रंजन वर्मा/कसमार (बोकारो)। सर्व शिक्षा अभियान चालू होने के बाद से सरकारी स्कूलों में भोजन की व्यवस्था बच्चों के लिए सरकार द्वारा किया गया था, जिसमें प्रति बच्चा कम राशि मिलने के बाद भी मध्यान भोजन स्कूल के समय बंद नहीं होने के लिए अधिकारियों द्वारा दिशा निर्देश दिया गया है।
जानकारी के अनुसार माध्यन्ह भोजन मद की राशि में बढ़ोतरी नहीं होने पर स्कूल सचिवों को आर्थिक बोझ का सामना करना पड़ता है। ज्ञात हो कि पहली कक्षा से पांचवी कक्षा तक 6 रुपए 19 पैसा के हिसाब से प्रत्येक बच्चे के लिए सरकार द्वारा राशि निर्गत की जाती है।
वही 6 से 8 कक्षा तक के छात्रों के लिए 9 रुपए 29 पैसा सरकार द्वारा उपलब्ध करायी जाती है। स्कूलों में सही ढंग से मध्यान भोजन वितरण को लेकर शिक्षकों पर निगरानी रखने के लिए प्रबंध समिति की भी गठन की गई है, लेकिन नाम मात्र के उपस्थित समिति सदस्यों द्वारा यह हो पाता है। जिसमें सभी जवाब देही स्कूल सचिवों पर होती है।
कुल मिलाकर मध्यान भोजन में खर्च सरकारी मापदंड में देखा जाए तो कक्षा 1 से 5 तक के स्कूली बच्चों को प्रत्येक दिन 20 ग्राम दाल, 50 ग्राम सब्जी, वही कक्षा 6 से 8 तक के छात्रों को 75 ग्राम सब्जी, 35 ग्राम दाल देने का निर्देश जारी है। लेकिन 100 बच्चों के हिसाब से 1 से 5 तक के छात्रों को प्रत्येक दिन 619 रुपया मिलेगा मिलता है। जबकि यह 765 रूपये होता है।
वही कक्षा 6 से 8 तक के 100 स्कूली बच्चों के लिए 929 रुपया मिलता है, लेकिन खर्चा 1040 रुपया होता है। इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि स्कूलों में मध्यान भोजन कितना बेहतर होगा। सरकार के द्वारा निर्धारित मापदंड के अनुसार शुक्रवार और सोमवार को अंडा दिया जाता है, जबकि सरकार के द्वारा इसके एवज में मात्र 6 रुपया मिलता है।
जबकि बाजार में एक अंडा का कीमत 7 रुपया बताया जाता है। प्रत्येक स्कूल में गैस का खर्चा अनुमानित 100 से लेकर 110 रूपया तक होता है, वही 6 से 8 तक में गैस का खर्चा 200 रूपये होता है। दाल, तेल और सब्जी का बढ़ती कीमत से प्रत्येक दिन शिक्षकों को घर से राशि खर्च करना पड़ता है। यानि सरकार द्वारा 1548 रूपये प्रत्येक दिन 200 स्कूली बच्चों के प्रति खर्च करने को मिलता है, लेकिन 1805 रूपये खर्च होता है।
इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि मध्यान भोजन का गुणवत्ता क्या होगा। इस तरह से बच्चों के हित में सरकार को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। लेकिन आज तक गरीब घर के बच्चे कैसे पढ़े और कैसे पौष्टिक आहार मिले इस पर संज्ञान लेने तक कोई काम नहीं किया गया है।
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