मनपा, ट्रैफिक पुलिस और आरटीओ की ढिलाई से सरकार को करोड़ों का फटका

सरकार को चवन्नी भी नहीं देते जल माफिया

प्रहरी संवाददाता/मुंबई। दक्षिण मुंबई के पॉश इलाके में चल रहे जल के खेल में मनपा सी वार्ड के आधिकारियों कि मिली भगत से इंकार नहीं किया जा सकता। क्योंकि रविंदल हाउस  पारिसर पंचायत की बावडी से प्रतिदिन 60 से 70 टैंकरों में जल कि सप्लाई धड़ल्ले से हो रही है।

इसकी बकायदा जानकारी मनपा सी वार्ड के सहायक मनपा आयुक्त और जलापूर्ति विभाग को है। इसके बावजूद कार्रवाई नहीं होना विभिन्न प्रश्नों को जन्म देती है।

यहां सवाल उठता है कि बावड़ी से जल निकासी की इजाजत किसने दी? बीना इजाजत क्यों दिन दहाड़े जल बेचा जा रहा है। अब तक जो जल निकासी हुई है उसका टैक्स किसने लिया ? इतना ही नहीं यहां ट्रफिक पुलिस क्यों मौन है?

 

गौरतलब है कि इससे भी ज्वलंत प्रश्न यह है कि एक के बाद दूसरा फिर तिसरा यानी लगातार टैंकरों के आवागमन से स्थानीय नागरिक त्रस्त हैं।

बता दें कि इसी रास्ते से अक्सर वीआईपी और वीवीआईपीयों का आना-जाना लगा रहता है। इसके बावजूद मनपा सी विभाग के वार्ड क्रमांक 220 की हद में रविंदल हाउस (Ravindal House) से जल की सप्लाई निर्माणधीन इमारत, रेलवे और बाहर से आने वाली पानी जहाजों में होता है। जहां से रूपयों के अलावा डॉलर के रूप में पेमेंट मिलता है।

जल माफियाओं का जलवा

बावड़ी के पानी की काला बाजारी रविंदल हाउस से भी होती है। जल माफियाओं के लिए यह हाउस नोट छपने का अड्डा बन गया है। इस हाउस के मालिक रामबाबू राय हैं। उनका भी टैंकर चलता है।

यहां के दुकानदारों का कहना है कि हम लोग शराफत में मारे जा रहे हैं। यहां शरीफ और कारोबारी लोग जल माफियाओं से पंगा नहीं लेना चाहते।

इसका लाभ रविंदल हाउस के मालिक भरपूर ले रहे हैं। दक्षिण मुंबई का रविंदल हाउस, शरीफ मंजिल जो कि गिरगांव रोड़ स्थित धोबी तालाब लेन परीसर में है। यहां अवैध रूप से बावड़ी का पानी धड़ल्ले से बेचा जा रहा है।

कौन खाता है पानी का टैक्स

देश की घरती से निकलने वाले हर प्रकार खनिजों का मालिकाना हक सरकार की होती है। लेकिन यहां तो उल्टी गंगा बह रही है। घरती से निकलने वाले जल पर जल माफियाओं ने कब्जा कर लिया है।

सूत्रों की माने तो रविंदल हाउस के अलावा अन्य तीन बावड़ियां हैं जहां से माफियाओं द्वारा जल का खेल किया जा रहा है। स्थानीय सूत्रों की माने तो यहां से प्रतिदिन लाखों रूपये की आमदनी होती है।

लेकिन इस कमाई की चवन्नी भी राज्यस्व में नहीं जाता। जबकि दक्षिण मुंबई के सभी बावड़ियों पर राज्य सरकार (State government) का ही अधिकार है। इसे बिचौलियों की तरह मनपा के अधिकारी, स्थानीय छूट भाई नेता और पुलिस द्वारा बंदर बांट किया जाता है।

 

क्यों है ट्रैफिक पुलिस और आरटीओ मौन

जल के खेल में अहम भुमिका निभाने वाली स्थानीय ट्रैफिक पुलिस और आरटीओ की भुमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं। क्योंकि आम तौर पर दक्षिण मुंबई की सड़कों पर कहीं भी स्कूटर या मोटर साइकल खड़ी करते ही ट्रैफिक पुलिस की गाड़ियां उसे उठा लेती है, और बिना दंड वसूले गाड़ी वापस नहीं देते।

लेकिन यहां ठीक उसके विपरीत है। रविंदल हाउस के आस-पास 24 घंटे टैंकरों का जमावड़ा रहता है लेकिन उन्हें पुछने वाला कोई नहीं होता। इसे सहज ही देखा जा सकता है। यहां घंटों खड़ी होने वाले टैकरों को कोई ट्रैफिक पुलिस या आरटीओ (RTO) से खतरा नहीं।

इस कड़ी में दिलचस्प बात यह है कि रविंदल हाउस से सबंधित शत प्रतिशत टैंकरों की पासिंग मुंबई कि हद से बाहर की है। यानी जल का टैक्स के साथ-साथ रोड़ टैक्स व अन्य सरकारी खाते में जाने वाले राज्यस्व को जल माफिया डकार जाते हैं।

उल्लेखनीय है कि एक के बाद दूसरा फिर तीसरा यानी लगातार टैंकरों आने और जैसे तैसे खड़ी करने से स्थानीय नागरिक त्रस्त हैं। इस मुद्दे पर स्थानीय कुछ लोगों ने हिम्मत जूटा कर करीब तीन साल पहले आवाज उठाने की कोशिश की थी।

जिसे जल माफियाओं ने दबा दिया। लोगों ने मनपा के जल विभाग को एक पत्र लिखा था जिसे कूड़ेदान में फैंक दिया गया। इसकी जानकारी जल माफियाओं को लगी तो वे आग बबुला हो गए थे।

इन्हीं कारणों से कोई भी जल माफियाओं से पंगा नहीं लेना चाहता। क्योंकि रविंदल हाउस परिसर में जल माफियाओं का दहशक बरकरार है। एक अन्य दुकानदार ने नाम न छपने की शर्त पर बताया कि जल माफियाओं का सिधा कनेवशन सेना भवन से होने की सम्भावना है। जिसके कारण उन्हें कोई नहीं रोकता।

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