लोकतंत्र की जननी वैशाली जिला मुख्यालय हाजीपुर की सड़कें निकाल देती है दम
संतोष कुमार/वैशाली (बिहार)। संघर्ष एक पवित्र सांसारिक मार्ग होते हुए भी जब निरर्थक होता नजर आने लगे, तब उस संघर्ष की समुचित समीक्षा काफी अहम हो जाती है। बिहार का वैशाली जिला मुख्यालय हाजीपुर शहर (Hazipur City) भी वर्षों से कुछ ऐसा ही कह रहा है।
जहां रोज कोई न कोई आदेश निर्देश सरकारी स्तर से जारी होते हैं। फिर भी सड़क पर आम जनता चाहे वह ऑटो चालक हो या राहगीर या फिर चार पहिया छोटे बड़े वाहन के चालक हों या फिर कोई यात्री सवार सभी हल्कान होते रहते हैं।
हाजीपुर शहर के कई छोटे दुकानदारों, स्थानीय जिम्मेदार समाजसेवियों के अलावा अन्य सभी सामान्य लोगों के अंदर टटोलने पर यही सच निकलता है कि यहां ट्रैफिक इंतजाम नाकाफी है।
जबकि कुछ ही दिनों पहले ट्रैफिक इंचार्ज (Traffic Incharge) हाजीपुर अर्चना कुमारी ने मीडिया में जो जानकारी साझा किया था। वह राहत प्रदान करने वाला महसूस हुआ। फिर भी हाजीपुर शहर की मुख्य सड़कें और मोहल्लों से होकर गुजरने वाली संपर्क सड़कें दोनों से बिना किसी झंझट के गुजरना शायद ही संभव हो।
मालूम हो कि लेन ड्राइविंग की समझ की कमी और उसे सड़क पर लागू कराने की जिला और पुलिस प्रशासन की योजनाएं दोनों यहां आंशिक असर ही डाल पा रहा है। जबकि लोक समस्या की पीड़ा प्रशासनिक सुस्ती से मुंह चिढ़ाता दिख रहा है। चाहे वह हाजीपुर रेलवे स्टेशन चौक हो या रामाशीष चौक।
अनवरपुर चौक हो या गांधी चौक। सभी जगह सड़कों पर गुजरना एक अनचाहे तनाव को जन्म देता है। स्कूली छात्र छात्राओं के अलावा अधिकारियों तथा नेताओं को भी कभी कभी उक्त समस्या से रू ब रू होना पड़ता है। जिले के कुछ अनुभवी रहिवासियों का कहना है कि जब प्रशासन (Administration) सजग है और कार्रवाईयां भी हो रही है।
जागरूकता अभियान भी समय समय पर चलाया जा रहा है, तो फिर इन स्थानों पर जो हाजीपुर की हृदय स्थली कही जाती रही है। इंतजाम क्यों नहीं दुरुस्त हो रहे हैं। जिससे आम चालकों से लेकर राहगीरों तक को राहत मिलती।
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