कुव्यवस्था का दंश झेल रहा है दिव्यांग सीसीएल कामगार

मानवीय संवेदना का हो रहा है हनन-अजय कुमार सिंह

एस.पी.सक्सेना/बोकारो। सरकारी हो अथवा गैर-सरकारी संस्थान। कथित प्रगतिवादी समाज शायद इन संस्थानों में कार्यरत कामगारों के प्रति शायद संवेदना शून्य होता जा रहा है।

यह हम नहीं बल्कि बोकारो जिला (Bokaro district) के हद में सीसीएल के कथारा कोलियरी के दिव्यांग कामगार नारायण महतो को देखकर सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है।

जानकारी के अनुसार सीसीएल के कथारा कोलियरी में कार्यरत कामगार नारायण महतो 4 फरवरी 2000 में कोलियरी में दुर्घटना का शिकार हुए थे। दुर्घटना में 2 कामगार साथियों की मृत्यु हुई थी। जिनका नाम राजेश्वर प्रसाद (फोरमैन इंचार्ज) तथा एक कर्मचारी तुलसी कमार थे।

वहीं इस दुर्घटना में कामगार नारायण महतो काफी जख्मी हो गया था। जीवन मौत से जूझ रहे नारायण महतो का लंबा उपचार होता रहा। अंत में नारायण के जीवन को बचाने के लिए उसके दाए पैर को शरीर से अलग करना पड़ा

बताया जाता है कि आज वेवसी के हालत में नारायण महतो के दिन गुजर रहे हैं। जीवन नर्क बन गया है। प्रत्येक दिन परिवार के एक सदस्य को सहारा देना पड़ता है। वही उसे कार्यस्थल पर लाने ले जाने की जवाबदेही भी होती है।

नारायण महतो द्वारा कंपनी के प्रावधान के तहत दर्जनों बार अपने आश्रित पुत्र को नौकरी देने के लिए मेडिकल अनफिट के माध्यम से आवेदन पत्र दिया गया। दो बार मेडिकल के दौरान बोर्ड द्वारा अनफिट नहीं किया गया। वही आज नारायण महतो (Narayan Mahato) का अपील लगभग 5 वर्षों से विचाराधीन है, जबकि कंपनी के प्रावधान के अनुसार एनसीडब्ल्यू दस में 9:4:0 के तहत मेडिकल बोर्ड का प्रावधान है।

जब से नारायण महतो की घटना हुई है, तब से नारायण का जीवन नारकीय बना हुआ है। कंपनी में कार्य करते समय इतनी बड़ी हादसो के बावजूद पीड़ित परिवार को राहत नहीं दे पाना यह दुर्भाग्यपूर्ण है। नारायण महतो द्वारा सीसीएल के सीएमडी को पत्र प्रेषित कर न्याय दिए जाने की मांग किया गया है। पत्र की प्रतिलिपि बेरमो विधायक को देते हुए हस्तक्षेप कर उचित न्याय दिलाने का पहल किए जाने का आग्रह किया है।

इस संबंध में राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ कथारा क्षेत्र के विधायक प्रतिनिधि सह क्षेत्रीय अध्यक्ष अजय कुमार सिंह ने 26 जुलाई को कहा कि पीड़ित परिवार को न्याय मिलना चाहिए। समय रहते प्रबंधन द्वारा न्याय नहीं मिल पाया तो संघर्ष और न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जाएगा।

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