुस्कानो की बदौलत संतुलित करनेवाले बंटी कुमार की बात हीं निराली है। बंटी के अनुसार मरीजों के भले के लिए अगर वे उनके हितों में कुछ अच्छा कर पाते है। इसी से उन्हें सुकून मिलता है। अस्पताल के अन्य कर्मी भी यहां सेवा भाव से कार्य करते देखे गये।
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