संविधान की मूल भावना का आदर करने व् उसे जीवन में उतारने की अपील
एस.पी.सक्सेना/बोकारो। संविधान दिवस (Constitution day) के अवसर पर बोकारो जिला (Bokaro District) मुख्यालय, चास तथा बेरमो अनुमंडल सहित विभिन्न प्रखंड कार्यालयों पर संकल्प सभा का आयोजन किया गया। संकल्प सभा में विभिन्न कार्यालयों में कार्यरत पदाधिकारियों, कर्मियों ने संविधान के पालन करने का संकल्प लिया।
निदेशक डीआरडीए सादात अनवर ने 71वें ” संविधान दिवस ” के अवसर पर 26 नवंबर को समाहरणालय के सभी पदाधिकारियों व कर्मियों के साथ संविधान की प्रस्तावना को दोहराया और संविधान के मूल मंत्रों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रजातांत्रिक ढांचे में नागरिकों की सरकार, नागरिकों के द्वारा बनाई जाती है। जो अंततः नागरिकों की सेवा में कार्य करती है। यह पूर्ण व्यवस्था संविधान में वर्णित भावनाओं के अनुसार चलती है। उन्होंने कहा कि संविधान वह पवित्र किताब है, जिसने देश के सभी हिस्सों को पिरोकर साथ रखा है। यह संविधान ही है जिसने हमें आजादी और परस्पर मौलिक अधिकार दिए हैं। संविधान के बुनियाद पर ही देश में शांति और समृद्धि है।
इस अवसर पर संविधान का शपथ प्रारूप प्रस्तुत किया गया जो निम्न है:-*” हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसे समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास धर्म और उपासना की सवतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में एतत द्वारा इस संविधान को अंगीकृत,अधिनियमित और आत्म समर्पित करते हैं।”* प्रस्तावना के यह शब्द संविधान बनाने के पीछे की मूल भावना और उसके सारांश को प्रस्तुत करता है। यह वाक्य आजादी में लड़ी गई बड़ी लड़ाई और दिए गए कुर्बानियों की याद दिलाती है। इसलिए हमें इन शब्दों की भावनाओं का सम्मान करते हुए उनका परस्पर पालन करना चाहिए। संविधान ने भारतीय नागरिकों को 7 मौलिक अधिकार दिए हैं। यह अधिकार हर एक व्यक्ति को कुछ विशिष्ठ शक्ति प्रदान करती हैं। साथ ही 11 मौलिक कर्तव्यों को भी संविधान में जिक्र किया गया है। मौलिक अधिकार और मौलिक कर्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलुओं की तरह है जो एक दूसरे के पूरक हैं।
संविधान निर्माताओं के भावनाओं को बोध कराने के लिए मनाया जाता है संविधान दिवस। उपरोक्त बातों को समझाते हुए निदेशक अनवर ने सभी पदाधिकारियों व कर्मियों को संविधान की मूल भावना का आदर करने और अपने जीवन में उतारने की अपील की। कहा कि यही आजादी की लड़ाई लड़ने वाले वीरों के बलिदान को सच्ची श्रद्धांजलि है। कार्यक्रम के अंत में उपस्थित सभी पदाधिकारियों एवं कर्मियों को संविधान की मूल भावनाओं को अपने जीवन का हिस्सा बनाने की शपथ दिलाई।
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