एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। झारखंड की राजधानी रांची के लालपुर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह के षष्टम दिवस भागवत के महत्व पर प्रकाश डाला गया। मुख्य कथा वाचक आचार्य मोहितभाई राज्यगुरु ने इस अवसर पर श्रीकृष्ण के जीवन चरित्र का वर्णन कर श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया।
गुजराती समाज तथा पटेल समाज रांची के तत्वाधान में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के अवसर पर 23 जुलाई को कथा वाचक आचार्य मोहितभाई राज्यगुरु ने भगवान श्रीकृष्ण की कथा का महत्व बताया। उन्होंने बताया कि कैसे भगवान श्रीकृष्ण ने गोकुल से मथुरा जाकर कंस रूपी आततायी का वध कर मथुरा के जनमानस का कल्याण किया। उन्होंने कहा कि आगे जा के भगवान ने वासुदेव और देवकी को मुक्त किया। उन्होंने भगवान की लीला का क्या महत्व है वह बताया।
कथावाचक मोहितभाई राज्यगुरु ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अहं पाले देवराज इंद्र को दण्डित किया। उन्होंने कहा कि जब ब्रह्मा जी भगवान के मित्रो और सखा को ब्रह्मलाेक में ले जा कर सुला देते है तब भगवान श्रीकृष्णा ने ब्रह्मजी को दंड दिया। आगे कैसे रुक्मणि विवाह किया उसका क्या महत्व है, इसपर प्रकाश डाला।
इस अवसर पर गुजराती समाज के मीडिया प्रभारी सह समाजसेवी हरिष दोसी उर्फ राजू भाई ने बताया कि कथावाचन के षष्टम दिवस लालपुर के उदय मिष्ठान भंडार से बारात प्रस्थान किया। बारातियों का सम्मान पटेल समाज द्वारा भव्य रूप से किया गया। इस अवसर पर कन्या पक्ष की ओर से 14 माता पिता रूपी यजमानो ने कन्यादान किया। सैकड़ो की संख्या में वर पक्ष तथा कन्या पक्ष के परिजन उपस्थित थे।
आचार्य मोहितभाई के अनुसार भागवत कथा के दौरान रुक्मणि विवाह कार्यक्रम के आयोजन से रांची के रहिवासियों का भागवत कथा के प्रति रूझान बढ़ेगा। मीडिया प्रभारी राजू भाई ने बताया कि भागवत कथा समापन दिवस 24 जुलाई को गौशाला के लिए मोहित शास्त्री के अपील के अनुसार 18000 का गौ-ग्रास के लिए श्रद्धालुओं द्वारा दान दिया गया, उक्त राशि गौ शाला को दे दिया गया।
इस अवसर पर वर पक्ष में दिनेश पटेल, निर्मला बेन पटेल, बाराती में आनंद माणेक, पंकज ठक्कर, परेश भाई, राजू भाई, मंगला बेन, जसु बेन, गीता बेन, अलफ़ा दोसी, किरण माणेक, पप्पू भाई, विनोद पटेल, विनायक मेहता, चंद्रकांत रायपत, धीरूभाई माणेक, संतु माणेक, वीरू माणेक, किशन माणेक, योगेश माणेक, कुमार पुजारा, रवि पटेल, चिंटू ठक्कर आदि शामिल थे। इस अवसर पर संगीतकार कपिल भाई, जयपाल भाई, त्रिभुवन भाई, निसर्ग भाई तथा शास्त्री माधव शास्त्री आदि का भक्ति संगीत सराहनीय रहा।
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