अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। सारण जिला के हद में विश्व प्रसिद्ध हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेला में 17 दिसंबर को पांच लाख से अधिक यात्रियों ने परिभ्रमण किया।
इस अवसर पर कार्तिक पूर्णिमा स्नान की तरह मेला की सभी सड़कों पर भीड़ नजर आ रही थी। यात्रियों को पैदल चलना भी मुश्किल हो रहा था। महिलाओं और बच्चों को सबसे ज्यादा कठिनाई हो रही थी।
वैशाली जिला मुख्यालय हाजीपुर और सोनपुर के बीच गंडक नदी पर बने पुल पर भी भीड़ बेशुमार थी।
पुलिस भीड़ नियंत्रण में जुटी देखी गई। भीड़ नियंत्रण के लिए सोनपुर अनुमंडल प्रशासन के वरीय पदाधिकारी व पुलिस पदाधिकारी भीड़ नियंत्रण में लगातार लगे देखे गए। मेला के सभी भीतरी सड़कों और शहीद महेश्वर चौक से सोनपुर थाना मुख्य मार्ग में भारी भीड़ को देखते हुए वाहनों के गमनागमन पर रोक लगाना पड़ा। अलग अलग रास्तों से मोटरसाइकिल सवारों को डायवर्ट किया गया।
बाबा हरिहरनाथ का हजारों भक्तों ने किया दर्शन
इस अवसर पर मेला यात्रियों ने हरिहरनाथ मंदिर सहित विभिन्न मंदिरों में जाकर माथा टेका। संध्याकालीन आरती में भी शामिल हुए। हनुमान मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर, सूर्य एवं शनि मंदिर, दक्षिणेश्वरी काली मंदिर, आप रूपी गौरी शंकर मंदिर , श्रीगजेन्द्र मोक्ष देवस्थानम दिव्य देश में भी दर्शन पूजन के लिए भीड़ जुटी देखी गई।भक्तों ने बाबा हरिहरनाथ मंदिर में अवस्थित नवग्रह देवताओं सहित सभी देवी देवताओं की पूजा अर्चना भी की। सोनपुर के मही नदी किनारे संकट मोचन मंदिर और निकट ही साई मंदिर में भी दर्शनार्थियों का तांता लगा हुआ था।
मेला में जमकर हुई वस्तुओं की खरीद बिक्री
यात्रियों की भीड़ 17 दिसंबर को केवल मेला ही नहीं घूम रही थी बल्कि गर्म कपड़ों की दुकान, स्टील, लोहे और प्लास्टिक की वस्तुओं की दुकानों पर खरीददारी करती भी देखी गई। होटलों में गुड़ और चीनी की जलेबी, लिट्टी चोखा सहित सभी अत्याधुनिक खाद्य पदार्थ की बिक्री हो रही थी, जहां खानेवालों की भीड़ लगी थी।
हरिहरनाथ चौक, मेला प्रदर्शनी क्षेत्र और लकड़ी बाजार रोड स्थित पुस्तक दुकानों में भी खरीददारों की उपस्थिति अधिक थी। विस्कोमान के स्टॉल पर सस्ते दर पर प्याज और चना दाल खरीदने वालों की लम्बी कतारें लगी थीं। मेले में बांसुरी की धुन भी सुनाई पड़ रही थी।
दो दर्जन से अधिक बांसुरी विक्रेता मेला में घूम घूम कर और गीत का मधुर धुन बजाकर बांसुरी की बिक्री कर रहे थे। मिट्टी की सिटी और मिट्टी की घिरनी (चकरी) पर बच्चों की सबसे ज्यादा नजर रही। झूला, जादू घर, मुंबई, कोलकाता नामधारी बाजारों आदि में भी भीड़ अत्यधिक थी।
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