शहादत समारोह में झारखण्ड सरकार के मंत्री भी होंगे शामिल
ममता सिन्हा/तेनुघाट (बोकारो)। बोकारो जिला के हद में तेनुघाट स्थित निलंबर -पीताम्बर भवन में खरवार भोक्ता सामाज द्वारा बैठक कर 28 मार्च को अमर शहीद नीलाम्बर-पीताम्बर का 167वाँ शहादत समारोह तेनुघाट में मानाने का निर्णय लिया गया।
जिला प्रवक्ता सह केंद्रीय सदस्य हीरालाल भोगता ने बताया कि 1857 ई. प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में पूरे देश में अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ ज्वाला भड़क चुकी थी। उसी क्रम में झारखंड (एकीकृत बिहार) के पलामू वर्तमान गढ़वा जिला के भंडरिया प्रखंड स्थित चेमो और सेनेया गाँव के भोगता खरवार आदिवासी सहोदर भाईयों वीर नीलाम्बर – वीर पीताम्बर शाही भोगता ने सन् 1857 ई. से लेकर 1859 ई. तक लगातार अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बीहड़ जंगलो, दुर्गम पहाड़ों और खतरनाक घाटियों जैसे भूखंड में रहकर अंग्रेजों के खुँखार फौजियों से स्वाधिनता की रक्षा के लिए जोरदार टक्करें ली।
अंग्रेजों के अनेको स्थलों पर एतिहासिक हमले भी किये। कहा कि भोगता खरवारों की एक प्रधान शाखा (उपजाति) है, जिन्हें शाही की उपाधि प्राप्त थी। वे शुरता – वीरता में अद्वितीय थे। नीलाम्बर – पीताम्बर शाही भोगता के दादा सेव बक्स भोगता को अपने कौशलता से दो जगहों पर 12 गाँव का जागीर प्राप्त था। एक सरगुजा (अब छतीसगढ़) के समीप तथा दूसरा चेमो – सेनेया गाँव (भंडरिया प्रखंड) जो कोयल नदी के तट पर स्थित है।
चेमू सिंह भोगता सेव बक्स भोगता के पुत्र थे, जिन्हें कई बार अंग्रेजों से टक्कर हो चुकी थी। उन्हें शांत रहने हेतु ब्रिटिश कंपनी ने उनकी जागीर को बरकरार रखी थी। लेकिन चेमू सिंह भोगता खतरे को भांपकर नीलाम्बर – पीताम्बर दोनों भाईयों के नेतृत्व में चेरो – खरवार भोक्ताओं का एक कुशल फौज (सैनिक) का गठन कर चेमो और सेनेया गाँव में सैनिक छावनी बनाया। जहाँ सफल ट्रेनिंग में घुड़सवार, तीरंदाजी, हथियार संचालन, गुरिल्ला युद्ध कौशल (छिपकर वार करना) का प्रशिक्षण दे रखा था।
उन्होंने बताया कि खरवार भोगता के फौज से घबराकर अंग्रेज भक्त जागीरदारों ने चेमू सिंह भोगता को साजिश के तहत बंधु – बाँधओं व फौज से अलग अकेले बुलाकर सन् 1856 में हत्या कर दी। नीलाम्बर – पीताम्बर शाही भोगता प्रतिशोध के रूप में मौके का इंतजार कर थे। जो 1857 ई. का सिपाही विद्रोह का क्रांति आग में घी का काम किया और वे दोनों भाई अंग्रेजों से मुकाबला करने को उतारू हो गए। उनके कुशल नेतृत्व में चेरो, खरवार भोगताओं ने हजारों की संख्या में जुटकर शाहपुर थाना, लेस्लीगंज थाना, आबकारी कचहरी तथा तहसील कचहरी में लुट – पाट कर आग लगा दी।
साथ ही मनिका, बरगढ़ तथा छतरपुर थाना को भी लुट कर आग लगा दिया। उन्होंने बंगाल कोल कंपनी एवं स्टेशन में लुट पाट के बाद कुछ मशीनों में आग लगा दिये तथा कुछ को अपने साथ लेते गए। विद्रोहियों के पास चार तोप तथा अन्य हथियार थे। जिसके कारण स्थानीय सैनिक इनका मुकाबला नहीं कर पा रहे थे। लेफ्टिनेंट ग्राहम एवं कमिशनर डाल्टन स्थानीय जागीरदारों एवं वफादारों के सहयोग से विद्रोह को दबाने में असफल रहे। ले. ग्राहम को विद्रोहियों के डर से चैनपुर के ठाकुर के यहाँ छिप कर रहना पड़ा।
ले. ग्राहम की सहायता के लिए सासाराम से डिप्टी मजिस्ट्रेट वेकर, सरगुजा से अपने दल के साथ कैप्टन डेविस, देव राजा छः सौ बंदूकची तथा एक सौ घुड़सवार के साथ मद्रास नेटिक इंफैट्री के सैनिक तथा घुड़सवार दल एवं प्रगनैत जगत पाल सिंह के नेतृत्व में बंदुकधारी के पहुंचने के पश्चात कमिशनर डाल्टन ने स्थानीय जागीरदारों के सैन्य सहायता के साथ नीलाम्बर- पीताम्बर सहोदर भाईयों के विद्रोह को कुचलने के लिए बुलाया, फिर भी वे अपने आप को बचाते हुए विद्रोह को जारी रखा। विद्रोहीयों द्वारा पांच तोप बना लिए गये थे तथा पांच में कुछ काम बाकी था।
कहा कि ब्रिटिश कंपनी के बाहरी सेना के आने के बाद इनके पैतृक गाँव चेमो- सेनेया में प्रवेश किया। विद्रोही जंगली टिल्कों का आड़ लेकर हमला करते हुए जंगल की ओर छिप कर निकल गए। बाद में छोटानागपुर के आयुक्त ई. टी. झाल्टन एवं सहायक कनीय आयुक्त ले. ग्राहम के द्वारा सरकारी सैनिकों को तीन चार भागों में बाँटकर पलामू किला गढ़ एवं चेमू और सेनेया गाँव को घेर लुटपाट, तोप, गोला बारूद का बौछार कर गाँव को ध्वस्त कर दिया गया। जिससे नीलाम्बर- पीताम्बर शाही भोगता के सैकड़ो फौज मारे गए।
शाहाबाद से क्रांतिकारी वीर कुँवर सिंह के भाई बाबु अमर सिंह घुड़सवारों तथा अपने सैनिकों के साथ नीलाम्बर- पीताम्बर को मदद के लिए पलामू पहुँच चुके थे। वहीं छोटानागपुर के विश्वनाथ शाही भी विद्रोहियों के मदद को तैयारी में थे। अंग्रेज भक्त जासूसों के सूचना पर दोनों भाईयों को रात में गिरफ्तार कर लिया गया और उन पर अंग्रेजी फौज की हत्या, तहसील, कचहरी लूटना, थाना में आग लगाना तथा गाँव जलाने का दोषी ठहराकर बिना मुकदमा चलाये विद्रोही करार देते हुए 28 मार्च 1859 ई. को लेस्लीगंज के पीपल पेड़ में फांसी दे दी।
इन्ही दोनों वीर योद्धा भाइयों की याद में 28 मार्च को नीलाम्बर-पीताम्बर प्रतिमा स्थल एक नम्बर तेनुघाट में 167वाँ शहादत समारोह मनाया जायेगा, जिसमें बोकारो के विभिन्न क्षेत्रों से हजारों रहिवासी जुटेंगे। बताया गया कि उक्त कार्यक्रम के मुख्य अतिथि झारखंड सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री योगेंद्र प्रसाद होंगे। यह जनकारी भोला भोगता ने दी। उक्त समारोह को सफल बनाने के लिए जिलाध्यक्ष सोहन गंझू, रामचंद्र गंझू, हीरालाल भोगता, सेवा गंझू, बैजनाथ गंझू, लालमोहन गंझू, सुरेश भोगता, भूणेश्वर, बोकारो जिला एवं प्रखंड के सभी खरवार भोगता समाज के पदाधिकारी सम्मिलित हैं।
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