दर-दर भटकने को मजबूर बहादुरनगर के उजाड़े गये दलित परिवार, नहीं मिला पुनर्वास

सीओ द्वारा आवंटित रजबा के महमदीपुर में विरोध के कारण उजड़े परिवार लौटे

एस. पी. सक्सेना/समस्तीपुर (बिहार)। आप यदि गरीब, दलित और भूमिहीन है तो आपके लिए बिहार राज्य में तो कोई स्थान है हीं नहीं। यदि किसी प्रकार कहीं थोड़ी सी गुंजाईश देख झोपड़ी बना ली है तो आपकी शामत आ गयी मानो। आपको उजड़ना निश्चित है। चाहे आप यहां चार-पांच पीढ़ी से क्यों न रह रहे हो। कुछ यही हाल 14 मई को समस्तीपुर जिला के हद में ताजपुर प्रखंड के बहादुरनगर में देखने को मिला।

जानकारी के अनुसार भारत माला सड़क निर्माण को लेकर उजाड़े गये दलित बस्ती बहादुरनगर के दर्जनों भूमिहीन परिवार को पुनर्वास नहीं कराए जाने के कारण अपने बाल-बच्चे, मवेशी आदि को लेकर दर-दर भटकने को मजबूर हैं।
बताया जाता है कि 14 मई को बड़ी संख्या में पुलिस बल, अधिकारी जेसीबी, ट्रेक्टर, क्रेन आदि लेकर बहादुरनगर पहुंचे और पुस्तैनी बसे परिवारों के घरों को तोड़ने लगे।

चूल्हा, चौकी, टाट, एसबेस्टस, पीलर, खंभा, बिजली आदि नोंच-नोंचकर हटाने लगे। इस दौरान महिलाएं इसका प्रतिरोध कर रही थी, लेकिन प्रशासन कुछ भी सुनने को तैयार नहीं। महिलाएं रो-रो कर अपना बिखड़ा पड़ा सामान समेट रही थी।
भाकपा माले ताजपुर प्रखंड सचिव सुरेंद्र प्रसाद सिंह, प्रभात रंजन गुप्ता आदि ने अनुमंडलाधिकारी दीलीप कुमार से टेलीफोनिक वार्ता के बाद सीओ आरती कुमारी, आरओ रोहन रंजन से वार्ता कर कुछ सामान हटाने के लिए कुछ वक्त मांगा एवं अधिकारियों के वादानुसार भूमिहीन परिवारों को बसाने की मांग सार्वजनिक तौर पर किया।

बताया जा रहा है कि यहां के उजड़े 10-12 परिवारों को सीओ द्वारा भूमि-पर्चा देकर बसाने की बात कही गयी। उजड़े परिवार अपने-अपने सामान लेकर रजबा के महमदीपुर में गये, लेकिन स्थानीय रहिवासियों के विरोध के कारण वे बैरंग वापस लौट गये। पुनः अपना सामान पुराने स्थल बहादुरनगर सड़क किनारे रखकर सड़क जाम पर उतारू हो गये, लेकिन भाकपा माले नेताओं द्वारा मधस्तता करने पर सीओ-आरओ द्वारा पर्चा-भूमि देकर कुछ दिनों में बसाने की घोषणा की गई।

उजड़े परिवार प्रशासनिक लालफीताशाही को देख तत्काल किंकर्तव्यविमूढ़ है। भूख से मवेशी चिल्ला रहे है। भूखे बच्चे बिलबिला रहे हैं। चहुंओर सुशासन सरकार के दलित-गरीब विरोधी प्रशासन का आलोचना सुनने को मिल रहा है। पीड़ित परिवारों का कहना है कि जब भूमिहीनों को पर्चा-जमीन देकर बसाने का कानून है तो प्रशासन को उजाड़ने से पहले बसाना चाहिए।

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