फिरोज आलम/जैनामोड़(बोकारो)। बीएसएल (BSL) प्रबंधन से सीधी नियुक्ति करने अथवा जमीन वापसी की मांग को लेकर विस्थापित नौजवान संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष अरुण कुमार महतो (Director Arun Kumar Mahato) के नेतृत्व में सैकड़ों की संख्या में बेरोजगारो ने 19 फरवरी को बीएसएल निदेशक की शवयात्रा निकाला। इस अवसर पर सैकड़ो की संख्या में विस्थापित व कार्यकर्ता शामिल हुए। जिसमें महिलाओं की संख्या ज्यादा थी।
जुलूस की शक्ल में बोकारो हवाई अड्डे से बीएसएल निदेशक की शव यात्रा निकाली गई। निदेशक प्रभारी आवास पहुंचकर निदेशक आवास के सामने उस पुतले को पूरे विधि विधान के साथ दाह संस्कार किया गया। यहां आयोजित कार्यक्रम में मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष अरुण कुमार महतो ने कहा कि बोकारो स्टील प्लांट में 10 मिलियन टन कारखाना लगाने के नाम पर विस्थापितों की हजारों एकड़ जमीन कौड़ियों के भाव में ले ली गयी। आज तक मात्र 4•5 मिलियन में ही सिमट कर रह गई। बाकी बची विस्थापितों की जमीन मार्केट, प्राइवेट हॉस्पिटल, रेस्टोरेंट्स, प्राइवेट स्कूल- कालेज, प्राइवेट पेट्रोल पंप, शॉपिंग मॉल बनाने के नाम पर आज तक जप्त कर के रखी गयी है। विस्थापित अपने हक व अधिकार को पाने के लिए आंदोलन करते रहते हैं। उन्हें जिला प्रशासन के सहयोग से विस्थापितों पर आतंकवादी देशद्रोही, असामाजिक तत्व जैसी गंभीर आरोप लगाकर जेल भेज दिया जाता है। आज भी बहुत सारे ऐसे विस्थापित है जो केस के कारण कोर्ट का चक्कर काटने को मजबूर हैं। बीएसएल प्रबंधन जिला प्रशासन को ढाल बना कर खड़ा कर देती है। वार्ता के नाम पर डरा धमकाकर विस्थापितों को हो रहे आंदोलनों को कुचल दिया जाता है। विस्थापितों के हाथ हकीकत में बीएसएल के अधिकारियों की शव यात्रा ना जलने लगे। महतो ने यह भी कहा कि जब तक विस्थापितों को नियोजन व रोजगार बीएसएल प्रबंधन नहीं देती तब तक विस्थापितों की जमीन पर कोई कार्य नहीं होने दिया जाएगा। चाहे वह अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम हो या फाइव स्टार होटल या कुछ अन्य। आंदोलन में मुख्य रूप से अंबुज मिश्रा, धीरेंद्र सोरेन, चंदन मिश्रा, सिद्धेश्वर मिश्रा, संजय माली, संदीप मंडल, बजरंगी मिश्रा बजरंगी सिंह, विनोद सोरेन, महेंद्र महतो, सुजीत कुमार, खेलू महतो, चरकू रजवार, शांति देवी, प्यारी देवी, मिट्ठू देवी, पनवा देवी, काजल कुमारी, साधना कुमारी, मानी देवी, पिंकी कुमारी, पलक कुमारी, चांदनी कुमारी, रीना कुमारी, नैना कुमारी, नीमा रजवार परी कुमारी, शांति देवी आदि सैकडों की संख्या में लोग उपस्थित थे।
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