प्रहरी संवाददाता/पेटरवार (बोकारो)। पेटरवार प्रखंड के हद में चलकरी में बीते 10 मई से प्रारंभ श्रीरामचरित मानस नवाह पारायण महायज्ञ के नवम दिवस 18 मई को प्रभु श्रीराम के राज्याभिषेक अति उत्साह व धूमधाम से आयोजित किया गया।
इस अवसर पर सर्वप्रथम अयोध्या के महंत रामकिशोर शरण के सानिध्य में भगवान श्रीराम-सीता सहित चारो भाइयों के प्रतिमाओं को आगंतुक आचार्यों द्वारा राजतिलक लगाया गया। यहाँ ब्यास अनिल पाठक वाचस्पति एवं सहयोगियों ने वाद्ययंत्रों के ताल पर मंगल गान, चौपाई, हनुमान चालीसा आदि का पाठ उत्साह से किया।
जानकारी के अनुसार राज्याभिषेक के दौरान यहां के महिला, पुरुष, बच्चे, बुजुर्ग, युवक, युवतियां अति उमंग से नाच व् झूम रहें थे। समिति के पदाधिकारी, सदस्य, पूजारी समूह सभी काफी उत्साहित थे। बार बार पटाखे फोड़े जा रहे थे। इससे पूर्व बीते 17 मई की रात्रि प्रवचन के दौरान वाराणसी से पधारी मानस मनीषी रुचि शुक्ला ने राम-केवट संवाद प्रसंग पर अपनी बेवाक व्याख्यान की प्रस्तुति से मानस प्रेमियों को भावविभोर कर दिया।
उन्होंने कहा कि अपनी नाव में बिठाकर प्रभु राम से धीवर (नाविक) ने उतराई में पितरों के उद्धार किए जाने की शर्त रखी थी। कहा कि प्रभु मैं भी यहां पर कर्म करता हूं। आप पितरों समेत भवसागर पार कर देना।कितनी मार्मिक प्रसंग है यह। आज के मनुष्य अपने मां बाप के उद्धार की नही सोचता, पितरों की उद्धार तो दूर।
वाराणसी के ही मानस मर्मज्ञ राकेश पांडेय, महंत रामकिशोर शरण, ब्यास अनिल पाठक आदि ने अपने अंतिम प्रवचन के क्रम में कहा कि रावण, कुंभकर्ण, मेघनाद जैसे आतातायियो को मारकर प्रभु श्रीराम ने अयोध्या में रामराज की स्थापना की थी। आज भारत जैसे राष्ट्र की वर्तमान स्थिति को देख रामराज की कल्पना करना व्यर्थ है। रामराज तभी संभव है, जब आज के प्रशासक निजी स्वार्थ के बदले जनहित की सोच रखें।
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