कन्या भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा को समाज से खत्म करने में बेटियों की भुमिका महत्वपूर्ण-उपायुक्त
बच्चों के मानसिक बदलाव में शिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण-उपायुक्त
एस.पी.सक्सेना/देवघर(झारखंड)। देवघर जिला उपायुक्त (Deoghar district deputy commissioner) मंजूनाथ भजंत्री की अध्यक्षता में 5 मार्च को समाहरणालय सभागार में वीडियो कोंफ्रेंसींग के माध्यम से जिले के विभिन्न प्रखंडों के कस्तुरबा गांधी विद्यालय की बच्चियों, शिक्षकों, विद्यालय के प्रबंधक एवं शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ ऑनलाइन परिचर्चा सह बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में देवघर जिला में घटते लिंगानुपात, महिला सशक्तीकरण, दहेज प्रथा का कारण और निवारण, बेटा व बेटियों में असमानता का कारण और निवारण विषयों पर विस्तृत चर्चा की गई। इस दौरान विभिन्न कस्तुरबा गांधी विद्यालय की बच्चियों, स्कूल के शिक्षकों द्वारा अपने विचार और बेटियों के बेहतरी हेतु कई सुझाव उपायुक्त के समक्ष प्रस्तुत किए गए। उपायुक्त भजंत्री ने अपने-अपने विद्यालयों में बेहतर कर रही बच्चियों का उत्साहवर्धन करते हुए उज्जव भविष्य हेतु शुभकामना व बधाई दी।
बच्चियों से बातचीत करते हुए उपायुक्त ने कहा कि समाज से बेटे-बेटियों में असमानता की सोच को बदलने की जरूरत है। आज बेटियां हर क्षेत्र में परचम लहरा रही हैं। सरकारी स्तर से बेटियों के प्रोत्साहन के लिए कई महत्वाकांक्षी योजनाएं संचालित की जा रही हैं, जिसका लाभ बेटियों को भी मिल रहा है। उन्होंने कहा कि बेटा हो या बेटी, दोनों का समान अधिकार है। देवघर जिले में कई ऐसी महिलाएं हैं, जो किसी न किसी क्षेत्र से जुड़कर बेहतर कार्य करते हुए अपने क्षेत्रों में प्रतिनिधित्व कर रही हैं। जिला, राज्य, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी देश की बेटियों ने नाम रौशन किया है। स्कूल की बच्चियों को प्रोत्साहित करते हुए उपायुक्त ने कहा कि हर किसी में कुछ न कुछ प्रतिभा है। जरूरत है अपने अंदर छिपी प्रतिभा की पहचान कर आगे बढ़ने की। विषम परिस्थितियों में भी लोग मेहनत के बूते लक्ष्य को प्राप्त किए हैं। आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा की जरूरत होती है। आप खुद अपने लिए प्रेरणा बनें। सकारात्मक सोच के साथ अपनी मंजिल की ओर आगे बढ़ें। उपायुक्त ने खुद की परिस्थितियों को बयां करते हुए बच्चियों को लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया। कहा कि समस्याओं पर विचलित होने के बजाय समाधान ढूंढने की आवश्यकता है।
ऑनलाइन बैठक के दौरान उपायुक्त भजंत्री ने बच्चियों को संबोधित करते हुए कहा कि जिले में विगत 5 सालों में लिंग अनुपात मे काफी कमी आई है जो चिन्तनीय है। जिले में लड़कों के मुकाबले लड़कियों की संख्या में कमी दर्ज किया जाना निश्चित ही चिंताजनक है। गर्भ में ही भ्रूण हत्या करना महापाप है। इस पर रोक लगाना अति आवश्यक है। इसके लिए जरूरी है कि सभी जागरूक बने और अपने अभिभावकों व समाज को बेहतरी की और ले जाने में अपना योगदान सुनिश्चित करें। उपायुक्त ने कहा कि 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर जिला, प्रखंड व पंचायत स्तर पर सभी विशेष शपथ ग्रहण करेंगे कि वो खुद प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से लिंग परीक्षण या भ्रूण हत्या में सहभागिता नहीं करेंगे। अगर पता चलेगा तो इसकी सूचना प्रशासन को देंगे।
उन्होंने कहा कि आगामी 10 मार्च से मंदिर प्रांगण मे थर्मोकाॅल के उपयोग को पूर्णतः प्रतिबंधित कर दिया जायेगा, जिसके बाद मंदिर क्षेत्र में प्लास्टिक के उपयोग को बंद किया जायेगा। जिसमें सभी बच्चियों का सहयोग आपेक्षित है, ताकि प्लास्टिक से होने वाले दुष्प्रभाव को समझते हुए अभी से इसके उपयोग को न कहें और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करें।
कार्यक्रम के दौरान उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री ने कहा कि बदलते समय के साथ आधुनिकता अच्छी बात है, मगर यह एक दायरे में रहे, इसका ख्याल रखना जरूरी है। हम अपने संस्कार और परंपरा को नहीं भूलें। सामाजिक सुरक्षा के लिए हमें छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देना जरूरी है। छोटी उम्र से ही इसका प्रयास होना चाहिए। इसकी सीख बच्चों को दी जानी चाहिए। साथ हीं अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य पर सभी विद्यालयों में विशेष शपथ ग्रहण कार्यक्रम का आयोजन करते हुए बच्चियों के रूची के अनुरूप विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा। उपायुक्त ने कस्तुरबा गांधी विद्यालय के शिक्षिकाओं व शिक्षा विभाग के अधिकारियों को निदेशित किया कि बच्चियों को बेहतर माहौल सुविधा के साथ भविष्य में बेहतर करने हेतु प्रेरित व प्रोत्साहित करते रहें, ताकि बच्चियों द्वारा समाज को बेहतर रास्ता दिखाया जा सके।
इसके अलावे उपायुक्त भजंत्री ने जानकारी देते हुए कहा कि पूर्व गर्भाधान एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (PC & PNDT) अधिनियम, 1994 के अनुसार जन्म से पूर्व शिशु का लिंग परीक्षण गंभीर अपराध है। इसके तहत अल्ट्रासाउंड या अल्ट्रासोनोग्राफी कराने वाले जोड़ो या करने वाले डाॅक्टर, लैब्स कर्मी को 3 से 5 साल तक की सजा और 10 हजार से 1 लाख रूपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। ऐसे में जिला प्रशासन लगातार प्रयास कर रही है कि देवघर जिले में ऐसा करने वालों को चिन्हित करते हुए सख्त से सख्त कार्रवाई की जा सके।
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