दशरथ मांझी नाट्य महोत्सव के अंतिम दिवस ध्रुव चरित नाटक का मंचन

एस. पी. सक्सेना/पटना (बिहार)। बिहार की राजधानी पटना के सांस्कृतिक संस्था लोक पंच द्वारा शेखपुरा जिला के हद में बरबीघा के बेलाव में चार दिवसीय नाट्य का आयोजन किया गया। दशरथ मांझी नाट्य महोत्सव के अंतिम दिवस 12 अक्टूबर को यहां ध्रुव चरित नाटक का मंचन किया गया।

ज्ञात हो की 9 से 12 अक्टूबर तक प्रतिदिन रात्रि 8 बजे से आयोजित 4 दिवसीय दशरथ मांझी नाट्य महोत्सव लोक पंच के वार्षिक कार्यक्रमों में है, जिसके तहत विगत 8 वर्षों से बिहार के विभिन्न जिलों के ग्रामों में नाट्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है, ताकि नाट्य कला उन जगहों तक पहुच सके, जहाँ के रहिवासी इससे परिचित नहीं है।

जानकारी देते हुए लोक पंच के सचिव सह प्रसिद्ध रंगकर्मी मनीष महीवाल ने बताया कि महोत्सव के अंतिम दिन 12 अक्टूबर को वीणा साहित्य सदन बेलाव द्वारा परमानंद दास लिखित एवं शशिभूषण सिंह द्वारा निर्देशित नाटक ध्रुव चरित की प्रस्तुति की गयी।

महीवाल ने बताया कि ध्रुव चरित नाटक का एक पात्र है अझोला। वह ऊदल की बहन है। वह एक दिन मां से जिद करती है कि मैं बाग में झूला झूलने जाऊंगी। तब उसकी मां उसे मना करती है और कहती है कि नहीं बेटी हमारे बहुत सारे दुश्मन है। तुम्हारा वहां जाना ठीक नहीं होगा। परंतु उसका एक मामा है जिसका नाम संतार सिंह है। वह लड़ाने में माहिर है। वह कहता है कि दीदी तुम फ़िक्र मत करो मैं इसे बाग में सुरक्षित रखूंगा। फिर उधर ले जाकर देवर गढ़ के राजकुमार चंदावल को कह कर ध्रुव देवी का हरण करवा देता है।

ध्रुव देवी को हरण कर ले जाने के बाद बोलता है तुम मुझसे व्याह कर लो और मेरी रानी बनके रहो, तुझे किसी चीज की दिक्कत नहीं होगी। लेकिन वह साफ तौर पर मना कर देती है। तभी ध्रुव देवी का भाई एवं उसके साथी सभी मिलकर एक योजना बनाते हैं। योजना बनाकर राजकुमार से युद्ध करते हैं और उसको परास्त कर देते है। चंदावल को बंदी बनाकर अपने साथ ले जाने लगते है, तभी उसकी पत्नी आकर ध्रुव के पैर पर गिर कर गिड़गिड़ाने लगती है। यह सब देख अझोला चांदावल को माफ़ कर देने को कहती है और अपने भाई के साथ घर लौट जाती है।

महीवाल ने बताया कि ध्रुव चरित नाटक के मंच पर महेंद्र सिंह, लखीन्दर सिंह, शेखर साव, राजू कुमार, शिव कुमार, नंदू सिंह, धर्मेंद्र कुमार, आशुतोष कुमार, उदय रजक, अबोध पासवान, विक्की कुमार, संजय पांडेय, साकेत पांडेय, महेंद्र कुमार, कृष्णा, अखिलेश पासवान ने बेहतरीन अभिनय प्रस्तुत किया है।

जबकि मंच से परे नैपथ्य में नगाड़ा छूटे साव, कैसियो अमित कुमार, पैड पर ललित कुमार, नाल पर राम अयोध्या, प्रकाश अमृत कुमार सिंह, वस्त्र अस्मिता, लेखक परमानंद दास, निर्देशक शशिभूषण सिंह, प्रस्तुति वीणा साहित्य सदन द्वारा अहम योगदान किया गया। महोत्सव के अन्त में संस्था के सचिव मनीष महिवाल ने ग्रामीण दर्शकों को साधुवाद ज्ञापित करते हुए महोत्सव का समापन किया। कार्यक्रम में स्थानीय दर्शक एवं गणमान्य अतिथिगण उपस्थित थे।

 

 74 total views,  2 views today

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *