लोक पंच द्वारा औरंगाबाद में दशरथ मांझी नाट्य महोत्सव का शुभारंभ

एस. पी. सक्सेना/पटना (बिहार)। सांस्कृतिक संस्था लोक पंच द्वारा संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सौजन्य से 14 से 17 फरवरी तक चार दिवसीय दशरथ मांझी नाट्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। महोत्सव औरंगाबाद जिला के हद में दाउदनगर के छकूबीघा में आयोजित किया जा रहा है।

महोत्सव के पहले दिन 14 फरवरी की पहली प्रस्तुति कलामंच नौबतपुर द्वारा राजीव व् अमन के लेखन एवं राजीव रंजन प्रसाद के निर्देशन में नाटक चंडी का वशीकरण का मंचन किया गया। यह नाटक प्रख्यात लेखक विलियम शेक्सपियर की कहानी पर आधारित है।

जानकारी देते हुए लोक पंच के सचिव मनीष महीवाल ने बताया कि प्रस्तुत नाटक चंडी का वशीकरण विलियम शेक्सपीयर की रचना द टेमिंग ऑफ द श्रीव पर आधारित मगही नाटक है। कथाक्रम के अनुसार मलाहीखंदा गाँव के अमीर जंग बहादुर सिंह की बड़ी पुत्री चंद्रिका स्वभाव से काफी उग्र व सनकी है। जिसके कारण कोई भी लड़का उससे शादी करना नहीं चाहता। पिता एवं आसपास के गाँव के रहिवासी भी उससे आये दिन परेशान रहते हैं।

चंद्रिका के स्वभाव के बारे में खजुरी गाँव के दीनानाथ को जब पता चलता है तो वह उससे शादी कर अपने वश में करने में सफल हो जाता है। बाद में दोनों के बीच निःशब्द प्रेम की उत्पत्ति होती है।

महीवाल ने बताया कि उक्त नाटक में जंग बहादुर की भूमिका चंदन कुमार, चंद्रिका की भूमिका मौसमी भारती के अलावा बिन्नी, रिंकल कुमारी, रजनी, राजीव रंजन प्रसाद, दीनानाथ गोस्वामी, बिट्टू सोनु कुमार, सीया अमन कुमार, राम करन कुमार, पंडित ओम प्रकाश फ़ज़ल, चायवाला पंकज कुमार, चायवाले का बेटा जलज रंजन,
ग्राहक अमन कुमार तथा कोरस कंचन कुमार, रुचि कुमारी के है।

जबकि उक्त नाटक में गीत पारंपरिक, विद्यानंद भारती, संगीत ओमप्रकाश ‘फ़ज़ल’, रूप सज्जा कंचन कुमारी एवं चंचला कुमारी, वस्त्र विन्यास शिव शंकर, हारमोनियम श्यामाकांत, नाल रंजीत दास, मंच-सज्जा पंकज कुमार एवं दीनानाथ गोस्वामी, प्रकाश परिकल्पना राहुल कुमार रवि, नाट्य रूपांतरण राजीव रंजन प्रसाद एवं अमन, परिकल्पना व् निर्देशन राजीव रंजन प्रसाद द्वारा प्रस्तुत किया गया।

दूसरा नाटक लोक पंच पटना द्वारा मनीष महिवाल के लेखन- निर्देशन में नाटक बाल विवाह का मंचन किया गया। उक्त नाटक पारंपरिक गीत, संगीत एवं हास्य से भरपूर है। इस नाटक की शुरुआत छोटे बच्चों के खेलने से होता है, जिसमें मुनिया नाम की एक बच्ची भी है जो बकरी चराती है। बाकी बच्चों की तरह मुनिया भी पढ़ना लिखना चाहती है। वह स्कूल जाना चाहती है, पर मुनिया के माता-पिता यह सोचते हैं कि जितनी जल्दी हो सके एक लड़का खोज कर बेटी का हाथ पीला कर दिया जाए।

प्रस्तुत नाटक में पंडित जी के माध्यम से एक लड़का खोज कर शादी की तैयारी की जाती है। मुनिया के बार-बार मना करने के बाद भी उसके माता-पिता नहीं मानते और बच्ची को शादी के मंडप पर बिठा देते हैं। रिश्तेदार और गांव के गणमान्य शादी में शामिल होने के लिए उपस्थित रहते हैं। शादी शुरू हो जाती है।

इसी बीच एक सामाजिक कार्यकर्ता आता है। उन्हें समझाता है कि बाल विवाह अपराध है और आप सभी को सजा हो सकती है। व्यक्ति के समझाने के बाद लड़की के माता-पिता एवं गांव के गणमान्य जनों को समझ में आता है, और शादी को रोक दिया जाता है।

उक्त नाटक में पुत्री का पिता रजनीश पांडेय, माता पायल कुमारी, पुत्री सोनल कुमारी, पंडित रोहित कुमार, दूल्हा अरबिंद कुमार, फूफा राम प्रवेश, जीजा डॉ विवेक ओझा, दोस्त हर्ष राज, कृष्ण देव तथा अभिषेक राज, सहेली नीलम कुमारी, समाजसेवी का किरदार मनीष महिवाल ने निभाया है।

जबकि उक्त नाटक में प्रकाश राज कुमार, गायन नीलम कुमारी, संगीत अभिषेक राज, रूप सज्जा सोनल कुमारी, वस्त्र विन्यास रितिका महिवाल, प्रस्तुति नियंत्रक कृष्ण देव तथा लेखक/निर्देशक मनीष महिवाल है। इसके अलावा महोत्सव के अवसर पर रंग समूह, पटना द्वारा कुमार उदय सिंह एवं दल द्वारा बिहार के लोक नृत्यों की प्रस्तुति की गयी।

 92 total views,  1 views today

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *