सेक्टर चार विश्वकर्मा मंदिर में धूमधाम से की गई देवशिल्पी की पूजा

एस. पी. सक्सेना/बोकारो। बोकारो जिले में स्थापित जिले का पहला विश्वकर्मा मंदिर सेक्टर चार जी में स्थित है। यहां प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी 17 सितंबर को विश्वकर्मा समाज द्वारा देवशिल्पी की श्रद्धा पूर्वक पूजा अर्चना की गयी।

जानकारी के अनुसार उक्त मंदिर का विधि विधान के साथ एक मार्च 2001 को उद्घाटन किया गया था। इस ऐतिहासिक मंदिर के पुजारी मनोज पांडेय ने भगवान विश्वकर्मा की विधिवत पूजा करने की परंपरा को आज भी निरंतर जारी रखा है। इस मंदिर का महत्व बोकारो जिले में विशेष है, क्योंकि यहां भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से शिल्पकारों, कारीगरो और उद्योगपतियों को अपने कार्य में सफलता तथा समृद्धि प्राप्त होती है।

बताया जाता है कि उक्त मंदिर में विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर विशेष पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं। मंदिर के पुजारी मनोज पांडेय के अनुसार भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से न केवल व्यक्तिगत सफलता मिलती है, बल्कि समाज में भी सकारात्मक परिवर्तन आता है। वे रहिवासियों को भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने और उनके आदर्शों को अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं।

बताया जाता है कि बोकारो जिले का पहला विश्वकर्मा मंदिर क्षेत्र का महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र है, जो यहां के रहिवासियों को एकता और सद्भावना का संदेश देता है। विश्वकर्मा पूजा शिल्पकारों और कारीगरों के लिए विशेष महत्व रखती है, क्योंकि भगवान विश्वकर्मा को उनके पेशे का देवता माना जाता है।

विश्वकर्मा पूजा उद्योगपतियों के लिए भी लाभकारी है, क्योंकि भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से उनके उद्योग में सफलता तथा समृद्धि आती है। भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि के रचनाकार के रूप में पूजा जाता है। देवशिल्पी विश्वकर्मा की पूजा करने से मनुष्य को अपने जीवन में समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।

इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है, क्योंकि इसका हिंदू धर्म की परंपरा में महत्वपूर्ण स्थान है। ध्यान देने योग्य है कि विश्वकर्मा पूजा में मशीनों और औजारों की पूजा की जाती है, जिससे वे सुरक्षित और कुशलता से काम करें। श्रद्धालुओं के अनुसार देवशिल्पी की पूजा करने से दुर्घटना और अनहोनी से बचाव होता है। साथ हीं भगवान विश्वकर्मा की कृपा प्राप्त होती है।
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