प्रहरी संवाददाता/ मुंबई। वाशीनाका (Vashinaka) के समाजसेवक एवं नागरिकों ने बेस्ट प्रशासन से मांग की है कि मुकुंदनगर से बेस्ट बसों कि सेवा शुरू करे। ताकि पीएपी परियोजना के तहत पुनर्वसन कराए गए रे रोड़, काला पानी, नागपाडा और मदनपुरा के नागरीकों को रोजमर्रा की समस्याओं से निजात मिले।
मौजूदा समय में उपरोक्त इलाकों से मुकुंदनगर आए लोगों को अपनी नौकरी पर जाने के लिए हर रोज शेयर टैक्सी में कम से कम सौ रूपये ढीले करने पड़ते हैं। महंगाई के इस दौर में प्रतिदिन सौ रूपये खर्च करना आम लोगों के साथ- साथ छात्रों के लिए लोहे के चने चबाने जैसा है।
मिली जानकारी के अनुसार 2019 के अंत में पीएपी परियोजना के तहत शहर व उपनगरों की जनता को वाशीनाका स्थित मुकुंदनगर (Mukund Nagar) में शिफ्ट कराया गया है। इसके बाद केंद्र सरकार द्वारा 2020 मार्च में लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई। लॉकडाउन से अब तक परेशान मुकुंदनगर की जनता को अब रोजी रोटी का डर सताने लगा है। क्योंकि उस इलाके से मुकुंदनगर आए लोगों में शत प्रतिशत ऐसे हैं जो उसी इलाके में नौकरी या कारोबार से जुड़े हैं।
अब चूंकि दूरी बढ़ जाने के कारण लोग समय पर नहीं पहुंच पाते जिसके कारण उनकी नौकरी पर खतरा मंडराने लगा है। बताया जाता है कि हाल ही में मनपा द्वारा मुकुंदनगर की 13 इमारतों को मरम्मत करा कर उपरोक्त इलाके के लोगों सहित अन्य स्थानों के नागरीकों को जबरन शिफ्ट कराया गया था।
इनमें करीब 7 इमारतों में रहने वाले लोग रे रोड, काला पानी, नागपाडा और मदनपुरा इलाके से आये हैं, जो वहीं नौकरी या कारोबार से जुड़े हैं। इनमें स्कूल व कॉलेज के छात्र और छात्राएं भी है। जिन्हें मुकुंदनगर से रे रोड, काला पानी, नागपाडा, मदनपुरा या वीटी आदि आने जाने में कई मुश्किलों से गुजरना पड़ता है। इतना ही नहीं उपरोक्त क्षेत्रें में आने जाने के लिए समय तो जाता ही है जेब भी ढीली करनी पड़ती है।
बताया जाता है की प्रतिदिन रे रोड, काला पानी, नागपाडा, मदनपुरा, वीटी या कुलाबा जाने के लिए मुकुंदनगर से 20 से 25 शेयर टैक्सी जाती है। समाजसेवकों ने दावा किया है की बेस्ट बसों के शुरू होने से लोगों को निजात मिलेगी और उन्हें यात्रियों कि कमी नहीं होगी।
इस सबंध में मुकुंदनगर के लोगों ने अब तक मौखिक बातें की थी लेकिन अब पत्र व्यवहार शुरू हो गया है। स्थानीय नागरीक तबरेज शेख ने बेस्ट प्रशासन से आग्रह किया है की ट्रायल के तौर पर एक सप्ताह बस चलाने से हमारी मांगों की सच्चाई का पता चल जाएगा।
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